(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Coal Crisis: देश में क्यों आया कोयले का संकट? सरकार ने गिनाई ये वजहें
Government on Coal Crisis: सरकारी सूत्रों ने बताया कि राज्यों और बिजली कंपनियों को कोयले की दैनिक आपूर्ति में कोई कमी नहीं है और हम 5 दिनों का स्टॉक बनाए हुए हैं. एक महीने में स्थिति सामान्य हो जाएगी.
Reasons for Coal Crisis: देश में कोयला संकट के बीच केंद्र सरकार (Central Government) एक्शन में है. कोयले की कमी को दूर करने के लिए सरकार में बैठकों का दौर चल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को बिजली मंत्री आरके सिंह और कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ बैठक की. इस बीच सरकार ने राज्यों और बिजली कंपनियों को भरोसा दिलाया है कि वह कोयले की मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार है.
सरकार एक सप्ताह के भीतर रोज के कोयला उत्पादन को 19.4 मिलियन से बढ़ाकर 2 मिलियन टन कर रही है. सरकारी सूत्रों ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया, 'राज्यों और बिजली कंपनियों को कोयले की दैनिक आपूर्ति में कोई कमी नहीं है और हम 5 दिनों का स्टॉक बनाए हुए हैं, एक महीने में स्थिति सामान्य हो जाएगी.'
इन वजहों से हुआ कोयले का संकट
देश में कोयले का संकट क्यों पैदा हुआ, सरकार ने इसकी वजहें बताई है. सरकारी सूत्र ने कहा कि जो स्थिति बनी है उसके कई कारण हैं. कोयला मंत्रालय जनवरी से ही राज्यों में कोयला स्टॉक करने के लिए पत्र लिख रहा है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. कोल इंडिया एक लिमिट तक कोयले को स्टॉक कर सकती है. अगर हम लिमिट से ज्यादा कोयले का स्टॉक करते हैं तो आग लगने का खतरा रहता है.
States ignorance of Centre's letters on coal stocks, soaring prices of foreign coal, prolonged monsoon reasons for current situation: Govt sources
— ANI Digital (@ani_digital) October 12, 2021
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राजस्थान, पश्चिम बंगाल और झारखंड की अपनी खदानें हैं लेकिन उन्होंने कोयला निकालने के लिए कुछ नहीं किया. पता चला है कि मंजूरी मिलने के बावजूद कुछ राज्य सरकारों ने फैसला नहीं लिया और पर्याप्त खनन नहीं करने की वजह कोविड और बारिश को बताया. लंबे समय तक मानसून ने खनन को प्रभावित किया और आयातित कोयले की कीमतों ने भी मौजूदा स्थिति में योगदान दिया.
विदेशी कोयले के आयात में 12 फीसदी की गिरावट आई है. ज्यादा कीमतों के कारण, बिजली कंपनियां भी घरेलू कोयले पर निर्भर हो गई हैं. राज्यों पर कोल इंडिया का बहुत बड़ा बकाया भी है. सूत्रों से पता चला है कि महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु बड़े डिफॉल्टर हैं. राज्यों को कोल इंडिया को 20,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना है.सरकार के सूत्रों ने कहा कि बड़ी मात्रा में बकाया होने के बावजूद, आपूर्ति जारी है और हम बिजली और कोयले की आपूर्ति जारी रखेंगे. गांवों के विद्युतीकरण और औद्योगीकरण ने भी कोयले की मांग को बढ़ा दिया है.
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