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स्पेशल रिपोर्ट: अपनी फसल बर्बाद करके शिमला की प्यास बुझा रहे हैं हिमाचल के किसान

शिमला में पिछले 10 दिन से पानी का ज़बरदस्त संकट चल रहा है. वहां के लोग पानी की बूंद बूंद के लिए तरस रहे है. ऐसे में हिमाचल के किसान अपनी फसलों का पानी शिमला पंहुचा रहे हैं.

शिमला: पिछले 10 दिन से हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला पानी के संकट से जूझ रही है. लेकिन इन 10 दिनों में जो कुछ थोड़ा बहुत पानी शिमला को मिल रहा है उसकी कीमत भी बड़ी है. हिमाचल के किसान अपनी फसल बर्बाद करके शिमला की जनता की प्यास बुझा रहे हैं. अपनी फसलों का पानी किसान शिमला पंहुचा रहे हैं. दरअसल शिमला में पिछले 10 दिन से पानी का ज़बरदस्त संकट चल रहा है. इन 10 दिनों से शिमला की जनता बूंद बूंद के लिए तरस रही है. आंकड़ो के ज़रिए समझे शिमला में पानी का संकट शिमला की प्यास बुझाने के लिए किसान किस तरह भूमिका निभा रहे हैं वो बताएंगे लेकिन उससे पहले आंकड़ो के ज़रिए समझते हैं कि शिमला कितने बड़े पानी के संकट से जूझ रहा है? शिमला में पानी की पूर्ति कहां से और कैसे होती है. शिमला की करीब ढाई लाख आबादी के लिए रोज़ 45 मिलियन लीटर पानी की ज़रूरत होती है. इसमें 22 मिलियन लीटर पानी गुमा परियोजना और 20 मिलियन पानी गिरी परियोजना से आता है. बाक़ी पानी छोटी बड़ी 5 और परियोजना से मिलता है. लेकिन पिछले 10 दिनों से शिमला को 15 से 18 मिलियन लीटर पानी मिल पा रहा. गिरी परियोजना पर पंहुचा एबीपी न्यूज परियोजना के क्या हालात हैं? नदियों का क्या स्तर है ये जानने के लिए हम शिमला से 50 किलोमीटर दूर गिरी परियोजना पर पंहुचे. गिरी नदी पर बनी ये परियोजना के हालात बेहद चौकाने वाले थे. इस नदी का मौजूदा स्तर शून्य है. नदी पूरी तरह सूख चुकी है. सामान्य तौर पर 7-8 फिट पानी का स्तर रहता है. इस परियोजना का जायज़ा लेने पंहुचे सिंचाई मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया दो सालों से बारिश और बर्फबारी की कमी से भारी गिरावट आयी है।.20 mld पानी जो उठाते थे आज बड़ी मुश्किल से 9-10 mld पानी उठा रहे हैं. गिरी परियोजना से ही खेती के लिए पानी मिलता है इस परियोजना के आसपास की पंचायतों के किसानों को गिरी परियोजना से ही खेती के लिए पानी मिलता है. शिमला को जो पानी अभी मिल रहा है उसमें हिमाचल के किसान बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. शिमला से करीब 50 किलो मीटर दूर ठियोग तहसील की सेंज पंचायत का गांव है लिलिपुल. इस पंचायत के किसानों से प्रशासन ने एक समझौता किया है. जिसके अनुसार सेंज पंचायत में मौजूद गिरी जल आपूर्ति परियोजना से सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक यानि 17 घंटे पानी शिमला पंहुचाया जाएगा जबकि किसानो को रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक यानि 7 घंटे पानी मिलेगा. पानी के घंटे में कटौती से किसानों की फसल