Air Pollution in Young children: वायु प्रदूषण भारत के लिए बड़ी समस्या है. लगातार यहां के शहर, खासकर दिल्ली-एनसीआर पॉल्यूशन के मामले में टॉप पर बने रहते हैं. इसी बीच बुधवार (19 जून 2024) को स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट आई जो काफी हैरान और परेशान करने वाली है.
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत में वायु प्रदूषण के कारण पांच वर्ष से कम आयु के लगभग 170,000 बच्चों के मरने का अनुमान है. रिपोर्ट के अनुसार, लगातार प्रयासों के बाद भी विशेष रूप से दक्षिण एशिया और पूर्व, पश्चिम, मध्य और दक्षिणी अफ्रीका में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की वायु प्रदूषण से मौत का आंकड़ा अधिक है.
सबसे ज्यादा निमोनिया की शिकायत
इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन की ओर से ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज, एंड रिस्क फैक्टर्स स्टडी (GBD 2021) के आंकड़ों पर आधारित स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट में कई और अहम जानकारी दी गई है. रिपोर्ट की मानें तो खराब हवा यानी वायु प्रदूषण की वजह से छोटे बच्चों में निमोनिया की शिकायत अधिक होती है. निमोनिया वैश्विक स्तर पर पांच में से एक बच्चे (20%) की मौत के लिए जिम्मेदार है. दूसरे नंबर पर अस्थमा है, जो बड़े बच्चों में सबसे ज्यादा है. अनुमान के अनुसार, दक्षिण एशिया में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में वायु प्रदूषण से जुड़ी मृत्यु दर प्रति 100,000 बच्चों पर 164 है, जबकि वैश्विक औसत 108 मौतें/100,000 हैं.
मौत के मामे में दूसरे नंबर पर नाइजीरिया
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में भारत (169,400 मौतें), नाइजीरिया (114,100 मौतें), पाकिस्तान (68,100 मौतें), इथियोपिया (31,100 मौतें) और बांग्लादेश (19,100 मौतें) में बच्चों में वायु प्रदूषण से संबंधित मौतों की सबसे अधिक संख्या देखी गई. रिपोर्ट में कहा गया है, "बच्चे वायु प्रदूषण के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं और वायु प्रदूषण से होने वाला नुकसान गर्भ में ही शुरू हो सकता है, जिसके स्वास्थ्य पर प्रभाव जीवन भर रह सकते हैं.
बच्चों में स्वास्थ्य प्रभावों में समय से पहले जन्म, कम वजन का जन्म, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियां शामिल हैं. 2021 में वायु प्रदूषण से मौत कुपोषण के बाद इस आयु वर्ग के लिए दक्षिण एशिया में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारक बन चुका है.
PM2.5 से लगातार खराब हो रही है स्थिति
वैश्विक स्तर पर PM2.5 (सूक्ष्म, सांस लेने योग्य प्रदूषण कण) और ओजोन से होने वाले वायु प्रदूषण से 8.1 मिलियन मौतें होने का अनुमान है, जो 2021 में कुल वैश्विक मौतों का लगभग 12% है. PM2.5 दुनिया भर में वायु प्रदूषण रोग के बोझ में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जो लगभग 7.8 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार है. 1 बिलियन से अधिक की आबादी के साथ भारत (2.1 मिलियन मौतें) और चीन (2.3 मिलियन मौतें) कुल वैश्विक रोग बोझ का 54% हिस्सा है. उच्च प्रभाव वाले अन्य देशों में पाकिस्तान (256,000 मौतें), म्यांमार (101,600 मौतें) और दक्षिण एशिया में बांग्लादेश (236,300 मौतें) शामिल है.
यूनिसेफ की उप-कार्यकारी निदेशक ने जताई चिंता
यूनिसेफ की उप कार्यकारी निदेशक किट्टी वैन डेर हेइजडेन ने एक बयान में कहा, "मां और बच्चे के स्वास्थ्य में प्रगति के बावजूद, हर दिन लगभग 2000 बच्चे वायु प्रदूषण से जुड़े स्वास्थ्य प्रभावों के कारण मर जाते हैं." रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि वर्ष 2000 के बाद से पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 53% की गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण खाना पकाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाने के प्रयास, साथ ही स्वास्थ्य सेवा, पोषण तक पहुंच में सुधार और घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे में बेहतर जागरूकता है.
बच्चों को अधिकतर नुकसान गर्भ से ही होते हैं
यह डेटा भले ही चौंका देने वाला है, लेकिन चिंताजनक नहीं है. अक्सर वायु प्रदूषण के कारण होने वाला नुकसान तब शुरू होता है जब बच्चे गर्भ में होते हैं. उदाहरण के लिए हम जानते हैं कि दिल्ली में तीन में से एक बच्चे को अस्थमा है. वायु प्रदूषण से बच्चों में दो समस्याएँ हो सकती हैं - अस्थमा जो गैर-संचारी है और दूसरा वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों में संक्रमण सबसे अधिक होता है और इससे ज्यादा मौत होती है. दरअसल, बच्चों के फेफड़े छोटे होते हैं, लेकिन वे तेजी से सांस लेते हैं. वे बुजुर्गों की तरह बहुत कमजोर होते हैं.
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