मां बनना चाहती है ‘गंभीर’ कोरोना मरीज की पत्नी, हाई कोर्ट ने दिए शुक्राणु एकत्र करने के आदेश
याचिकाकर्ता का कहना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित उसके पति के कई अंगों ने काम करना बंद दिया है और वह जीवन रक्षक प्रणाली पर है. चिकित्सकों के अनुसार, मरीज के जीवित बचने की बहुत कम उम्मीद है.
अहमदाबाद: गुजरात में एक ‘गंभीर’ कोरोना मरीज की पत्नी मां बनना चाहती है, क्योंकि उसके पति के बचने की उम्मीद बेहद कम है. ये मामला हाई कोर्ट भी पहुंच गया है. मरीज की पत्नी ने कहा है कि मैं आईवीएफ/एआरटी प्रक्रिया के जरिए उसके बच्चे की मां बनना चाहती हूं, लेकिन अस्पताल इसकी अनुमति नहीं दे रहा, इसलिए मुझे अदालत का रुख करना पड़ा. जानिए इस मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने क्या कहा और क्या आदेश दिया.
ये एक असाधारण स्थिति- गुजरात हाई कोर्ट
गुजरात हाई कोर्ट ने इसे एक ‘‘असाधारण स्थिति’’ मानते हुए मामले में आदेश सुनाया. मरीज की पत्नी की याचिका पर तत्काल सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति जे. शास्त्री ने वडोदरा के एक अस्पताल को ‘आईवीएफ/असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी’ (एआरटी) प्रक्रिया के लिए मरीज के नमूने एकत्र करने और चिकित्सकीय सलाह के अनुसार इसे उचित स्थान पर रखने का निर्देश दिया.
अदालत ने कहा, ‘‘एक असाधारण महत्वपूर्ण स्थिति को देखते हुए अभी के लिए अंतरिम राहत दी जाती है और यह राहत याचिका की सुनवाई पूरी होने के बाद आने वाले फैसले के अधीन होगी.’’ अदालत ने राज्य सरकार और अस्पताल के निदेशक को नोटिस जारी कर 23 जुलाई तक मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने का भी कहा है.
मरीज के जीवित बचने की बहुत कम उम्मीद है- डॉक्टर्स
याचिकाकर्ता का कहना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित उसके पति के कई अंगों ने काम करना बंद दिया है और वह जीवन रक्षक प्रणाली पर है. चिकित्सकों के अनुसार, मरीज के जीवित बचने की बहुत कम उम्मीद है. अदालत ने याचिकाकर्ता और संवाद के लिए मौजूद सहायक सरकारी वकील को अस्पताल को आदेश की जानकारी देने का निर्देश दिया कि मरीज की नाजुक हालत देखते हुए उसके नमूनों को एकत्रित किया जाए.