विशेष: Thermal Gun कोरोना को पकड़ने का छलावा है या सच्चाई? क्या देश में गलत तरीके से कोरोना खोजा जा रहा है?
कौन सी डिवाइस है जिसको चीन, इटली में कोरोना की जांच के दौरान लोगों के माथे पर रखा जाता है और फिर मान लिया जाता है कि सामने खड़ा शख्स कोरोना संदिग्ध है या फिर नहीं ?
नई दिल्ली: 2020 के पहले महीने यानी जनवरी के आखिरी हफ्ते के बाद पूरी दुनिया में चीन और चीन में खासकर वुहान से ऐसी तस्वीरें सामने आने लगीं. ऐसे तमाम वीडियो के बीच ये बात दुनिया को पता चली थी कि चीन के वुहान से कोरोना वायरस का खतरा फैलना शुरु हो रहा है और तब दुनिया ने पहली बार चीन समेत कोरोना प्रभावित दूसरे देशों में एक बन्दूकनुमा उपकरण देखा. भारत समेत कई देशों के नागरिकों के मन में ये जिज्ञासा जनवरी के आखिरी हफ्ते से फरवरी और मार्च के शुरुआती हफ्ते तक रही कि आखिर ये कौन सा उपकरण है, कौन सी डिवाइस है जिसको चीन, इटली में कोरोना की जांच के दौरान लोगों के माथे पर रखा जाता है और फिर मान लिया जाता है कि सामने खड़ा शख्स कोरोना संदिग्ध है या फिर नहीं ?
यही उपकरण भारत में भी कोरोना संदिग्धों को जांचने का सबसे बड़ा हथियार भारत में बना जिसके बारे में पता चला कि ये थर्मल स्कैनिंग गन है. एक ऐसा थर्मोमीटर- जो सामने खड़े शख्स को बिना छुए उसके शरीर का तापमान डिजिटल डिस्पेल पर दिखा देता है. इसके बाद तो देश में बड़े से बड़े सरकारी दफ्तर के बाहर इसी थर्मल गन को कोरोना संदिग्ध को पहचानने या पकड़ने का सबसे बड़ा हथियार मान लिया गया?
लॉकडाउन चार में शर्तों के साथ दफ्तर खुलने लगे तो इसी थर्मल स्कैनिंग गन के जरिए कर्मचारियों को दफ्तर में आने या रोकने का फैसला होने लगा. एक थर्मल गन से अगर आम आदमी के शरीर का तापमान 100 या उससे ऊपर दिखता है तो उसे कोरोना संदिग्ध मान लिया जाता है. इसी थर्मल गन से आम आदमी के शरीर का तापमान 100 से नीचे दिखता है तो उसे कहीं भी दाखिल होने की छूट मिलती है, क्योंकि उसे कोरोना संदिग्ध ना मानने का सर्टिफिकेट इस थर्मल गन से मिल जाता है. लेकिन जब देश में अब 1 दिन में 5000 से ज्यादा कोरोना केस आने लगे हैं.
अब भारत में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 1 लाख के पार हो रहा है. तब क्या ये मान लें कि सिर्फ एक थर्मल स्क्रीनिंग गन से कोरोना संदिग्ध का पता चल जाता है? ऐसा तो नहीं कि हमारे देश में थर्मल स्क्रीनिंग सिर्फ औपचारिकता के नाम पर इस्तेमाल हो रही? ऐसा तो नहीं कि थर्मल स्कैनिंग गन के भरोसे बैठकर बहुत बड़ी चूक हो रही है? ऐसा तो नहीं कि देश में थर्मल स्कैनिंग गलत तरीके से की जा रही है?
