नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देश को समर्पित कर दी. सरदार बल्लभ भाई की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को जनता को सौंपा. इस दौरान प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल की उब्लधियों का बखान भी किया. प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे सरदार पटेल ने 550 से ज्यादा रियासतों को एक करने का काम किया. इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने बिना नाम लिए कांग्रेस पर हमला भी बोला. प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे हमने कोई अपराध कर दिया हो.


कांग्रेस पर इशारों में हमला
प्रधानमंत्री ने कहा, ''कई बार तो मैं हैरान रह जाता हूं, जब देश में ही कुछ लोग हमारी इस मुहिम को राजनीति से जोड़कर देखते हैं. सरदार पटेल जैसे महापुरुषों, देश के सपूतों की प्रशंसा करने के लिए भी हमारी आलोचना होने लगती है. ऐसा अनुभव कराया जाता है मानो हमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया है.क्या देश के महापुरुषों का स्मरण करना अपराध है ?''





मेरा एक और सपना: एकता नर्सरी से एकता पौधा ले जाएं पर्यटक
प्रधानमंत्री ने कहा, ''31 अक्टूबर 2010 को मैंने इसका विचार सबके सामने रखा था. उस वक्त मेरे मन में एक ही भावना थी कि जिस महापुरुष ने देश को एक करने का काम किया है उसका ऐसा सम्मान जरूर होना चाहिए, जिसके वो हकदार हैं. इस प्रतिमा से हजारों आदिवासियों को रोजगार भी मिलने वाला है. सरदार साहब के दर्शन करने वाले पर्यटक सरदार सरोवर बांध और सतपुड़ा के दर्शन भी कर पाएंगे. गुजरात सरकार आसपास के क्षेत्रों को टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित कर रहे हैं. मेरा मानना है कि यहां एक ऐसी एकता नर्सरी बने जहां से पर्यटक एकता पौधा ले जाएं और एकता के वृक्ष के साथ जीवन बिताएं.''


मूर्ति पटेल के प्रण, प्रतिभा, पुरुषार्थ और पर्मार्थ का प्रमाण
प्रधानमंत्री ने कहा, ''सरदार साहब के चलते ही आज मौलिक अधिकार हमारे लोकतंत्र का प्रभावी हिस्सा है. ये प्रमिता सरदार पटेल के उसी प्रण, प्रतिभा, पुरुषार्थ और पर्मार्थ का जीता जागता प्रमाम है. यह प्रतिमा उनके साहस और समर्पण का सम्मान तो है ही साथ ही नए भारत के आत्म विश्वास की प्रति भी है. ये प्रतिमा उन किसान के स्वाभिमान प्रतीक है जिनके खेत की मिट्टी और औजार इस प्रतिमा की नींव बनी है. इस प्रतिमा की ऊंचाई भारत के युवाओं को ये याद दिलाने के लिए है कि भविष्य का भारत आपकी आक्षाओं का है जो इतनी ही विराट हैं. इन आकांक्षाओं को पूरा करने का सिर्फ एक ही मंत्र है....एक भारत, श्रेष्ठ भारत''


...तो गुजरात और हैदराबाद के वीजा लेकर जाना पड़ता
प्रधानमंत्री ने कहा, ''आज कच्छ से लेकर कटक तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हम बेरोकटोक जा पा रहे हैं तो इसके पीछे सरदार साहब का प्रयास है. कल्पना कीजिए कि अगर सरदार साहब ने ये प्रयास ना किया तो शायद गिर के शेर, सोमनाथ का मंदिर और हैदराबाद की चार मीनार देखने के लिए वीजा लेना पड़ता. 21 अप्रैल 1947 को आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से सरदार पटेल ने कहा था- अब तक जो इंडियन सिविल सर्विस में ना तो कोई इंडियन था, ना कोई सिविल था और ही कोई सर्विस थी. उन्होंने युवाओं से आवाहन किया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा को मजबूत बनाना है. सरदार पटेल के समय में भारतीय प्रशासनिक सेवा की तुलना स्टील फ्रेम से की गई.''


सरदार पटले में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी का शौर्य
प्रधानमंत्री ने कहा, ''सरदार साहब का सामर्थ तब भारत के काम आया था जब मां भारती 550 से ज्यादा रियासतों में बंटी पड़ी थी. दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति घोर निराशा थी. उस जमाने निराशावादियों को लगता था कि भारत अपनी विविधिताओं की वजह से बिखर जाएगा. उस दौरान सिर्फ उम्मीद की किरण थी...सरदार बल्लभ भाई पटेल. सरदार पटले में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी महाराज के शौर्य का समावेश था. उन्होंने 5 जुलाई 1947 को रियासतों को संबोधित करते हुए कहा था- विदेशी आक्रांताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, बैर का भाव हमारी हार की बड़ी वजह थी. अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है. ना ही दोबारा किसी का गुलाम होना है. इसी बात को समझते हुए राजारवाड़ाओं ने अपने राज्यों का विलय कर दिया. सरदार साहब के आवाहन पर राजवाड़ों ने त्याग की मिशाल पेश की थी.''


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