Special Marriage Act: केरल का एक मुस्लिम कपल करेगा स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत दोबारा शादी, जानिए वजह
Special Marriage Act: शुक्कुर की चिंता यह है कि 1937 के मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट के तहत पिता की संपत्ति का केवल दो-तिहाई हिस्सा बेटियों के पास जाता है.
Kerala Couple Remarrying: केरल के कासरगोड जिले में एक मुस्लिम जोड़ा अपनी तीन बेटियों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) के तहत फिर से शादी करने जा रहा है. यह विवाह और कोई नहीं बल्कि एडवोकेट और अभिनेता सी शुक्कुर करने जा रहे हैं. शुक्कुर को बोबन अभिनीत फिल्म 'नना थान केस कोडू' (सू मी देन) में एक वकील के रूप में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है. उनकी पत्नी शीना महात्मा गांधी विश्वविद्यालय की पूर्व वाइस चांसलर रही हैं. दोनों ही आज (8 मार्च) शादी करेंगे. उन्होंने कहा कि वह अपनी बेटियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए फिर से शादी कर रहे हैं.
पश्चिमी देशों में और कुछ हिंदू जातियों में जोड़े अक्सर अपनी वैवाहिक जीवन के कुछ साल पूरे होने के बाद अपने जीवनसाथी से दोबारा शादी करते हैं, लेकिन यह जोड़ा मुस्लिम विरासत कानूनों की कुछ शर्तों की वजह से अपनी शादी को फिर से रजिस्टर कराने के लिए दोबारा शादी करने जा रहा है. जिन कानूनों में कहा गया है कि बेटियों को अपने पिता की संपत्ति का केवल दो-तिहाई हिस्सा मिलेगा और बाकी पुरुष उत्तराधिकारी की अनुपस्थिति में उसके भाइयों के पास जाएगा.
बेटियों के लिए कर रहे दूसरी बार शादी
एक फेसबुक पोस्ट में शुक्कुर ने कहा कि उनके अनुभवों ने उन्हें यह सोचने के लिए मजबूर किया कि वह अपनी बेटियों के लिए क्या छोड़ रहे हैं और क्या वे उनकी बेटियों को उनकी सारी बचत और संपत्ति मिलेगी. शुक्कुर की चिंता यह थी कि 1937 के मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट और अदालतों की तरफ से लिए गए स्टैंड के अनुसार पिता की संपत्ति का केवल दो-तिहाई हिस्सा बेटियों के पास जाता है, जबकि बाकी पुरुष संतान न होने पर उसके भाइयों के पास जाता है.
लड़कियों के आत्मविश्वास को मिलेगा बढ़ावा
उन्होंने बताया कि शरिया कानून के तहत वसीयत छोड़ने की अनुमति नहीं है. शुक्कुर के अनुसार इस दुर्दशा से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका एसएमए के तहत शादी करना है. इसलिए उन्हें उम्मीद है कि उनका फैसला मुस्लिम परिवारों में बेटियों के साथ होने वाले लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने का रास्ता दिखाएगा और लड़कियों के आत्मविश्वास और सम्मान को बढ़ाने में मदद करेगा.
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