'टाइम्स लिटफेस्ट' में विभिन्न दलों के नेताओं ने कहा- राष्ट्रगान बजने पर खड़ा होना राष्ट्रवाद को नहीं दर्शाता है
"टाइम्स लिटफेस्ट" में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चर्चा के दौरान विभिन्न दलों के नेताओं ने कहा कि थिएटर में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजने पर खड़ा नहीं होना किसी व्यक्ति के राष्ट्रवाद को नहीं दर्शाता है
नई दिल्ली: "टाइम्स लिटफेस्ट" में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चर्चा के दौरान विभिन्न दलों के नेताओं ने कहा कि थिएटर में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजने पर खड़ा नहीं होना किसी व्यक्ति के राष्ट्रवाद को नहीं दर्शाता है.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, जदयू नेता पवन वर्मा, कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी, पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम और राज्यसभा सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने यह राय व्यक्त की.
थिएटरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजने के समय व्यक्ति के खड़े होने को अनिवार्य बताने वाले सुप्रीम कोर्ट के शुरुआती फैसले के बारे में दासगुप्ता ने कहा कि किसी व्यक्ति को राष्ट्र गान या गीत की उपेक्षा नही करनी चाहिए लेकिन राष्ट्रगान बजने के समय खड़े होने के मुद्दे पर आवश्यकता से अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए.
उन्होंने कहा, "समस्या तब पैदा होती है जब आप राष्ट्रगान के लिए खड़े होने पर आवश्यकता से अधिक ध्यान देते हैं." वहीं सिंघवी का मानना है कि राष्ट्रगान को निश्चित तौर पर गाने के रूप में थोपा नहीं जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, "अगर इसे लागू करना है तो संसद के जरिए एक कानून बनाकर लागू किया जाना चाहिए, न्यायिक आदेश के जरिए लागू नही किया जाना चाहिए." ऐसी ही राय रखते हुए ओवैसी ने कहा कि वह राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत के खिलाफ नहीं है लेकिन मैं इस बात के खिलाफ हूं कि अगर कोई ये कहे कि राष्ट्रगान पर खड़े होना मेरे राष्ट्रवाद की परीक्षा है तो मै इसे स्वीकार नहीं करूंगा. किसी को भी मेरा राष्ट्रवाद या मेरी निष्ठा की परीक्षा लेने का कोई अधिकार नहीं है."