दिल्ली मुख्यमंत्री कार्यालय का बयान- केंद्र सरकार ने राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना पर लगाई रोक
दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार एक बार फिर राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना को लेकर आमने सामने हैं. दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राशन को घर घर पहुंचाने की योजना को केंद्र सरकार ने दिल्ली में शुरू होने से कुछ दिन पहले ही रोक दिया है.
दिल्ली में राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना को लेकर एक बार फिर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार आमने सामने हैं. दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राशन को घर घर पहुँचाने की योजना को केंद्र सरकार ने दिल्ली में शुरू होने से कुछ दिन पहले ही रोक दिया है.
केंद्र सरकार के सभी सुझावों को स्वीकृति के बाद दिल्ली सरकार ने 24 मई 2021 को उपराज्यपाल को अंतिम स्वीकृति और योजना के तत्काल लागू के लिए फाइल भेजी थी, लेकिन एलजी ने यह कहते हुए फाइल वापस कर दी कि यह योजना दिल्ली में लागू नहीं की जा सकती.
दिल्ली सरकार का दावा है कि 2018 से, दिल्ली सरकार ने केंद्र को कम से कम छह पत्र लिखकर योजना के बारे में जानकारी दी थी, तब केंद्र ने दिल्ली सरकार की योजना पर कभी आपत्ति नहीं की थी. केंद्र सरकार ने योजना के नामकरण पर सिर्फ एक आपत्ति दी थी जिसमें कहा गया था कि ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ नाम का उपयोग नहीं किया जा सकता है, क्योंकि मौजूदा एनएफएस अधिनियम के तहत राशन वितरित किया जा रहा था.
जिसके बाद दिल्ली कैबिनेट ने योजना से ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ नाम को हटाने और मौजूदा एनएफएस अधिनियम, 2013 के हिस्से के रूप में राशन की डोरस्टेप डिलीवरी को लागू करने का निर्णय पारित किया. केंद्र सरकार द्वारा की गई सभी आपत्तियों के समाधान के बाद, संशोधित योजना को दिल्ली में जल्द ही शुरू किया जाना था.
दिल्ली सरकार के मुताबिक उपराज्यपाल ने दो कारणों का हवाला देते हुए राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना के कार्यान्वयन की फाइल को खारिज कर दिया- पहला, केंद्र ने अभी तक योजना को मंजूरी नहीं दी है और दूसरा, कोर्ट में इसके खिलाफ एक केस चल रहा है. दिल्ली सरकार के खाद्य और आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन की ओर से जारी बयान में कहा है कि उपराज्यपाल ने राशन वितरण योजना के क्रियान्वयन को अस्वीकार करने के दो अमान्य कारण बताए, यह निर्णय राजनीति से प्रेरित है.
इमरान हुसैन ने कहा कि मौजूदा कानून के अनुसार ऐसी योजना शुरू करने के लिए किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है. फिर भी हमने केंद्र को 2018 से अब तक 6 पत्र लिखकर इस योजना के बारे में हर स्तर पर अवगत कराया है. इसके अलावा, 19 फरवरी 2021 को केंद्र से भेजे गए अंतिम पत्र के आधार पर, योजना के नाम के बारे में उनकी आपत्तियों को भी दिल्ली मंत्रिमंडल ने स्वीकार कर लिया है. इसके आगे और क्या मंजूरी चाहिए?
एलजी द्वारा उठाए गए कोर्ट केस के तर्क को खारिज करते हुए इमरान हुसैन ने कहा कि अदालत में चल रहे मामले के कारण इस योजना के लागू होने से रोकना समझ से परे है. इस मामले पर पहले ही दो सुनवाई हो चुकी है और कोर्ट द्वारा कोई स्टे आदेश नहीं दिया गया है. इसके अलावा, केंद्र सरकार उसी मामले में एक पार्टी भी है और अपने हलफनामे में भी केंद्र ने इस योजना को शुरू करने पर आपत्ति नहीं की है.
केंद्र सरकार की आपत्ति-
दिल्ली सरकार ने पहले राशन योजना की डोरस्टेप डिलीवरी का नाम “मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना” रखा था. इस योजना को 20 फरवरी 2021 को अधिसूचित किया था. इस योजना को 25 मार्च 2021 को लांच किया जाना था.
