Survey On Tobacco: पिछले 10 सालों में पान, तंबाकू और अन्य नशील पदार्थों की खपत में इजाफा हुआ है और लोग अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा ऐसे उत्पादों पर खर्च कर रहे है. इस बात का खुलासा एक सर्वे में हुआ है. पिछले सप्ताह जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 से पता चला कि कुल घरेलू खर्च के एक हिस्से के रूप में पान, तंबाकू और नशीले पदार्थों पर खर्च ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बढ़ गया है.


आंकड़ों से पता चला कि ग्रामीण इलाकों में इन आइटमों पर खर्च 2011-12 के 3.21 फीसदी से बढ़कर 2022-23 में 3.79 फीसदी हो गया है. इसी तरह, शहरी क्षेत्रों में इस पर खर्च 2011-12 में 1.61 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 2.43 प्रतिशत हो गया. हैरानी इस बात की है कि शहरी क्षेत्रों में शिक्षा पर खर्च का अनुपात घट गया है.


शहरी और ग्रामीण इलाकों में शिक्षा पर खर्च


शहरी इलाकों की अगर बात की जाए तो शिक्षा पर खर्च 2011-12 के 6.90 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 5.78 प्रतिशत हो गया है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात 2011-12 के 3.49 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 3.30 प्रतिशत हो गया है.


इस सर्वे को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने अगस्त 2022 से जुलाई 2023 तक घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) आयोजित किया.


पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड पर भी बढ़ा खर्च


सर्वे में यह भी पाया गया है कि शहरी क्षेत्रों में पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड पर खर्च 2011-12 में 8.98 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 10.64 प्रतिशत हो गया है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 2011-12 में 7.90 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 9.62 प्रतिशत हो गया.


इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में परिवहन पर खर्च भी 2011-12 में 6.52 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 8.59 प्रतिशत हो गया. ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह 2011-12 में 4.20 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 7.55 प्रतिशत हो गया है.


सरकारी सर्वे के मुताबिक, मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय (एमपीसीई) 2011-12 से 2022-23 की अवधि के दौरान दोगुना से भी ज्यादा हो गया.


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