पटना: एसएसबी ने बिहार में नेपाल बॉर्डर पर नेपाल पुलिस फायरिंग को पैनिक फायरिंग करार दिया है. एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए आईजी एसएसबी फ्रंटियर, पटना संजय कुमार ने कहा कि नेपाल पुलिस के तरफ से हुई फायरिंग एक पैनिक फायरिंग की घटना थी. बिहार और नेपाल सीमा पर कोई तनाव नहीं है. उन्होंने इस विवाद के पीछे चीन के शह होने की बात से इनकार किया. संजय कुमार ने कहा कि क्योंकि खुला हुआ बॉर्डर है और दोनों देश के लोगों का बेटी-रोटी का संबन्ध है और दिन-रात आना जाना लगा रहता है ऐसे में कई बार झगड़ा होता है पर मामला सुलझा लिया जाता है. नेपाल पुलिस से भी बात होती रहती है.


आईजी संजय कुमार ने कहा कि बिहार में भारत नेपाल की सीमा 631 किलोमीटर की है. बॉर्डर पर एसएसबी की तरफ से 94 चौकी है जबकि नेपाल ने 99 बीओपी यानि बॉर्डर आउटपोस्ट जिसे आम भाषा में चौकी कहते हैं, बनाई गई हैं.


बिहार की तरफ से हर चौकी पर एक प्लाटून फोर्स तैनात किया जाता है और एक प्लाटून में कम से कम 25 फोर्स होती हैं, जबकि नेपाल के एक चौकी पर ज़्यादा से ज़्यादा चार की संख्या में प्रहरी होते हैं. कोविड-19 की वजह से नेपाल ने चौकी की संख्या बढ़कर 299 कर दिया था. बिहार पुलिस ने भी अस्थाई पुलिस फोर्स तैनात किया था. एक चौकी से दूसरे चौकी के बीच दो से तीन किलोमीटर की दूरी होती है.


आईजी संजय कुमार ने कहा, '' ये पैनिक फायरिंग थी, नेपाल आर्म पुलिस के द्वारा जिसमें एक लोकल इश्यू पर वहां के गांव के लोगों के साथ इनका विवाद हुआ जिसके कारण नेपाल प्रहरी ATF जिसे नेपाल आर्म्स पुलिस फ़ोर्स कहते हैं उनके तीन से चार लड़के पेट्रोलिंग पर थे और उनका कहना है कि भीड़ ने उन्हें अपने कब्जे में लेने की कोशिश की जिसमें उन्होंने फायरिंग कर दी.


इसको लेकर SSB और नेपाल ATF के बीच तनाव बिल्कुल भी नहीं है. ये एक स्ट्रे इंसिडेंट है जो कि लोकल इश्यू के कारण हुआ है हमारे साथ उनका कोई मसला नहीं है.
आईजी संजय कुमार ने कहा कि कोरोना का प्रकोप मार्च के पहले सप्ताह से है और हमारे यहां जब लॉकडाउन हुआ उसी दरम्यान नेपाल ने भी लॉकडाउन किया और यहां हमे बॉडर को सील करने के निर्देश मिले. सरकार द्वारा जिसके बाद यहां पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई और नेपाल सरकार द्वारा भी समान निर्णय लेते हुए अपने यहां जो उनकी चौकी थी वहां उन्होंने स्कॉट को बढ़ा दिया लेकिन उन्होंने कई अस्थायी चौकियों को बनाया जो टेंट में चलती हैं और ऐसी चौकियों की संख्या लगभग तीन सौ के करीब हैं, जिनकी संख्या बीच बीच में कम अधिक होते रहती है, और उसमें कमी यही हुई कि जो हमारी चौकी जो हैं वो कभी प्लाटून स्ट्रेंथ से कम कभी नहीं होते हैं.


अच्छे स्ट्रेन्थ होने के कारण लोगों को समझाने बुझाने में दिक्कत नहीं आती लेकिन नेपाल ATF के साथ ये हुआ कि उनके केवल तीन से चार लड़के ही थे और वैसे में भीड़ उन पर हावी हो जाती है और वो पैनिक हो जाते हैं और दूसरी बात ये भी आई है कि नए लड़कों को वहां डाला गया था जो कि पूर्ण रूप से ट्रेंड नहीं है. यहां की जो परंपरा रही है लोग का आना जाना लगा रहता है. खेती बाड़ी को लेकर भी कुछ रिश्तेदारी के कारण भी और वैसे भी लोगों को आना जाना लगा रहता है. तो ऐसे में नेपाल प्रहरी का उन्हें टोकने से बीच में भी इस तरह की बातें सामने आई थी हमने उन्हें समझाया भी था कि इस तरह से आप ना करे अन्यथा लोकल लोगों को समझाने में प्रॉब्लम होती है. उनका पुराने समय से बेटी रोटी का रिश्ता रहा है और उसे एकाएक बंद करना मुश्किल है. हमलोग ने लॉकडाउन के समय उन्हें समझाया था और वो समझ गए थे कोई नहीं आ रहा था ये कल की घटना को आप को-इंसिडेंट कह सकते हैं जिसमें नेपाल प्रहरी पैनिक में फायरिंग कर दी है.


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