योजना लागू होने से कुछ दिन पहले, केंद्र सरकार ने 19 मार्च 2021 को दो आपत्तियां की- पहली, एनएफएस अधिनियम 2013 के तहत प्रदान किए जा रहे खाद्यान्न का उपयोग किसी राज्य-विशिष्ट योजना को चलाने के लिए नहीं किया जा सकता है, और दूसरी दिल्ली सरकार द्वारा एनएफएसए खाद्यान्न के वितरण के लिए नए नामकरण या योजना के नाम के उपयोग की अनुमति नहीं है.
दिल्ली कैबिनेट ने किए थे ये बदलाव-
केंद्र सरकार की आपत्तियों को दूर करने के लिए दिल्ली कैबिनेट ने 24 मार्च 2021 को इस योजना का नाम हटाने और मौजूदा एनएफएस एक्ट 2013 के हिस्से के तौर पर राशन की डोरस्टेप डिलीवरी को लागू करने का फैसला पारित किया. दिल्ली मंत्रिमंडल के 24 मार्च 2021 के निर्णय के साथ डोरस्टेप डिलीवरी के कार्यान्वयन के लिए संशोधित अधिसूचनाओं/दिशा-निर्देशों के साथ फाइल को 24 मई, 2021 को मंजूरी के लिए एलजी के कार्यालय में भेजा गया था.
योजना की टाइम लाइन-
- 6 मार्च 2018 को, दिल्ली कैबिनेट ने राशन प्रणाली की डोर स्टेप डिलीवरी को लागू करने का निर्णय लिया
- 21 जुलाई 2018 को मंत्रिपरिषद ने योजना में कुछ संशोधनों को मंजूरी दी और योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ रखने का फैसला किया
- मंत्रिपरिषद ने 09 नवंबर 2020 को योजना के कुछ कार्यान्वयन पहलुओं पर विचार किया और योजना को दो चरणों में विभाजित करने का निर्णय लिया. चरण-एक में एफसीआई के गोदामों से आवंटित खाद्यान्नों को उठाना और परिवहन करना शामिल होगा, जो गेहूं को आटे में बदलने, चावल को साफ करने और एफएसएसएआई मानदंडों का पालन करने वाले राशन को पैक करेंगे और दिल्ली उपभोक्ता सहकारी थोक स्टोर (डीसीसीडब्ल्यूएस) द्वारा संचालित उचित मूल्य की दुकानों को वितरित करेंगे. स्टेज-दो में डीसीसीडब्ल्यूएस द्वारा सूचीबद्ध डायरेक्ट टू होम एजेंसी द्वारा संसाधित और पैक किए गए राशन की होम डिलीवरी शामिल है
- 20 फरवरी 2021 को, कैबिनेट निर्णय के अनुसार योजना को ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ नाम के तहत अधिसूचित किया गया था, जिसमें तीन कैबिनेट निर्णयों की मुख्य विशेषताएं शामिल थीं
- भारत सरकार ने 19-03-2021 के अपने पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत वितरण के लिए उनके द्वारा आवंटित किए जा रहे रियायती खाद्यान्न का उपयोग एनएफएसए के अलावा अन्य नाम या नामकरण के तहत किसी राज्य विशिष्ट या नामकरण के संचालन के लिए नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इस अधिनियम के अंतर्गत इसकी अनुमति नहीं है.
- मंत्रिपरिषद ने अपने निर्णय संख्या 24 मार्च 2021 के माध्यम से 20 फरवरी 2021 को अधिसूचित योजना ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को रद्द करने का निर्णय लिया, हालांकि कैबिनेट द्वारा अपने पिछले निर्णयों के माध्यम से तय किए गए राशन की डोरस्टेप डिलीवरी को एनएफएसए 2103 और टीपीडीएस के अनुसार जारी रखी गई थी
- 2 जून 2021 को, एलजी ने यह कहते हुए फाइल वापस कर दी कि योजना को लागू नहीं किया जा सकता है
क्या है घर-घर राशन योजना योजना?
दिल्ली सरकार के मुताबिक इस योजना के तहत, प्रत्येक राशन लाभार्थी को 4 किलो गेहूं का आटा (आटा), 1 किलो चावल और चीनी अपने घर पर प्राप्त होगा, जबकि वर्तमान में 4 किलो गेहूं, 1 किलो चावल और चीनी उचित मूल्य की दुकानों से मिलता है. योजना के तहत अब तक बांटे जा रहे गेहूं के स्थान पर गेहूं का आटा दिया जाता और चावल को साफ किया जाता, ताकि अशुद्धियों को दूर कर वितरण से पहले राशन को साफ-सुथरा पैक किया जा सके.