गाजियाबाद का रामलीला मैदान में सैकड़ों मजदूरों की भीड़ बिहार की ट्रेन में जगह पाने के लिए रजिस्ट्रेशन के लिए जुटती है. रजिस्ट्रेशन के दौरान मजदूरों को यात्रा करने लायक कोरोना मुक्त यानि स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र बांटा जाता है और मजदूरों की जांच इस प्रकार होती है-एक शख्स के हाथ में थर्मल स्कैनिंग गन यानी शरीर का तापमान बिना शरीर को छुए नापने वाली डिवाइस होती है और एक ये एक फीट से ज्यादा दूरी से लोगों के माथे की तरफ निशाना साधते थर्मल स्कैनिंग गन को तानता है और सेकंड से भी कम वक्त के बीच लोगों के तापमान को नापकर इन्हें कोरोना संदिग्ध होने के ठप्पे से मुक्ति का सर्टिफिकेट दे दिया जाता है.
मेडिकल साइंस के मुताबिक मनुष्य के शरीर का तापमान अगर 98.6 डिग्री फैरेनहाइट आता है तो सामान्य है. अगर शरीर का टेंपरेचर 95 डिग्री फैरेनहाइट से नीचे जाता है तो ये सामान्य नहीं. इसे Hypothermia कहते हैं. अगर शरीर का तापमान 100 डिग्री फैरेनहाइट आता है तो इसे बुखार की श्रेणी में माना जाता है. अब चूंकि देश में कोरोना संदिग्ध कौन है या कौन नहीं इसको जांचने का पहला सबसे बड़ा तरीका शरीर का तापमान नापना ही माना जा रहा है तो आखिर थर्मल स्कैनिंग गन क्या इस भरोसे लायक है ? देश को सावधान करती पड़ताल के लिए ABP न्यूज़ की टीम ने दो एक्सपर्ट डॉक्टर का पैनल साथ लिया. डॉक्टर नवदीप कुमार जो MBBS MD हैं. डॉक्टर अंकुश गर्ग जो इंटर्नल मेडिसिन के एक्सपर्ट डॉक्टर हैं और सिस्टर पर्सी जो एक प्रशिक्षित सीनियस नर्स हैं. फिर एक कमरे के भीतर सुरक्षा प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए इंद्रजीत राय ने कोरोना के नाम पर थर्मल स्कैनिंग गन के उस इंद्रजाल को खोलने का फैसला किया, जिसके भरोसे देश कोरोना से लड़ रहा है.
ABP न्यूज़ की टीम ने थर्मल स्कैनिंग गन का सच देश को दिखाने के लिए 1 व्यक्ति के तापमान को 3 दूरियों से 2 कंपनी की थर्मल स्कैनिंग गन से जांचना शुरु किया. एक व्यक्ति के एक ही थर्मल स्कैनिंग गन से तीन दूरी पर तीन अलग तापमान-तो सही कौन सा है? चौंकना तब पड़ा जब दो एक्सपर्ट डॉक्टर्स के सामने सिस्टर पर्सी और संवाददाता इंद्रजीत राय ने इन्हीं का तापमान दूसरी कंपनी के थर्मल स्कैनिंग गन से नापा? झारखंड के पलामू से राजस्थान से लौटे मजदूरों की स्वास्थ्य जांच हो रही है. स्वास्थ्य कर्मचारी थर्मल स्कैनिंग गन के जरिए तापमान नापकर देख रहे हैं. शरीर का तापमान सौ डिग्री फैरेनहाइट से नीचे है तो फिर हाथ पर सेल्फ क्वारंटीन की मुहर लगाकर जाने दिया जा रहा है. लेकिन अगर यहीं पर किसी मजदूर के शरीर का तापमान थर्मल स्कैनिंग गन पर सौ डिग्री फैरेनहाइट या उससे ऊपर आता है तो उसे कोरोना संदिग्ध मानकर सरकारी क्वारंटीन सेंटर में कोरोना की दूसरी जांच के लिए भेज दिया जाएगा? तो क्या थर्मल स्कैनिंग गन हमेशा सही तापमान बताती है ?
