नई दिल्ली: सांसदों/विधायकों के आपराधिक केस के तेज़ निपटारे के लिए विशेष कोर्ट बनेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 6 हफ्ते में इस पर योजना तैयार करने को कहा है. मामले पर अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी.


जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की बेंच ने कहा कि नेताओं के मुकदमों का सालों तक खिंचना गलत है. इनका 1 साल के भीतर निपटारा होना चाहिए.


सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने भी इस बात का समर्थन किया. सरकार के वकील कहा- जनप्रतिनिधियों के खिलाफ अभी जितने मुकदमे लंबित हैं, उन्हें 1 साल में निपटाने के लिए लगभग 1000 विशेष कोर्ट की ज़रूरत होगी


कोर्ट में रखे गए आंकड़ों के मुताबिक पूछा 2014 में देश भर के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ 1581 मुकदमे दर्ज थे. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि उन मामलों की अभी क्या स्थिति है? 2014 से 2017 के बीच कितने और मुकदमे हुए हैं?


सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक पर भी हुई चर्चा


राजनीति का अपराधीकरण रोकने की मांग पर सुनवाई करते हुए आज कोर्ट ने ये निर्देश दिए हैं. इसी सुनवाई के दौरान आज एक अहम मोड़ तब आया जब चुनाव आयोग ने सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन पाबंदी की मांग का समर्थन किया.


गौरतलब है कि आयोग ने पहले भी इस मांग का समर्थन किया था. बाद में अपना स्टैंड बदलते हुए कहा था कि वो राजनीति का अपराधीकरण रोकने के पक्ष में है. लेकिन इस मांग पर कुछ नहीं कहना चाहता.


सुप्रीम कोर्ट ने अस्पष्ट स्टैंड के लिए आयोग को फटकार लगाई थी. अब आयोग ने खुल कर इस मांग का समर्थन किया है. केंद्र सरकार ने कहा कि वो राजनीति से अपराधियों को दूर रखने के लिए हर कदम के साथ है. हालांकि, सज़ा पूरी करने के बाद 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक का मौजूदा कानून भी अपने आप में काफी है.