श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के लावेपोरा में हुई मुठभेड़ की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएस ने ली है. आईएस की मीडिया विंग अमाक पर आईएस का दावा है कि उसकी लड़ाको ने सुरक्षाबलों पर हमला किया और उनको काफी नुकसान पहुंचाया. लेकिन आईएस को हुए नुकसान के बारे में कोई भी जानकारी साझा नहीं की है.
आईएस के दावे से पुलिस की थ्योरी अलग
जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी ने दावा किया है कि मारे गये तीनों आंतकी अलग-अलग संगठनों के थे, जिसमें एक-एक आतंकी आईएस, हिज्बुल और लश्कर का है और वो इकट्ठे काम कर रहे थे. लेकिन आईएस के दावे पुलिस की थ्योरी को गलत बता रहे है.
बिहार के आरा के रहने वाले थे शहीद जवान
इसी मुठभेड़ में सीआरपीएफ का एक जवान शहीद हुआ है जो बिहार के आरा के रहने वाले थे. जिन आतंकियों को मारा गया इनकी तलाश सेना को काफी दिनों से थी और जब बुधवार की सुबह इनके बारे में सीआरपीएफ को सूचना मिली तो ऑपरेशन को अंजाम दिया गया.
संतो देवी ने किया ऑपरेशन को लीड
श्रीनगर के बाहरी इलाके लवायपोर ऑपरेशन की अगवाई सीआरपीएफ की 73वीं बटालियन की कमांडेंट संतो देवी कर रही थीं. संतो देवी हरियाणा की रहने वाली है और पिछले 33 सालों से सीआरपीएफ में तैनात हैं. संतो देवी के अनुसार इस पूरे ऑपरेशन को शुरू और खत्म होने मे बस दस मिनट का समय लगा- लेकिन यह उनकी ज़िंदगी का सब से कठिन ऑपरेशन रहा जिस में उनकी कम्पनी के एक जवान शहीद हो गए. संतो देवी इससे पहले भी शोर्य का प्रदर्शन कर चुकी हैं. 2005 में अयोध्या में राम लल्ला परिसर पर हुए आतंकी हमले को विफल करने वाली टीम का भी वह हिस्सा थीं, लेकिन बुधवार का हमला उनके लिए ज़िंदगी का सबसे बड़ा और कठिन ऑपरेशन रहा.
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