ABP न्यूज़ की टीम ने एक्सपर्ट डॉक्टर्स की निगरानी में दूसरे व्यक्ति के शरीर का तापमान दो थर्मल स्कैनिंग गन से तीन दूरियों पर नापना शुरु किया. 3 सेमी: 95.7, 15 सेमी: 94.3, 30 सेमी: 92.5. दूरी बढ़ाने पर तीन से साढ़े तीन डिग्री का फर्क आ जाता है. जब उसी व्यक्ति का दूसरी कंपनी की थर्मल स्कैनिंग गन से समान दूरियों पर तापमान नापा तो देखिए क्या नतीजा आया- 3 सेमी पर 98.7, 15 सेमी पर 97.8, 30 सेमी पर 95.9. सीधे सवाल उठते हैं कि क्या दूरी बदलने से तापमान अलग अलग आता है? दूरी बदलने से तापमान बदल जाता है तो क्या देश में स्क्रीनिंग की निश्चित दूरी तय हुई है? थर्मल स्कैनिंग में अंतर कितना आना मान्य होता है ?
डॉक्टर नवदीप का मानना है कि थर्मल स्कैनिंग में तापमान का अंतर 0.5 डिग्री से ज्यादा नहीं होना चाहिए, देश में अभी लोग नहीं जानते हैं कि कितनी दूरी से नापना चाहिए. अभी देश में थर्मल स्क्रीनिंग को लेकर कोई गाइडलाइंस नहीं हैं, थर्मल स्क्रीनिंग में तापमान में फर्क आने का मुद्दा महत्वपूर्ण है. डॉक्टर नवदीप ने जिस बात की तरफ इशारा किया है उसे समझने की ज़रुरत है. देखिए एक बार फिर 18 मई की ही रामलीला मैदान में थर्मल स्कैनिंग गन से तापमान नापने की प्रक्रिया को. ऊंचाई पर खड़ा शख्स, एक फीट से ज्यादा दूरी पर खड़ा होकर माथे पर स्कैनिंग गन को तानकर अलग अलग तापमान ले रहा है. क्या इस तरीके से सही टेंपरेचर मजदूरों के शरीर का पता चला होगा? क्या ऐसे में कोई कोरोना संदिग्ध बचकर निकल नहीं गया होगा?
मान लीजिए 101 डिग्री बुखार है, कोविड का लक्षण है, टेंपरेचर 2 डिग्री कम दिखा दे वो भीड़ से बच जाए या किसी का 97 डिग्री हो 2 डिग्री ज्यादा दिखा दे तो वो संदेह के घेरे में आ जाएगा. जैसे इसी कमरे के भीतर जब सिस्टर पर्सी और ABP न्यूज़ की टीम ने दो थर्मल स्कैनिंग गन से एक समान दूरी 3 सेमी पर इन महिला का तापमान जांचा तो देखिए क्या पता चला? 3 सेमी पर 97.5, 3 सेमी पर 101.1 आया. अब एक थर्मल स्कैनिंग गन कहती है कि इन्हें बुखार है. यानि ये कोरोना संदिग्ध मानी जा सकती हैं ? लेकिन क्या वाकई ऐसा है ? या फिर थर्मल स्कैनिंग गन देश में सही नतीजा नहीं दिखा रही हैं?
सोचने वाली बात है कि जब व्यस्थित तरीके से एक समान वातावरण के भीतर डॉक्टरों की निगरानी में जांच करने के दौरान सामान्य तापमान वाली महिला को थर्मल स्कैनिंग गन कोरोना संदिग्ध बता सकती है, तो फिर क्या रेलवे स्टेशन से लेकर रामलीला मैदान तक हम सभी के दफ्तर से लेकर बाजार तक. क्या कोरोना को पकड़ने वाला सबसे बड़ा हथियार विश्वसनीय है?
कई कंपनियों की थर्मल स्कैनिंग गन पर आम लोगों का तापमान 88 डिग्री, 87 डिग्री, 90 डिग्री फैरेनहाइट दिखाता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि 95 डिग्री फैरेनहाइट से नीचे तापमान शरीर का आए तो वो इंसान कोमा में जाने की हालत में माना जाएगा. यानी ऐसा टेंपरेंचर बताने वाली कंपनियों की थर्मल स्कैनिंग गन में या तापमान लेने के तरीके में कोई खामी है. दावा है ऐसी खामियों के बीच ही देश में कोरोना को रोकने का जिम्मा थर्मल स्कैनिंग गन पर है ?
