नई दिल्ली: आजाद भारत में हर साल गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर देश की आन, बान और शान का शानदार नजारा देखने को मिलता है. जिसमें भारत की अनूठी एकता में पिरोई विविधताओं वाली विरासत, आधुनिक युग की विभिन्न क्षेत्रों की उसकी उपलब्धियां और देश की सुरक्षा की गारंटी देने वाली फौज की क्षमता का भव्य प्रदर्शन होता है.
ऐसा होता है दिल्ली में गणतंत्र दिवस का समारोह
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह पर भारत के राष्ट्रपति भारतीय राष्ट्र ध्वज को फहराते हैं और इसके बाद सामूहिक रूप में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है. इस अवसर पर हर साल इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक एक भव्य परेड का आयोजन किया जाता है. इस भव्य परेड में भारतीय सेना के तीनों रेजिमेंट थलसेना, वायुसेना और नौसेना भाग लेते हैं.
इतिहास के झरोखे में गणतंत्र दिवस समारोह
गणतंत्र दिवस के बारे में एक दिलचस्प बात यह भी है कि देश की राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी 1950 को पहले गणतंत्र दिवस का आयोजन राजपथ की बजाय इर्विन स्टेडियम (वर्तमान में नेशनल स्टेडियम) में हुआ था. आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि साल 1950 से लेकर 1954 तक गणतंत्र दिवस का समारोह कभी इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में हुआ था न कि राजपथ पर. साल 1955 से ही राजपथ पर नियमित रूप से गणतंत्र दिवस परेड की शुरूआत हुई. तब से लेकर आज तक ऐसा ही लगातार हो रहा है कि गणतंत्र दिवस परेड की शुरूआत रायसीना हिल्स से होती है और वह राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला तक जाती है.
2016 में पहली बार किसी विदेशी टुकड़ी ने लिया हिस्सा
साल 2016 में गणतंत्र दिवस परेड के इतिहास में पहली बार राजपथ पर भारतीय जवानों के साथ फ्रांस के सैनिकों ने कदमताल मिलाया. 67वें गणतंत्र दिवस परेड में ऐसा पहली बार देखने को मिला जब किसी विदेशी सेना ने परेड में हिस्सा लिया. इस दौरान 26 जनवरी को भारत के मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद थे.