नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार, असम सरकार और बोडो एनडीएफबी के चार गुटों के बीच में हुआ ऐतिहासिक समझौता असम और बोडो क्षेत्र के सुनहरे भविष्य का दस्तावेज है. श्री शाह ने कहा कि सरकार बोडो समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इसके तहत 3 वर्षों में 15 सौ करोड़ रुपए का विकास पैकेज दिया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि आने वाली 30 जनवरी को बोडो समूह के 1550 हथियारबंद लोग अपने 130 हथियारों के साथ सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर देंगे.


केंद्रीय गृहमंत्री असम सरकार और बोडो आतंकवादी संगठन एनडीएफबी के 4 गुटों के साथ समझौते के बाद मीडिया से बात कर रहे थे. श्री शाह ने बताया कि असम की बोडो समस्या मूलतः 1987 से हिंसक हुई और उसके बाद राज्य में अशांति फैलती चली गई. गृह मंत्री ने बताया कि बोडो समस्या के दौरान 2900 नागरिक मारे गए. 239 सुरक्षाकर्मियों को अपने प्राणों का बलिदान देना पड़ा और 939 बोडो काडर के लोग मारे गए. उन्होंने बताया कि 4000 से ज्यादा लोगों ने इस समस्या के दौरान अपनी जान गंवाई लेकिन असम और बोडो क्षेत्र के सुनहरे भविष्य के दस्तावेज इस समझौते के तौर पर हस्ताक्षर हो चुके है जो असम की अखंडता को जिंदा रखेगा.


उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने हमेशा के लिए समस्या का समाधान कर दिया है. उन्होंने कहा कि मोदी जी सदैव यह महसूस करते थे कि उत्तर पूर्व के लोग बाकी देश से स्वयं को कटा हुआ महसूस करते हैं लिहाजा उन्होंने केंद्र के मंत्रियों को वहां जाने और वहां के विकास कार्यों की समीक्षा करने को कहा और इस दौरान क्षेत्रों में समुचित विकास हुआ. उन्होंने कहा कि मोदी जी का नारा था कि सबका साथ सबका विकास और उसमें जुड़ गया है कि सबका विश्वास.


केंद्रीय गृह मंत्री ने बताया कि आने वाली 30 जनवरी को एनडीएफबी से जुड़े 4 गुटों के 1550 हथियारबंद लोग अपने हथियारों के साथ सरकार के सामने सरेंडर करेंगे. उन्होंने यह भी बताया कि बोडो समुदाय का सर्वांगीण विकास करने के लिए वहां के बोर्ड को और ज्यादा ताकत दी जा रही है. इसके तहत उपेंद्र नाथ ब्रह्मा सेंट्रल यूनिवर्सिटी खोली जाएगी. गृह मंत्री ने कहा कि बोडो आंदोलन में मारे गए लोगों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया जाएगा. उनके खिलाफ जो मुकदमे दर्ज हैं नियम के हिसाब से उनका भी निपटारा किया जाएगा. उन्होंने आशा जताई कि अब इस समझौते के जरिए असम में शांति रहेगी क्योंकि इस समझौते में सभी गुटों ने अपने हस्ताक्षर किए हैं और कोई भी गुट बाहर नहीं है.


इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री सोनोवाल ने कहा कि असम में इस समझौते से शांति व्यवस्था रहेगी और जहां शांति रहेगी वहां विकास रहेगा. उन्होंने कहा कि बोडो गुटों से जो समझौता हुआ है उसे एक तय सीमा के भीतर पूरा किया जाएगा और सरकारें इसके लिए कटिबद्ध हैं.


वर्तमान समझौता
संविधान में छठी अनुसूची के अनुच्छेद 14 के तहत एक आयोग का गठन करने का प्रस्ताव करता है, जो कि बीटीएडी से सटे गांवों को शामिल करने और बहुसंख्यक आदिवासी आबादी की जांच करने और बोडो संगठनों और वर्तमान में बीटीएडी से जुड़े गांवों को हटाने की मांग करता है.


आयोग में राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ-साथ ABSU और BTC सहित अन्य हितधारक शामिल होंगे. यह अधिसूचना की तारीख से छह महीने के भीतर अपनी सिफारिश प्रस्तुत करेगा.


वर्तमान निपटान में ग्रामीण विद्युतीकरण, गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों, सौर ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा और मिनी-हाइडल परियोजनाओं, व्यापार और वाणिज्य के तहत योजनाओं के कार्यान्वयन जैसे अतिरिक्त विषयों के संबंध में अधिक विधायी, कार्यकारी, प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियाँ होने का प्रस्ताव है.


संविधान की अनुसूची VII की सूची III की प्रविष्टि 33 के प्रावधानों के अधीन BTC के भीतर, 'मध्यम उद्योग' को 'लघु, कुटीर और ग्रामीण उद्योग में सातवीं अनुसूची की सूची I के 7 और 52 की प्रविष्टियों के प्रावधानों के अधीन जोड़ा जाएगा. 'शिक्षा' को husbandry पशुपालन और पशुचिकित्सा से जोड़ा जाना है जो संरक्षण, स्टॉक के संरक्षण और सुधार और पशु रोगों की रोकथाम, पशु चिकित्सा प्रशिक्षण और अभ्यास, मवेशी पाउंड’ आदि को कहते हैं.


असम सरकार ने बीटीएडी के बाहर बोडो गांवों के विकास और एसटी और अन्य पारंपरिक वन क्षेत्रवासियों (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत बोडो-कचहरी कल्याण परिषद की स्थापना की, जो बीटीएडी के बाहर वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के लिए अधिकार प्रदान करती है. अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार-


असम सरकार बोडो भाषा को राज्य में सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में अधिसूचित करेगी और बोडो माध्यम स्कूलों के लिए एक अलग निदेशालय की स्थापना करेगी.


वर्तमान निपटान के बाद, SoO के तहत NDFB गुट हिंसा का रास्ता छोड़ देंगे, अपने हथियारों का आत्मसमर्पण करेंगे और इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक महीने के भीतर अपने सशस्त्र संगठनों को विस्थापित कर देंगे. भारत सरकार और असम इन गुटों के परामर्श से एनडीएफबी (पी), एनडीएफबी (आरडी) और एनडीएफबी (एस) के लगभग 2,000 कैडरों के पुनर्वास के लिए आवश्यक उपाय करेगा.


सरकार द्वारा 1500 करोड़ रुपये का विशेष विकास पैकेज दिया गया है जिसके तहत भारत सरकार और असम में बोडो क्षेत्रों के विकास के लिए विशिष्ट परियोजनाएं शुरू करने का लक्ष्य है.