संसद सत्र से पहले स्थाई समिति की बैठक में गूंजा 'पीएनबी घोटाला'
बैंकिंग सचिव राजीव कुमार ने कहा है कि पीएनबी के इस घोटाले का असर किसी और बैंक पर नहीं पड़ेगा. राजीव कुमार ने दावा किया कि घोटाले का उजागर होना बैंकों में सुधार के ही प्रयास का हिस्सा है.
नई दिल्ली: पीएनबी में घोटाले का मामला आज संसदीय स्थायी समिति की बैठक में भी गूंजा. बैठक में मौजूद सांसदों ने सरकार से पूछा कि बैंक आख़िर किस तरह इस नुकसान की भरपाई करेगा. सांसदों ने ये भी जानना चाहा कि आख़िर इतने दिनों के बाद ये घोटाला कैसे सामने आया. उधर सरकार ने कहा कि इस घोटाले का असर दूसरे बैंकों पर नहीं पड़ेगा और नीरव मोदी की सम्पत्ति को देखते हुए बैंक को पैसा वापस लेने में दिक्कत नहीं होगी.
संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग 5 मार्च से शुरू होना है. कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस समिति की बैठक में बैंकिंग सचिव राजीव कुमार भी मौजूद थे.
बैठक में मौजूद विपक्षी सांसदों, वीरप्पा मोइली और भर्तहरी मेहताब के साथ साथ निशिकांत दुबे और राजीव चन्द्रशेखर जैसे एनडीए सांसदों ने भी ये मुद्दा उठाया. सांसदों ने मामले को गंभीर बताते हुए बैंकिंग सचिव से पूछा कि 2011 से जारी इतने बड़े घोटाले का पता लगने में इतना समय कैसे लग गया.
सांसद ये भी जानना चाह रहे थे कि हाल ही में सरकार की ओर से घोषित बैंक रिकैपिटलाइजेशन स्कीम से मिला पैसा तो इस घोटाले से बैंक को हुए नुकसान की पूर्ति में ही चला जाएगा. सूत्रों के मुताबिक़ बैंकिंग सचिव सांसदों के सभी सवालों का लिखित जवाब देंगे. समिति के सदस्य होने के नाते बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे. इस घोटाले की शुरूआत 2011 में मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुई थी लिहाज़ा उम्मीद थी कि वो भी कुछ बोलेंगे. सूत्रों के मुताबिक़ मनमोहन सिंह ने इस मसले पर न तो कुछ पूछा और न ही कुछ कहा. उधर बैंकिंग सचिव राजीव कुमार ने कहा है कि पीएनबी के इस घोटाले का असर किसी और बैंक पर नहीं पड़ेगा. राजीव कुमार ने दावा किया कि घोटाले का उजागर होना बैंकों में सुधार के ही प्रयास का हिस्सा है. उनके मुताबिक बाकी सभी बैंकों को भी ऐसे लेन देन को लेकर सतर्क कर दिया गया है और किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा.
बैंकिंग सचिव से ने दावा किया कि नीरव मोदी के पास बहुत सम्पत्ति है और इसलिए पैसा निकलवाने में दिक्कत नहीं होगी. कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियों के रुख़ से साफ है कि लोक सभा चुनाव से करीब एक साल पहले उजागर हुए इस घोटाले का मोदी सरकार को जवाब देना पड़ेगा.