SSC Scam: एसएससी भर्ती घोटाला (SSC Scam) मामले में राज्य मंत्री पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) की गिरफ्तारी के बीच कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी की पार्टनर और शिक्षक बैसाखी बनर्जी (Baisakhi Banerjee) ने पार्थ चटर्जी पर निशाना साधते हुए की "मैं बहुत शर्मिंदा हूं वो ऐसा करंगे कभी नहीं सोचा था." बैसाखी बनर्जी ने पार्थ चटर्जी की गिरफ़्तारी पर बात करते हुए कहा कि "यह बहुत दुखद स्थिति है क्योंकि जिस तरह से मैं पार्थ चटर्जी को देखती थी और जिस व्यक्ति को मैं अभी देख रही हूं अगर यह सच है तो हम इतना ही कह सकते हैं कि इसे देखने के बाद हम तबाह हो गए हैं.
बैसाखी ने कहा कि, पढ़े-लिखे लोग पार्थ चटर्जी के लिए बहुत सम्मान करते हैं और अब हम जो देख रहे हैं वह एक दृश्य प्रदूषण है. ऐसा लगता है कि यह व्यक्ति वह है जिसे हम कभी नहीं जानते थे. उनके असली चेहरे और इसमें इतना बड़ा अंतर है कि यह मौजूद अंतर को मिटा नहीं सकता है." पार्टी के कई दिग्गजों ने सोमवार को कहा कि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वफादार माने जाने वाले 70 वर्षीय पार्थ चटर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में धीमी लेकिन लगातार वृद्धि ने उनके कई सहयोगियों को ईर्ष्या में डाल दिया.
बैसाखी ने कहा कि, "मैं उनसे पिछली बार प्रोफेसर के रूप में मिली थी जो एक अनुभव रहा है. कोरोना के शुरू के दिनों की बात है जब उन्होंने एक दिन अचानक से सबके सामने कहा कि "बैसाखी कोविड से ज्यादा संक्रामक है" तो मैंने उनसे कहा कि क्या इसका कोई मतलब है? इसको लेकर मैंने उनसे सवाल भी किए किया, "आप मेरे बारे में इस तरह क्यों बात कर रहे हो?" तो उसने जवाब दिया कि "नहीं नहीं. हम कोरोना से डरते हैं और आप से भी". मैंने उससे कहा "अगर यह मजाक है तो यह बहुत बुरा मजाक है क्योंकि कोविड के कारण लोग अपनी जान गंवा रहे हैं और मैंने किसी को नहीं मारा है आप मुझे खतरनाक क्यों कह रहे हैं?"
अपने पद का करते थे गलत इस्तेमाल
बैसाखी बनर्जी ने पार्थ पर इल्जाम लगते हुए कहा कि उन्होंने अनौपचारिक रूप से अपनी शक्तियों का उपयोग कर तबादला करवाया था. "कुछ ऐसा भी हुआ और मैं उस दिन उनके विभाग से रोते हुई निकली थी. उन्होंने एक बैठक बुलाई और मेरा अपमान किया और उसके बाद मैंने शिक्षा विभाग छोड़ दिया क्योंकि उनका निर्णय मुझे बिल्कुल भी मंजूर नहीं था. एक दिन सुबह बिना किसी कारण के मेरा तबादला कर दिया गया जबकि मेरी नौकरी अहस्तांतरणीय थी. उन्होंने अनौपचारिक रूप से अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए मेरा
तबादला कर दिया था. इससे मैं एक शिक्षक के रूप में कह सकती हूं कि जब मैं उनसे पहली बार मिली तो वो मेरे लिए भी बहुत यादगार था क्योंकि राजनीति के बारे में पूरी धारणा बदल गई. मुझे लगता था कि पार्टी और राजनीति एक ऐसी चीज है जहां लोग सच्चे नहीं रह सकते लेकिन उनकी पार्टी के सांसद ही हमारे खिलाफ थे तो 3 शिक्षक हम उनके पास गए कि हम बहुत खराब स्थिति में हैं जिससे हमें बहुत परेशानी हो रही है. उन्होंने हमसे कहा कि पार्टी हमारी है और एक मंत्री के रूप में आपको न्याय दिलाया जाएगे. 15 दिनों के भीतर उन्होंने हमारे साथ न्याय किया इसलिए मैं इस मामले को कभी नहीं भूल सकती हूं. वह मेरे नए जीवन के लिए जिम्मेदार थे और आज जब मैं उन्हें देख रही हूं जब यह सब मेरे सामने आ रहा है तो मुझे अंदर से चोट लग रही है,"
पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी जो वर्तमान में सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती के संबंध में ईडी की हिरासत में हैं, केंद्रीय एजेंसी द्वारा कथित रूप से उनकी संलिप्तता का पता लगाने का दावा करने के साथ खुद को और अधिक परेशानी में पा सकते हैं.
