Earthquake in India: जम्मू-कश्मीर से लेकर दिल्ली-एनसीआर तक भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए
Earthquake in India: ताजिकिस्तान में आज भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. इसका झटका जम्मू-कश्मीर से लेकर दिल्ली-एनसीआर तक महसूस किया गया.
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से लेकर दिल्ली एनसीआर तक भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. इस भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान में था, जहां इसकी तीव्रता 6.3 मापी गई. ये भूकंप रात 10 बजकर 31 मिनट पर आया. भारत में पंजाब, श्रीनगर, दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में भूकंप के झटके महसूस किए गए.
यही नहीं भूकंप से पाकिस्तान के कई शहर भी कांप गए. वहां भी लोगों ने इसके तेज़े झटके महसूस किए.
भारत में इसके झटके पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में भी महसूस किए गए हैं. जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है. जम्मू-कश्मीर के बारामूला में कई घरों में दरारें आ गई.
Punjab: People come out of their houses in Amritsar following tremors in the state; visuals from Pawan Nagar area. A resident says, "The tremors were very strong".
National Center for Seismology has ascertained that epicentre of the magnitude 6.3 earthquake was in Tajikistan. pic.twitter.com/zebsZw1YeX — ANI (@ANI) February 12, 2021
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि अमृतसर में भूकंप से अभी तक किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है. उन्होंने कहा कि लोकल प्रशासन हालात पर करीब से निगाह रखे हुए हैं. उन्होंने सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की है.
No reports of any damage so far in Amritsar or other parts of Punjab following the #earthquake. Top officials of @PunjabPoliceInd & local administration are keeping a close watch on the situation. Praying for everyone’s safety. https://t.co/DKNNvFMPwE
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) February 12, 2021
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लोगों की सुरक्षा के लिए दुआएं की है.
Earthquake tremors felt in Delhi. Praying for everyone's safety. https://t.co/8fU8TGQLiE
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 12, 2021
भूकंप क्यों आता है? हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है. ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं. इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है.
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. सैंकड़ो किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है. लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर सुनामी उठती है.
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