उत्तराखंड में सियासी सस्पेंस: विधायक मुन्ना चौहान का दावा- सीएम को पार्टी का पूरा समर्थन, रावत ने बुलाई बैठक
आज सीएम रावत वापस उत्तराखंड लौटेंगे. वहां उन्होंने अपने आवास पर एक मीटिंग बुलाई है. इस मीटिंग में विधायकों के अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष और मेयर को भी बुलाया गया है.त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ विधायकों की नाराजगी की खबरें लंबे समय से आ रही थी और केंद्रीय नेतृत्व किसी भी हाल में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले कोई रिस्क नहीं लेना चाहता.
देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में शुरु हुई उठा पठक अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह की कुर्सी बनी रहेगी या जाएगी, अभी ये सस्पेंस बरकरार है. इस बीच बीजेपी के विधायक और उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मुन्ना चौहान ने दावा किया है कि सीएम रावत को पार्टी का पूरा समर्थन है. उन्होंने यह भी कहा कि देहरादून में विधायक दल की औपचारिक बैठक नहीं हुई है.
सियासी सस्पेंस के बीच कल दिल्ली पहुंचे थे रावत
इससे पहले अटकलें थीं कि सीएम रावत ने शक्ति प्रदर्शन के लिए देहरादून में विधायक दल की बैठक बुलाई है. लेकिन अब मुन्ना सिंह ने साफ कर दिया कि बैठक आधिकारिक नहीं है. कल सीएम रावत ऋषिकेश से होते हुए दिल्ली पहुंचे और धर्म गुरुओं से लेकर राजनीतिक गुरुओं से मुलाकात की. ऋषिकेश में सीएम रावत चुंचनगिरि महासंस्थान मठ के गुरूदेव श्री श्री बाल गंगाधरनाथ महा स्वामी से मिले. वहीं, जबकि रात होते-होते वह दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने उनके घर पहुंचे.
सीएम रावत ने अपने आवास पर बुलाई बैठक
आज सीएम रावत वापस उत्तराखंड लौटेंगे. वहां उन्होंने अपने आवास पर एक मीटिंग बुलाई है. इस मीटिंग में विधायकों के अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष और मेयर को भी बुलाया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री शक्ति प्रदर्शन करना चाहते हैं? अगर चुनाव से एक साल पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने का बड़ा फैसला लिया जाता है तो किसको मुख्यमंत्री का पद मिलेगा?
त्रिवेंद्र हटे तो कौन होगा सीएम?
इस रेस में नैनीताल से लोकसभा सांसद अजय भट्ट और उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अजय बलूनी का नाम सबसे आगे हैं. हालांकि उत्तराखंड बीजेपी के पूर्व सर्वेसर्वा और नैनीताल से बीजेपी सांसद अजय भट्ट अभी खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं.
बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ विधायकों की नाराजगी की खबरें लंबे समय से आ रही थी और केंद्रीय नेतृत्व किसी भी हाल में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले कोई रिस्क नहीं लेना चाहता.
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