श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, त्रावणकोर शाही परिवार का अधिकार रहेगा बरकरार
इस भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण 18वीं सदी में इसके मौजूदा स्वरूप में त्रावणकोर शाही परिवार ने कराया था, जिन्होंने 1947 से पहले तक दक्षिणी केरल और उससे लगे तमिलनाडु के कुछ भागों पर शासन किया था.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट का 31 जनवरी 2011 का वह आदेश सोमवार 13 जुलाई को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य सरकार से ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की पूंजी और प्रबंधन का नियंत्रण लेने के लिए न्यास गठित करने को कहा गया था. शीर्ष न्यायालय ने केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकारों को बरकरार रखा.
हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ थी कई याचिकाएं
जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अंतरिम कदम के तौर पर मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे.
शीर्ष अदालत ने इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया. इनमें से एक याचिका त्रावणकोर शाही परिवार के कानूनी प्रतिनिधियों ने दायर की थी.
त्रावणकोर शाही परिवार ने कराया था निर्माण
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को देश के सबसे धनी मंदिरों में गिना जाता है. इस भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण 18वीं सदी में इसके मौजूदा स्वरूप में त्रावणकोर शाही परिवार ने कराया था, जिन्होंने 1947 में भारतीय संघ में विलय से पहले दक्षिणी केरल और उससे लगे तमिलनाडु के कुछ भागों पर शासन किया था.
2017 में मंदिर उस वक्त चर्चा में आया था जब यहां से करीब 189 करोड़ रुपये कीमत का सोना और कई बहुमूल्य सामान गायब हो गए थे.
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