Sri Krishna Janmabhoomi-Shahi Idgah Masjid Dispute: यूपी के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अप्रैल के लिए टल गई है. फिलहाल विवादित शाही ईदगाह के सर्वे पर रोक जारी रहेगी. सर्वे का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था. शाही ईदगाह कमेटी ने सभी मामले हाईकोर्ट ट्रांसफर होने का विरोध किया है. हालांकि, अभी तक (खबर लिखे जाने तक) सभी पक्षों ने इस मामले में जवाब दाखिल नहीं किया है, जबकि कोर्ट की ओर से सभी से जवाब दाखिल करने को कहा गया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इससे पहले 14 दिसंबर, 2023 को यूपी के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर स्थित शाही ईदगाह मस्जिद के विवादित स्थल पर सर्वे की मंजूरी दी थी. कोर्ट ने इसके साथ ही चल रहे विवाद पर कमिश्नर नियुक्त करने के लिए कहा था. बेंच कुल 18 सिविल वादों की सुनवाई कर रही है. 16 नवंबर को इससे पहले मामले से जुड़ी अर्जी पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.
मस्जिद स्थल को कृष्ण जन्मभूमि के रूप में मान्यता देने की याचिका हो चुकी है खारिज
वैसे, आगे 5 जनवरी 2024 को टॉप कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद स्थल को कृष्ण जन्मभूमि के रूप में मान्यता देने की मांग वाली वकील महक महेश्वरी की याचिका खारिज कर दी थी. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा था कि वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करना नहीं चाहती. बेंच ने कहा था, ''हम दिए गए फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं और इसलिए विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है.''
HC में याचिका दायर कर इन लोगों की ओर से उठाई गई थी सर्वे की मांग
दरअसल, 'भगवान श्री कृष्ण विराजमान' और 7 अन्य लोगों ने वकील हरि शंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडे और देवकी नंदन के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सर्वे की मांग की थी. याचिका में दावा था कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है और वहां कई संकेत हैं जो स्थापित करते हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर था.
याचिका में कही गई ये बातें, जानिए
विष्णु शंकर जैन के मुताबिक, याचिका में कहा गया कि वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है जो कि हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है और शेषनाग की एक प्रतिकृति है और वह हिंदू देवताओं में से एक हैं, जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी. श्रीकृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह मामले में 12 अक्टूबर 1968 को एक समझौता हुआ था.
मामले में 1968 में हुए समझौते के तहत क्या हुआ था?
श्री कृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के सहयोगी संगठन श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ और शाही ईदगाह के बीच हुए इस समझौते में 13.37 एकड़ भूमि में से करीब 2.37 एकड़ भूमि शाही ईदगाह के लिए दी गई थी. हालांकि, इस समझौते के बाद श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ को भंग कर दिया गया. समझौते को हिंदू पक्ष अवैध बता रहा है. हिंदू पक्ष के अनुसार श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ को समझौते का अधिकार था ही नहीं. (एजेंसी इनपुट्स के साथ)