नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक के बचत खाते में एक लाख रुपये से अधिक की जमा रखने वाले बचत खाता धारकों को बुधवार से 0.25 प्रतिशत कम ब्याज मिलेगा. स्टेट बैंक अपनी ब्याज दरों को रिजर्व बैंक की रेपो दर यानी अल्पावधि ब्याज दर से जोड़ने जा रहा है. इसी संदर्भ में यह कदम उठाया गया है. हालांकि, स्टेट बैंक के बचत खाते में एक लाख रुपये से कम जमा राशि रखने वाले खाता धारकों को पहले की तरह 3.5 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता रहेगा.
भारतीय स्टेट बैंक की वेबसाइट पर दी गई सूचना के मुताबिक एक लाख रुपये से अधिक राशि की जमा वाले बचत खातों पर ब्याज दर रिजर्व बैंक की रेपो दर से 2.75 प्रतिशत नीचे होगी. रिजर्व बैंक की रेपो दर इस समय 6 प्रतिशत पर है. इस लिहाज से एक लाख रुपये से अधिक जमा वाले बचत खातों पर 3.25 प्रतिशत की दर से ब्याज देय होगा. हालांकि, रिजर्व बैंक यदि रेपो दर बढ़ाता है तो इस तरह के खातों में ब्याज दर बढ़ जायेगी और यदि रिजर्व बैंक दर में और कमी करता है तो बचत खाते में भी दर घट जायेगी.
रेपो दर वह दर होती है जिसपर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को एक दिन के लिये नकदी उपलब्ध कराता है. वर्तमान में स्टेट बैंक के बचत खाते पर खाता धारकों को 3.5 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जाता है. ब्याज को प्रत्येक तिमाही खाते में जमा किया जाता है. देश का सबसे बड़ा कॉमर्शियल बैंक स्टेट बैंक मौजूदा स्थिति के मुताबिक (30 अप्रैल तक) एक करोड़ रुपये तक की बचत खाता जमा पर 3.5 प्रतिशत और एक करोड़ रुपये से अधिक की जमा पर चार प्रतिशत की दर से ब्याज दे रहा है.
स्टेट बैंक ने इससे पहले मार्च में घोषणा की थी कि वह एक मई से अपनी बचत खाता जमा और अल्पावधि कर्ज की दरों को रिजर्व बैंक की रेपो दर से जोड़ देगा. इस कदम का मकसद रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति में होने वाले बदलावों का लाभ जल्द से जल्द ग्राहकों तक पहुंचाना है. बैंक ने यह भी कहा है कि एक लाख रुपये से अधिक सीमा वाले सभी नकद ऋण खातों और ओवरड्राफ्ट सुविधा को भी रिजर्व बैंक की रेपो दर के ऊपर 2.25 प्रतिशत तक की जमा के अनुरूप ब्याज दर के साथ जोड़ दिया जायेगा. स्टेट बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, ‘‘इस न्यूनतम दर के ऊपर जो भी जोखिम प्रीमियम होगा वह वर्तमान में अपनाये जाने वाले नियमों के मुताबिक उधार लेने वाले की जोखिम स्थिति के अनुसार होगा.’’
रिजर्व बैंक ने दिसंबर 2018 में यह प्रस्ताव किया था कि बैंकों को व्यक्तिगत, आवास, आटोमोबाइल और सूक्ष्म और लघु उद्यमों को दिये जाने वाले कर्ज की ब्याज दर को एक अप्रैल 2019 से रेपो दर और ट्रेजरी प्रतिफल जैसे बाह्य मानक दरों से जोड़ा जाना चाहिये. हालांकि, रिजर्व बैंक ने बाद में इसकी समयसीमा को आगे के लिये टाल दिया था. केन्द्रीय बैंक ने कहा कि वह इसके लिये बैंकों के साथ आगे और विचार विमर्श करेगा.
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