ABP न्यूज़ की टीम ने दो थर्मल स्कैनिंग गन से तीन दूरियों पर 10 लोगों का छह बार तापमान नापा. यानी 60 रीडिंग लीं और पूरा रिकॉर्ड सामने रखकर अब एक्सपर्ट डॉक्टर से सच समझना शुरु किया. एक्सपर्ट डॉक्टर बताते हैं कि थर्मल स्क्रीनिंग में थर्मल गन इंसान के माथे से करीब 3 से पांच सेंटीमीटर दूर होनी चाहिए. जहां थर्मल स्क्रीनिंग हो रही है, वहां का तापमान 15 से 40 डिग्री के बीच होना चाहिए. लेकिन आप खुद सोचिये क्या ऐसा होता है ? दिल्ली-नोएडा के बॉर्डर पर ABP न्यूज़ की टीम ने पाया कि 3 सेंटीमीटर छोड़िए 300 सेंटीमीटर की दूरी से थर्मल स्क्रीनिंग की जाती दिखी. मेडिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि तापमान सिर के ऊपर माथे पर यानी खुले हुए हिस्से का ही लेना चाहिए. लेकिन यहां कर्मचारी हाथ पर शर्ट के ऊपर से तापमान लेते दिखे. हेलमेट के ऊपर टेंपरेंचर नापते नजर आए. अब आप सोचिए इस तरह तापमान नापा जाएगा तो क्या कोरोना संदिग्ध को पकड़ पाएंगे ? इसीलिए ABP न्यूज़ की टीम ने पता किया कि क्या हमारे देश में थर्मल स्कैनिंग गन के इस्तेमाल को लेकर कोई गाइडलाइंस हैं ? स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कोरोना के संकट काल में थर्मल स्क्रीनिंग को लेकर कोई गाइडलाइंस नहीं जारी हुई हैं. हमने जानना चाहा कि कितनी दूरी से तापमान नापना चाहिए क्या इसको लेकर नियम बनाए गए हैं तो पता चला कि सरकारों की तरफ से दूरी को लेकर भी कोई गाइडलाइंस नहीं दी गई हैं.
जो जांच पूरी स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में या स्वास्थ्य विभाग की ट्रेनिंग के बाद होनी चाहिए, वो थर्मल स्क्रीनिंग अभी देश में किसी के भी भरोसे छोड़ दी गई है. कहीं कांस्टेबल, कहीं शिक्षक, कहीं सिक्योरिटी गार्ड आधी अधूरी जानकारी के साथ कोरोना संदिग्ध और कोरोना मुक्त आदमी की मुहर लगा रहे हैं. डॉक्टर नवदीप कहते हैं कि थर्मल स्क्रीनिंग पर हम पूरी तरह निर्भर हैं, कड़ी गाइडलाइंस होनी चाहिए कंपनी के लिए, सरकार आइडियल डिस्टेंस बताए, पुलिस, सिक्योरिटी गार्ड कोई भी स्पेसिफिक दूरी से जांच नहीं करता है. संभव है कि इसी कारण देश में थर्मल स्क्रीनिंग के बावजूद लोग बाद में कोरोना पॉजिटिव निकल रहे हैं. संभव है सही तरीका और पूरी गाइडलाइंस ना होने से सिर्फ थर्मल स्कैनिंग औपचारिकता बनकर रह गई है. खामियाजा हमको, आपको, देश को उठाना पड़ रहा है.
इस पूरी परिस्थिति को देखते हुए ऐसा ज़रूरी है कि स्वास्थ्य विभाग थर्मल स्कैनिंग गन के इस्तेमाल को लेकर गाइडलाइंस जारी करे. स्वास्थ्य विभाग से ट्रेनिंग पाए लोग ही थर्मल स्कैनिंग गन से परीक्षण करें. सरकारें खुद बताएं कि कौन सी कंपनी की थर्मल स्कैनिंग गन एप्रूव्ड है.