नई दिल्ली: एसएससी पेपर लीक मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. ये सभी चार लोग मुख्य आरोपियों की मदद करते थे. बीते हफ्ते दिल्ली के गांधी विहार से यूपी एसटीएफ और दिल्ली पुलिस ने भी पेपर लीक कर उसे ऑनलाइन सॉल्व करने वाले चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इन लोगों में गांधी विहार में कई कम्प्यूटर लैब बनाए हुए थे.
आरोपियों से पूछताछ में हुए कई खुलासे
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जिन चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनकी पहचान नीरज शर्मा, अनूप राव, कुशल नेगी और दूरज अली के रूप में हुई है. क्राइम ब्रांच ने दूरज नाम के आरोपी को सोमवार को अरेस्ट किया था. उसे आज कोर्ट में पेश किया जाएगा. वहीं, पुलिस कुशल नेगी को चार दिन के लिए रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है.
तिमारपुर से गिरफ्तार हुए थे चार आरोपी
इस केस में कुछ दिनों पहले यूपी एसटीएफ ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर तिमारपुर से चार लोगों को अरेस्ट किया था. केस तिमारपुर थाने में दर्ज किया गया था. उसी समय इस केस की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई थी.
कैंडिडेट से मोटी रकम लेकर देते थे अंजाम
पुलिस के मुताबिक, तफ्तीश में पुलिस को एग्जाम लेने वाले सेंटर्स की भूमिका पर संदेह हुआ था. इसी केस में पुलिस ने सोमवार को एशमा नेटवर्क सिस्टम के मालिक दूरज अली को अरेस्ट किया. पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ कि उसने कैंडिडेट से मोटी रकम लेने के बाद कंप्यूटर पर खास तरह के सॉफ्टवेयर को डाउनलोड किया था.
ऐसे खेला गया पेपर लीक करने का पूरा खेल
इस सॉफ्टवेयर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कैंडिडेंट एग्जाम सेंटर पर सिर्फ सिस्टम खोलकर बैठ जाता है. वह ऑनलाइन क्वेश्चन के जवाब नहीं देता, बल्कि उसकी जगह कोई दूसरा व्यक्ति वहां से कहीं दूर बैठकर उसी सिस्टम को अपने कंप्यूटर पर खोलकर पेपर सॉल्व कर रहा होता है.
एग्जाम सेंटर पर एग्जाम देने वाले की भूमिका डमी कैंडिडेट की तरह होती है. इतना ही नहीं, पूछताछ में इसका खुलासा भी हुआ कि जिनसे सेटिंग हो गई थी, उसने उन कैंडिडेट्स की सीट भी बदल दी थी. यह एग्जाम पास कराने की एवज में कैंडिडेट से लाखों रुपये वसूले जाते हैं.
इंजीनियरों की मदद ले रही है पुलिस
पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस केस में बहुत जल्द कुछ और लोगों को अरेस्ट किया जाएगा. लेकिन यह पूरा मामला इतना ज्यादा टैक्निकल है कि पहले पूरे सिस्टम को समझा जा रहा है. इसके लिए ऐसी ही कंपनियों के इंजीनियरों की मदद ली जा रही है.