पार्थ एक बहुत ही समर्पित व्यक्ति थे और एक अच्छे इंसान होने का दिखावा करते थे
बैसाखी ने बताया कि जब मैं महासचिव बनी तब पार्थ हमेशा कहते थे कि दल को ऐसे लोगों की जरूरत है जो पैसो के लिए नहीं बल्कि लोगो के लिए काम करें. "जब वो हमसे बात करने के आदी थे तो वह बहुत सम्मानजनक थे. तृणमूल के प्रोफेसर संगठन के बारे में जानते थे, मैं इसकी महासचिव थी और जब मैं महासचिव बनी तो उन्होंने मुझसे कहा कि "मैं आप जैसी महिलाएं और भी जोड़ना चाहता हूं जो अच्छे परिवार से हैं, जो पैसे के लिए राजनीति में काम नहीं करेंगी, जो जुनून के लिए राजनीति करेंगी और जिनकी साफ-सुथरी छवि है." यह साफ छवि मुझे सोचने पर मजबूर कर रही है कि वह किस स्वच्छ छवि के बारे में सोच रहे थे. उन्होंने अपनी छवि खराब की और बाद में जब मैंने काम करना शुरू किया और मैं आपको सच बता रही हूं कि हर कदम पर मुझे भ्रष्टाचार मिल रहा है. वो दिखा रहे हैं कि वो तत्काल कदम उठा रहे हैं और जो भ्रष्टाचार कर रहे हैं उनसे बचा जा रहा है. ये एक दिखावा था.
कॉलेज में नियुक्ति करवाने के लिए लेते है पैसे
बैसाखी ने कहा "मैं स्कूलों के बारे में कुछ नहीं बता सकती क्योंकि मुझे इसका कोई अनुभव नहीं है लेकिन कॉलेज सेवाओं में यह जरूर लिया जाता है. जो लोग इसे खुले तौर पर लेते थे उनके नाम भी दिए गए थे लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसके बजाय यह बताया गया कि किसी ने नौकरी के लिए आवेदन किया है और आप जानते हैं कि कॉलेजों में पढ़ाने के लिए आपको एसएलएटी और नेट पास करने की आवश्यकता है. कहा जाता है कि ट्रांसफर के लिए कुछ रेट था. फिर वीसी बनने के लिए कुछ और दर थी, कुछ लक्ष्य दिए गए थे. मैं आपको बता रही हूं कि हर स्तर पर भ्रष्टाचार मौजूद था, जो अनुभव मैंने किया वह बहुत दुखद था. इस अनुभव के आधार पर मैंने इस्तीफा दे दिया कि मैं इस भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं कर सकती.
बैसाखी का आरोप तृणमूल कांग्रेस के कुछ लोगों को थी इस खबर की भनक
बैसाखी ने आगे कहा कि, "तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्यों को निश्चित रूप से इसके बारे में पता था क्योंकि मैंने बहुत से मंत्रियों से सुना है कि पार्थ व्यवस्थित रूप से पैसा ले रहे हैं लेकिन सुप्रीम को इसके बारे में पता नहीं था. मगर सुप्रीमो तक यह बात कितनी जाती थी यह मुझे पता नहीं. जितना मैं शोबोन से पूछी कि वह जानते हैं तो उन्होंने कहा मुझे कुछ नहीं पता अगर मैं जानता तो तुरंत करवाई की जाती.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2014 की प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की सीबीआई जांच का आदेश दिया था और परीक्षा के माध्यम से भर्ती किए गए 269 लोगों को बर्खास्त कर दिया था. चटर्जी तब राज्य के शिक्षा मंत्री थे.
