मुंबई: महाराष्ट्र में पुणे के पास हुई एलगार परिषद में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार 83 वर्षीय स्टेन स्वामी को स्ट्रॉ और सिपर कप के लिए कुछ दिन और इंतजार करना होगा. वह पार्किंसन बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हें इन चीजों की जरूरत रहती है.


स्ट्रॉ और सिपर मुहैया कराने की इजाजत देने के स्वामी के आग्रह पर राष्ट्रीय अभिकरण एजेंसी (एनआईए) ने गुरूवार को एक विशेष अदालत को बताया कि उसने स्वामी को गिरफ्तार करते समय उनका स्ट्रॉ और सिपर नहीं लिया था. आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया था कि उनका स्ट्रॉ और सिपर एनआईए ने ले लिया है.


केंद्रीय एजेंसी के जवाब के बाद, विशेष अदालत ने स्वामी की अर्जी खारिज कर दी. इसके बाद कार्यकर्ता ने जेल में एक नई अर्जी दायर कर गर्म कपड़े, स्ट्रॉ तथा सिपर देने का अनुरोध किया है. अदालत ने जेल प्रशासन से जवाब मांगा और मामले को चार दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया. एनआईए ने स्वामी को आठ अक्टूबर को झारखंड के रांची स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था.


उनसे इस महीने के शुरू में स्ट्रॉ और सिपर देने की स्वामी की फरियाद पर जवाब देने के लिए 20 दिन का समय मांगा था. स्वामी ने अदालत के समक्ष अपने शुरूआती आवेदन में कहा था, 'मैं गिलास नहीं पकड़ सकता हूं क्योंकि पार्किंसन की वजह से मेरे हाथ कांपते हैं.' वह तलोजा केंद्रीय जेल अस्पताल में हैं. पार्किंसन की बीमारी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का एक विकार, जो अक्सर कंपकंपी के साथ शारीरिक गतिविधियों को प्रभावित करती है.