श्रीलंका आर्थिक संकट: राष्ट्रपति राजपक्षे के खिलाफ उठ रही है आवाज, स्पीकर बोले- नहीं सुधरे हालात तो आएगी भुखमरी की नौबत
Sri Lanka Economic Crisis: श्रीलंका में पावर कट होने से सब कुछ ठप पड़ा है. आम से लेकर खास गर्मी के मौसम और आर्थिक संकट के डबल अटैक से जूझ रहे हैं.
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Sri Lanka Economic Crisis: श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच हालात संभालने में नाकाम वहां की सरकार ने विद्रोह का ठीकरा अब विपक्ष के सिर पर फोड़ दिया है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे भी इस्तीफा देने को तैयार नहीं हैं. सड़क से लेकर संसद तक श्रीलंका विरोध की आग में धधक रहा है. आर्थिक हालात पर श्रीलंका की संसद में बुधवार को शुरू हुई चर्चा आज भी जारी रहेगी.
अगर हालात ऐसे ही रहे तो तेजी से भुखमरी फैलेगी- स्पीकर
आम नागरिक, टीचर, प्रोफेसर, डॉक्टर, बैंक कर्मचारी या फिर होटल इंडस्ट्री से जुड़े लोग, हर कोई सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. लेकिन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे किसी भी सूरत में इस्तीफा नहीं देने पर अड़े हैं. श्रीलंका में पैदा हालातों को लेकर संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धन ने चेतावनी दी कि यह बस एक शुरूआत है. अगर हालात ऐसे ही रहे तो देश में भोजन, गैस और बिजली की कमी हो जाएगी और तेजी से भुखमरी फैलेगी.
श्रीलंका संसद की स्थिति जानिए
गौरतलब है कि 225 सदस्यों वाली श्रीलंका की संसद में बहुमत के लिए 213 सदस्यों की जरूरत पड़ती है. सत्ताधारी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना पार्टी SLPP के पास 117 सांसद थे. इसके अलावा उसे 29 अन्य सहयोगी सांसदों का भी समर्थन हासिल था. लेकिन मौजूदा आर्थिक संकट के बीच 42 सांसद सरकार का साथ छोड़ चुके हैं. यानी श्रीलंका की राजपक्षे सरकार बहुमत खो चुकी है. लेकिन राजपक्षे सरकार ने इस्तीेफा नहीं देने के फैसले पर अड़ी है. यहां तक कि देश में जारी हिंसा का ठीकरा फर्नांडो ने विपक्षी पार्टी पर फोड़ दिया है. दूसरी तरफ राजपक्षे के विरोधियों ने श्रीलंका में मध्यावधि चुनाव करवाने की मांग उठाई है.
अनाज और सब्जियों के दाम आसमान पर
बता दें कि अनाज और सब्जियों के दाम तो आसमान छू ही रहे हैं. दूध की कीमतों में आए उछाल से बच्चों का पेट भरना भी मुश्किल हो रहा है. दूसरी तरफ श्रीलंका में पावर कट होने से सब कुछ ठप पड़ा है. आम से लेकर खास गर्मी के मौसम और आर्थिक संकट के डबल अटैक से जूझ रहे हैं. न तो सत्ता पक्ष और न ही विपक्ष के पास इस संकट से निकलने का कोई रास्ता है. ऐसे में लग रहा है कि श्रीलंका के लोगों को अब ऊपर वाले का ही सहारा है.
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