मुंबई: महाराष्ट्र की महाविकास गठबंधन की सरकार में अब एक और नया विवाद खड़ा हो गया. इस बार मुद्दा गंभीर है, क्योंकि सरकार के ही कैबिनेट और राज्यमंत्री आमने सामने खड़े हो गए हैं. खबर है कि, राज्य के राज्यमंत्रियों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उप मुख्यमंत्री अजित पवार से मिलकर कैबिनेट मंत्रियों के प्रति नाराजगी व्यक्त की है.

महाविकास गठबंधन की सरकार के कैबिनेट में तीन महीने के अंदर ही मतभेद सामने आने लगे है. ठाकरे सरकार के 43 मंत्रियों के मंत्रिमंडल में 10 राज्य मंत्री है. इनमें से 6 राज्य मंत्रियों का आरोप है कि कैबिनेट मंत्री उन्हें दरकिनार करके विभाग चलाने में मनमानी कर रहे है. तीन पार्टियों के इन 6 राज्य मंत्रियों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उप मुख्यमंत्री अजित पवार से मुलाकात कर तीव्र नाराजगी व्यक्त की हैं

निर्णय लेने की पूरी प्रक्रिया में राज्य मंत्रियों की अनदेखी

इन राज्य मंत्रियों के आरोप के मुताबिक पिछले दो महीनों में इन कैबिनेट मंत्रियों ने अपने-अपने मंत्रालय की समीक्षा कर कई बड़े निर्णय लिए हैं. लेकिन इन निर्णयों को लेने की पूरी प्रक्रिया में राज्य मंत्रियों को पूरी तरह से दूर रखा गया. वहीं मंत्रालय के अधिकारी भी कैबिनेट मंत्रियों के दबाव में राज्यमंत्रियों के साथ सहियोग नहीं कर रहे हैं. जिसकी वजह से काम करना मुश्किल हो गया.

एक राज्यमंत्री ने एबीपी न्यूज़ की खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि ‘हमने हमारी बात मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों के सामने रखी दी है. वो आग निर्णय लेंगे, लेकिन काम करने में दिक्कत हो रही है. क्योंकि हमें हमारे विभाग से ही सहयोग नहीं मिल रहा. हमने इस बात की शिकायत कैबिनेट मंत्रियों से भी की लेकिन कोई राहत नहीं मिली. इसीलिए हम मुख्यमंत्री के पास गए.’

आदेशों की नहीं होती है सुनवाई

ठाकरे सरकार के मंत्रिमंडल में 33 कैबिनेट मंत्री और 10 राज्य मंत्री हैं.  इसमें हर राज्य मंत्री के पास 6 विभागों की जिम्मेदारी है. लेकिन इन विभागों में उनके आदेशों की सुनवाई नहीं होने का उनका आरोप है. सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के सामने आरोप ये भी लगाए गए हैं कि राज्य मंत्रियों को दूर रखने के पीछे की वजह आर्थिक है.

क्या हैं राज्य मंत्रियों की मांगें ?

- सभी विभागों की फाइलें राज्य मंत्रियों के जरिए ही आगे बढ़ना चाहिए.

- राज्य मंत्रियों को उनके सभी अधिकार मिलने चाहिए.

- मंत्रिमंडल के सभी निर्णयों में राज्य मंत्रियों को शामिल किया जाए.

- विभाग के अधिकारियों का पूरा सहियोग उन्हें मिलें.

वहीं मुख्यमंत्री ने ध्यान देकर मामले को जल्द सुलझाने का आश्वासन दिया है. साथ ही उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने तुरंत विभाग के अधिकारियों की एक बैठक बुलाकर राज्यमंत्रियों को नहीं सुनने वाले अधिकारियों को फटकार लगाकर चेतावनी भी दी. लेकिन अगर आने वाले कैबिनेट से पहले राज्य मंत्रियों का मांग पूरी नहीं हुई, तो ये विवाद और बढ़ सकता है.

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