नई दिल्ली: चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी का एनडीए से अलग होना तय है. टीडीपी आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही है लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज साफ कर दिया कि आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देना संभव नहीं है. विशेष राज्य से मतलब स्पेशल आर्थिक पैकेज होता है जो हर राज्य को दिया जाना संभव नहीं है.
वित्त मंत्री ने कहा, ''डिवीजन के दौरान आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य देने का वादा किया गया था तब विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रावधान होता था. 14वें वित्तीय आयोग की रिपोर्ट आई जो संवैधानिक है, उसमें कहा गया कि ऐसा दर्जा नहीं दिया जा सकता.''
नायडू सोमवार तक कर सकते हैं अलग होने का एलान
एबीपी न्यूज को मिली जानकारी के मुताबिक विशेष राज्य का दर्जा ना दिए जाने से नाराज चंद्रबाबू नायडू सोमवार तक एनडीए से अलग होने का एलान कर देंगे. मोदी सरकार में टीडीपी के दो मंत्री हैं. विमान मंत्री अशोक गजपति राजू से जब मीडिया ने सवाल करना चाहा तो वो कार का शीशा बंद कर चलते बने.
टीडीपी के दोनों मंत्री देंगे इस्तीफा, कांग्रेस के साथ जा सकती है पार्टी
विज्ञान और तकनीकी राज्य मंत्री वाई एस चौधरी भी टीडीपी के सांसद हैं. खबर है कि दोनों मंत्री मोदी सरकार से इस्तीफा देंगे. चंद्रबाबू नायडू के सांसद 13 मार्च को होने वाले सोनिया गांधी के भोज में भी शामिल हो सकते हैं. यानी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर चंद्रबाबू की पार्टी पाला बदलकर कांग्रेस के साथ जा सकती है.
TDP के जाने के बाद YRS कांग्रेस से हाथ मिला सकती है BJP
चंद्रबाबू नायडू पहले भी एनडीए से एक बार बाहर जा चुके हैं. चंद्रबाबू नायडू अगर कांग्रेस से हाथ मिलाते हैं तो बीजेपी भी नए विकल्प पर विचार करेगी. नायडू की पार्टी के अलावा वाईएसआर कांग्रेस इस वक्त आंध्र में काफी मजबूत पार्टी है. ऐसे में बीजेपी और वाईएसआर कांग्रेस 2019 के लिए साथ आ सकते हैं.
ये है आंध्र प्रदेश की सीटों का हिसाब
2014 के लोकसभा चुनाव में आंध्र की 25 सीटों में से टीडीपी को 15, वाईएसआर कांग्रेस को 8 और बीजेपी को 2 सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस का न तो लोकसभा में खाता खुला था और ना ही विधानसभा में ही. अब कांग्रेस को साझेदार की तलाश है तो टीडीपी के हटने के बाद बीजेपी को भी मजबूत साथी चाहिए. यानी राज्य में ये दो खेमा बन सकता है.
टीडीपी का साथ छूटने से क्या होगा?
2014 में आंध्र के चुनाव में चार प्लेयर थे. टीडीपी और बीजेपी साथ थी जबकि कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस अलग अलग थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में टीडीपी को 29 फीसदी और बीजेपी को 8.5 फीसदी वोट मिले थे. जबकि वाईएसआर कांग्रेस को भी 29 फीसदी वोट मिले थे और कांग्रेस को यहां 11.5 फीसदी वोट मिले थे.
आंध्र में बीजेपी अकेले किसी का मुकाबला नहीं कर सकती. इसलिए टीडीपी का साथ छूटता है तो वाईएसआर कांग्रेस से इसका गठबंधन तय है. इसका फायदा आंध्र और तेलंगाना दोनों में होगा.