तृणमूल कांग्रेस के क्या है अभिनेताओं से संबंध?
बेशाखी ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि, "जिसका नाम अभी सामने आ रहा है अगर आप उन्हें अभिनेत्री कह कर संबोधित करेंगे तो जो असल में अभिनेत्रियां है उनका सर शर्म से झुक जाएगा. यह सब बी और सी वर्ग की हीरोइन है. मैं खुद अचंभित हूं इस बात से कि पार्थ जी के आस-पास बड़े-बड़े सितारे घूमते थे मगर फिर भी उन्होंने क्यों इस अजीब से रिश्ते को आगे बढ़ाया? अब यह तो उनका निजी मामला है. लेकिन आपने यह सवाल बहुत बढ़िया उठाया की अभिनेत्रियों की तरफ जाते हैं इस पर टीएमसी के एक एमपी ने बहुत उम्दा बात उठाई थी एक सम्मेलन में किसी सीपीएम का जब दौर था तो वो शिक्षकों पर ज्यादा ध्यान देते थे, क्योंकि उनसे उनका लाखों मत इकट्ठा होता था. सारे शिक्षक अपने विद्यार्थियों को उस दल की तरफ प्रेरित करते थे. जो वफादारी एक शिक्षक से आपको मिल सकती है वह एक अभिनेत्री से बिल्कुल नहीं. अगर आप देखेंगे तो उत्तर भारत के जो सिनेमा के सितारे हैं वह बंगाल में नहीं चल सकते क्योंकि बंगाल से जिन लोगों को टिकट मिला है वह ना तो कोई सवाल पूछ सकते हैं उल्टा उनका नाम भ्रष्टाचार में आ जाता है.
अर्पिता के पास मिले पैसो से है हैरान
प्रवर्तन निदेशालय को बंगाल के गिरफ्तार मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के अपार्टमेंट में 21 करोड़ रुपये की वसूली के कुछ दिनों बाद 28 करोड़ रुपये नकद मिले. अधिकारियों को अपार्टमेंट में 5 किलो सोना भी मिला, जिसकी कीमत 2 करोड़ रुपये आंकी गई है. अर्पिता के जीवन के बारे में बताते हुए बैसाखी ने कहा की "जिस तरीके से पैसों को दिखाया गया है वह एक आम आदमी को हैरान कर देंगे, क्योंकि उनके मन में यह बात आएगी कि इतने सारे पैसे आये कैसे? आप अगर इस अर्पिता का पुराना घर देखेंगे तो आपको दिखेगा एक टूटा फूटा मकान उनकी मां बहुत लाचार रहती है और फिर उसी आदमी के पास 21 करोड़ रुपए मिलते हैं. जो एक आदमी शायद पूरी जिंदगी में न देख पाए. इस मामले में जब मैंने पार्थ चटर्जी का नाम देखा मुझे खराब लगा कि इसी व्यक्ति के साथ मेरा कितना अच्छा संबंध था."
अर्पिता मुखर्जी ने बाद में ईडी को बताया कि उनके घर से बरामद नकदी का पहाड़ बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी का है. उसने एजेंसी को बताया कि उससे जुड़ी कंपनियों में पैसा लगाया जाना था.
इन भ्रस्टाचार का नहीं पड़ेगा ममता की छवि पर असर
बैसाखी ने ममता की छवि पर बात करते हुए कहा की इन सब चीज़ो का ममता पर असर नहीं पड़ेगा. "मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा क्योंकि जो भ्रष्टाचार है वह निजी चाहत का परिणाम है. यहां पर सिर्फ पार्थ चटर्जी का ही नाम सामने आया है. अगर आगे चलकर किसी और का नाम आता है तभी हम लोग सोच सकते हैं कि यह एक मिलिजुली साज़िश है.
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