Sri Lanka Economic Crisis News: श्रीलंका (Sri Lanka) के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने सभी राजनीतिक दलों से देश का ऋण चुकाने के लिए एक साथ आकर नए तरीके खोजने का आह्वान किया है. विक्रमसिंघे रविवार कैंडी (Kandy) में कहा कि देश की अशांति की वजह से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और श्रीलंका सौदे में देरी हुई है. अगर सभी राजनीतिक दल एक साथ काम करें तो देश को आर्थिक संकट (Economic Crisis) से बाहर निकाला जा सकता है. इसी के साथ उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के ऊपर दोष न मढ़ने का भी आह्वान किया है.


कोलंबो गजट के मुताबिक, आईएमएफ और श्रीलंका का एक समझौता उनके देश के सभी मुद्दों का हल नहीं है. इसीलिए कर्ज चुकाने के लिए नए तरीकों की खोज करनी होगी. रानिल ने साफ किया कि आईएमएफ के साथ हो रहे सौदे में देरी का कारण देश की अशांति है. अब यह सौदा प्रधानमंत्री के कार्यभार संभालने के बाद आगे बढ़ रहा है. पिछले कुछ हफ्तों से अस्थिरता के कारण वार्ता भी रुक गई है क्योंकि आंदोलनकारियों ने ईंधन और भोजन की कमी के चलते देश में धावा बोल दिया था.


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जून में इतने लोग नौकरी की तलाश में गए बाहर


श्रीलंका प्रशासन मुताबिक, इसी साल देश के 27,900 लोग नौकरी की तलाश में बाहर गए थे. श्रीलंका के विदेशी रोजगार ब्यूरों के मुताबिक, विदेशी रोजगार एजेंसी के माध्यम से 9,854 लोगों ने नौकरी के लिए अन्य देशों का रुख किया है जबकि जनवरी में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग नौकरी के लिए देश छोड़ चुके थे. जानकारी दी गई कि ज्यादातर लोग खाड़ी देशों में जाना पसंद कर रहे हैं. बाकी लोग दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों में नौकरी करना पसंद कर रहे हैं.


इतनी गिर गई मुद्रा की कीमत


रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका में उत्पादन उपलब्ध न होने के चलते मार्च 2022 से मुद्रा की 80 फीसदी कीमत गिर गई है. इसके साथ ही विदेशी भंडार में कमी होने के साथ अंतरराष्ट्रीय ऋण दायित्वों का देश निर्वहन नहीं कर पा रहा है. कर्ज में डूबे श्रीलंका में ईंधन की कमी तो है ही, इसके बावजूद लोग पेट्रोल पंपों पर कतार में दिखाई देते हैं. ईंधन की समस्या से निजात पाने के लिए ज्यादातर लोग कार और मोटरसाइकिल को छोड़कर अब साइकिल का सहारा ले रहे हैं. वे दैनिक आवागमन अब साइकिल से ही कर रहे हैं. श्रीलंका के इतिहास में ऐसा पहलीबार हो रहा है कि आर्थिक संकट के साथ ईंधन जैसी आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी से लोग परेशान हैं.


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