नई दिल्ली: 185 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाले फोनी चक्रवात का सामना मई महीने में पिछले साल भारत ने किया था. 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाले उम्पुन तूफान का सामना 20 मई को भारत ने किया था. अब देश के पश्चिमी हिस्से में 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाला चक्रवाती तूफान निसर्ग आ रहा है. अरब सागर में उठती लहरें अब महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा और दमन के कई इलाकों में पहुंचने वाले निसर्ग तूफान की दस्तक हैं. लेकिन आज निसर्ग तूफान हो या कोई और भारत ने तूफानों से लड़ना सीख लिया है. ऐसा कहने की वजह है 21 साल पहले और आज के तूफानों की तबाही का अध्ययन. तारीख थी 29 अक्टूबर और साल था 1999. 21 साल पहले ओड़िशा में आए सुपर साइक्लोन यानी महा तूफान ने 10,000 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी.



21 साल पहले आए सुपर साइक्लोन ने ओडिशा में तबाही मचाने के बाद खाने के लिए दंगे तक करा दिए थे लेकिन अब भारत में चक्रवाती तूफान की रफ्तार चाहे जितनी तेज हों, वो घर गिरा सकते हैं, बस क्रेन, दरवाजे उड़ा सकते हैं. लेकिन आम आदमी की जान बचाने के लिए आपदा प्रबंधन भारत सीख चुका है. जैसे निसर्ग तूफान को लेकर मुंबई अलर्ट पर है. मौसम विभाग ने महाराष्ट्र और गुजरात के समुद्र से सटे तटीय इलाकों में चक्रवाती तूफान के लिए रेट अलर्ट जारी कर दिया है. अलर्ट मिलना पहले मुश्किल होता था. पहले भारत के पास तूफान की रफ्तार और दिशा को लेकर सटीक अनुमान लगाना मुश्किल होता था जिसके कारण भारी तबाही का सामना भारत करता रहा.



-1990 में आए तूफान ने आंध्र में 1000 से ज्यादा लोगों को मौत बांटी थी.
-ओडिशा में 1999 के चक्रवाती तूफान ने 10 हजार लोगों की जान ली थी.
-1996 में आंध्र प्रदेश में तूफान ने 1077 लोगों की जिंदगी छीन ली थी.
-लेकिन अब भारत में आने वाले चक्रवाती तूफान से आम आदमी की जान कम जाती है.
-2019 में फोनी तूफान से पहले के मुकाबले ओडिशा में 64 लोगों को ही जान गंवानी पड़ी थी.
-मई महीने में आए उम्पुन तूफान के कारण भी सैकड़ों नहीं 80 लोगों की जान गई.



ऐसे में जब बुधवार को निसर्ग तूफान बढ़ता चला आ रहा है तो आपको हमारे साथ जानना जरूरी है कि भारत के कौन से विज्ञान ने तूफानों का गणित भूगोल तबाही के नक्शे पर बदल दिया. अर्थ साइंस मंत्रालय के मुताबिक दुनिया में भारत के पास साइक्लोन के बारे में पहले से जानकारी देने वाली बेहतर तकनीक है. भारत वो सिस्टम इस्तेमाल करता है जो 12 किमी के इलाके का अनुमान लगा लेता है. भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन के मौसम विभाग के साथ गठबंधन किया है. ऐसे ही गठबंधन के कारण जब मई महीने में पिछले साल फोनी तूफान ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में बड़ी बड़ी गाडियों और इमारतों को हिलाना शुरु किया, तब भी मौसम विभाग के सटीक आकलन के कारण लोगों का वक्त रहते रेस्क्यू कराके जान के बड़े नुकसान से भारत बचा और भारत की इसी ताकत के दम पर भारत समुद्री किनारों को पूरी तरह खाली कराके लोगों को सुरक्षित जगह भेजने में जुटा है ताकि निसर्ग तूफान कोई भारी मानवीय तबाही ना मचा सके. समुद्री तट से सटे राज्यों को आगाह करने के लिए तीन स्तर पर सिस्टम काम करता है. अक्टूबर 2018 से केरल के तिरुवनंतपुर में साइक्लोन वॉर्निंग सिस्टम काम करना शुरु कर चुका है. कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, विखाशापतनम, भुवनेश्वर, अहमदाबाद में भी साइक्लोन वॉर्निंग सेंटर बने हुए हैं , जिससे समुद्री तट के राज्यों में साइक्लोन वॉर्निंग में अहम जानकारी मिलती है.