बर्बाद हो रही है. खराब हैं हालात, किसानों को हो रहा है नुकसान लिलिपुल गांव के किसान प्रेम दत्त ने ढाई बीघा ज़मीन पर फूल गोभी की बुआई की थी लेकिन पिछले 8 दिन में हुई पानी की कटौती से फसल बर्बाद हो गयी है. फसल पूरी तरह सूख गयी है. प्रेम दत्त ने बताया कि करीब दो लाख रुपए के नुकसान का अनुमान है. हमने इंसानियत के नाते ये फैसला लिया की पहले लोगों को पीने के लिए पानी मिले. किसान बताते हैं कि प्रशासन ने वादा किया था कि 10 दिन के भीतर सर्वेक्षण करके बर्बाद हुई फसल का मुआवजा दिया जाएगा. 8 दिन गुज़र गए लेकिन अभी तक कोई प्रशासन का आदमी सर्वेक्षण के लिए नहीं पंहुचा. लिलिपुल गांव के ही एक दूसरे किसान हरिनन्द हैं. इन्होंने भी फूल गोभी लगाई थी. हरिनन्द बताते हैं कि डेढ़ लाख से ऊपर का नुकसान हो रहा है. अगर पानी नहीं मिलता है तो अगली फसल के लिए भी नुकसान उठाना पड़ेगा. सरकार से लोन लिया लेकिन आज उस लोन को लौटना मुश्किल हो गया है. फसल बर्बाद हुई. एक तो हम बारिश हुई दूसरा हमने अपना पानी शिमला को दिया. 7 घंटे पानी का वादा था लेकिन वो भी पूरा नहीं हो रहा है. प्रशासन ने जल्द सर्वेक्षण करके मुआवज़े देने का वादा किया है. पानी के लिए हुआ है समझौता सेंज पंचायत के प्रधान राजेन्द्र शर्मा से हमने समझौते के बारे में जाना. राजेन्द्र शर्मा ने बताया की sdm साहब और adm शिमला से आये थे. शिमला में पेयजल के संकट हो रहा था. समझौता ये हुआ कि 17 घण्टे शिमला पानी जाएगा 7 घंटे खेती के लिए पानी मिलेगा. प्रशासन ने वादा किया है कि 10 दिन के भीतर सर्वेक्षण का काम होगा लेकिन मुआवजा कब दिया जाएगा इसका पता नहीं लेकिन अभी तक सर्वेक्षण नहीं हुआ है. सेंज में करीब 200 किसान परिवार हैं प्रशासन ने सेंज की ही तरह गिरी नदी से लगने वाली बलघार, बलक और घूड़ पंचायत के साथ भी यही समझौता हुआ. सेंज में करीब 200 किसान परिवार हैं. इन चारों पंचायत में किसानों को संख्या हज़ारों में पंहुचती है. इसी तरह का एक समझौता सरकार ने शिमला के लिए पानी पंहुचाने वाली दूसरी गुमा परियोजना के आसपास रहने वाले किसानों के साथ किया है.वहां कल सिंचाई मंत्री खुद किसानों से बात करने गए थे. सिंचाई मंत्री महेंद्र ठाकुर ने कहा- ऐसी किल्लत पहली बार हुई है सिंचाई मंत्री महेंद्र ठाकुर ने कहा कि पिछले साल तक जब पानी कम होता था तो 29 mld तक था लेकिन ऐसी किल्लत पहली बार हुई है. इस बार 19 mld तक पानी पंहुचाया है. मंत्री ने भी किसानों से हुए समझौते के बारे में बताया. किसानों की इस कुर्बानी का फायदा दिख भी रहा है. सिंचाई मंत्री ने बताया की गुमा परियोजना से हमारा 1 mld पानी बढ़ा है और उम्मीद है कल को दो mld पानी बढ़ेगा. मंत्री जी कह रहे हैं कि सरकार लगातार प्रयास कर रही है.पीने के पानी की परियोजना करीब 9 हज़ार हैं और सिंचाई की परियोजना 4 हज़ार है. सभी के स्तर में गिरावट आयी है. ऐसा घोर संकट पूरे शिमला के अंदर है.
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