दुर्गम लद्दाख श्रेत्र को बाकी देश से जोड़ने वाली श्रीनगर-लेह राजमार्ग से बर्फ हटाने का काम पूरा हो गया है. अब सड़क को यातायात के लिए खोल दिया गया है. जोजिला दर्रे पर कई फीट ऊंची बर्फ को काटकर सड़क को यातयात के योग्य बना दिया गया है. 21 अप्रैल को पहली गाड़ी कारगिल के लिए खाने पीने का सामान लेकर रवाना हुई.


सीमा सड़क संगठन के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी, वीएसएम, डीजीबीआर ने अधिकारियों को तारीफ करते हुए कहा कि इस साल रिकॉर्ड 110 दिन तक सड़क को यातयात के लिए खोलने में बड़ा परिश्रम किया गया. 11650 फीट की ऊंचाई पर बने जोजिला दर्रे पर सबसे ज्यादा कठिन परिस्थितियों में बीकन के अधिकारियो और मजदूरों ने दिन रात काम करके इस सड़क को यातायात के लिए खोला है.


आम लोगों और सेना दोनों के लिए रहत की खबर
सड़क के खुल जाने पर लद्दाख के आम लोगों और सेना दोनों के लिए रहत की बात है. क्योंकि अब आसानी से लद्दाख के लिए खाने पीने के सामान, पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति हो सकेगी. सड़क के खुलने से कारगिल और द्रास के लोगो में खुशी की लहर दौड़ गयी है. 


कोरोना काल में सड़क खुलने से लोगों ने राहत की सांस ली है. द्रास निवासी  मोहमद अकबर के अनुसार अभी सड़क के खुलने के बाद उनके लिए नई जिंदगी शुरू हो जाएगी क्योंकि पिछले तीन महीने से उनके यहां हरी सब्जियों और अन्य सामान की काफी कमी हो गयी थी.




सड़क मार्ग खुल जाने से लोगो में कितना उत्साह है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि  द्रास के एसडीएम असगर अली खुद मार्ग में लोगों के स्वागत के लिए आए थे. गाड़ियों के सुरक्षित पहुंचने पर उन्होंने कारगिल और लेह के लोगों को बधाई भी दी.


आमतौर पर हर साल 150 दिन बंद रहती है सड़क
जोजिला पर बारी बर्फबारी के चलते इस सड़क को आम तौर पर नवंबर महीने में बंद कर दिया जाता है और 150 दिन तक बंद रहती है. लेकिन इस बार डोकलाम में चीन के साथ तनातनी के चलते पिछले साल 31 दिसंबर तक सड़क को खुला रखा गया था. 7 फरवरी से सड़क पर बर्फ को हटाने का काम शुरू किया गया था और 15 फरवरी तक बर्फ हटाकर इसको खोलना भी शुरू कर दी गयी थी. लेकिन फरवरी में फिर से हुई बर्फबारी ने सड़क को दोबारा बंद करने पर मजबूर कर दिया. 


आखिर कुदरत के साथ जंग के प्रोजेक्ट बीकन (कश्मीर) और प्रोजेक्ट विनायक (कारगिल) ने मिलकर सड़क को 110 के रिकॉर्ड समय में यातयात के लिए खोलने में सफलता हासिल की. रमजान महीने में लद्दाख श्रेत्र में हरी सब्जियों, मांस और अन्य खाद्य पदार्थो को जो कमी थी उस पर अब काबू पाया जा सकेगा.


ये भी पढ़ें-