श्रीनगर: इस वक्त कश्मीर घाटी में भारी बर्फबारी हो रही है. इस बर्फबारी ने जन्नत के कुछ गांवों को बेहाल कर दिया है. एबीपी न्यूज़ उस गांव तक पहुंचा जहां के लोगों को साल में दो बार अपने घर बदलने पड़ते हैं. भारी बर्फबारी के कारण इन गांव के लोगों को सुखाई हुई सब्जियां खानी पड़ती हैं और बीमार पड़े तो जान जाने का खतरा सबसे ज्यादा होता है.


बर्फबारी शुरु होने के बाद घर छोड़कर नीचे आ जाते हैं लोग


कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है. प्रकृति यहां इतनी खूबसूरत लगती है जैसे जन्नत के बीच हों, पर ये जन्नत यहां के लोगों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं, जैसे ही बर्फबारी शुरु होती है सोनमर्ग में रहने वाले लोगों को अपने घरों को छोड़कर नीचे आना पड़ता है. इन लोगों का घर सोनमर्ग में भी होता है और आपको बता दें कि यहां गगनगेर, कंगन जैसे जगहों पर भी इनके घर होते हैं.


दरअसल सोनमर्ग में इस दौरान इतनी बर्फबारी होती है कि यहां रहना मौत को दावत देने जैसा है. बहुत बर्फबारी के कारण वहां पर एवलांच आते हैं, एवलांच के कारण फिर कोई गाड़ी नहीं आती. इसलिए लोग नीचे के इलाकों में रहने के लिए आ जाते हैं. टूरिज्म से कमाई होती है, घोड़े चलाते हैं



सितंबर-अक्टूबर से सोनमर्ग में बर्फ गिरनी शुरु हो जाती है और उस वक्त वहां से पलायन भी शुरु हो जाता है, वापसी तब शुरु होती है जब गर्मियों की शुरुआत होती है. सोनमर्ग के लोग 6 महीने नीचे के इलाकों में निकालते हैं, फिर जब रास्ता खुल जाता है तो हम वापस चले जाते हैं.


3500 लोगों के लिए सिर्फ एक डिस्पेंसरी


ये परेशानियां तो हैं ही, सबसे ज्यादा दिक्कत तब होती है जब कोई बीमार पड़ जाए, क्योंकि साढ़े तीन हज़ार की आबादी वाले इस गांव में एक ही डिस्पेंसरी है, वो भी आधे वक्त बंद रहती है. साढ़े तीन हज़ार की आबादी में डॉक्टर नहीं है, कोई बीमार हो जाए, डिलिवरी होनी है, तो समझ लीजिए या तो वो मर जाता है, या फिर श्रीनगर ले जाना पड़ता है.


सूखी सब्ज़ियों से होता है गुजारा. चारों ओर तो बर्फ रहती है, अनाज तो मिल जाता है पर सब्जियां नहीं मिलती, इसलिए पहले से सुखायी गयी सब्ज़ियां ही सर्दियों में काम आती हैं.


सैलानियों के नहीं आने से बढ़ी मुश्किल


इस बार ज्यादा मुश्किल इसलिए है क्योंकि हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद बिगड़े हालात ने पर्यटन की कमर तोड़ दी और रही सही कसर नोटबंदी ने पूरी कर दी, सैलानी इस बार नाम मात्र को हैं, लिहाज़ा रोजी रोटी के लाले पड़ गए हैं. जनवरी महीने में बर्फबारी के बाद भी यहां पर्यटक नहीं आ रहे, ये समस्या यहां के लोगों के लिए काफी दिक्कते पैदा कर रही हैं.