देश में गाय को लेकर कई बार हंगामे होते हुए देखे हैं, पर अब महाराष्ट्र में चुनाव से पहले शिंदे सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. महाराष्ट्र सरकार ने गाय को 'राज्यमाता- गोमाता' दर्जा देने का फैसला किया गया. इसे लेकर चुनावी सियासी घमासान मच गया है. कांग्रेस ने महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ गाय को 'राज्यमाता-गोमाता' का दर्जा दिया जा रहा है और दूसरी तरफ तिरुपति के प्रसाद में गाय की चर्बी मिलाई जा रही है.
  
'राज्यमाता-गोमाता' क्यों?


महाराष्ट्र सरकार ने देसी गायों के पालन पोषण के लिए 50 रुपये प्रतिदिन की सब्सिडी योजना भी लागू की गई है. शिंदे सरकार का तर्क है कि महाराष्ट्र की इतिहास और परंपरा मे गाय का महत्व ज्यादा है. साधुसंत और महंतो के नाम से महाराष्ट्र राज्य की पहचान है. आदेश में कहा गया है कि भारतीय संस्कृति में देशी गाय की स्थिति, मानव आहार में देशी गाय के दूध की उपयोगिता, आयुर्वेद चिकित्सा, पंचगव्य उपचार पद्धति तथा जैविक कृषि प्रणालियों में देशी गाय के गोबर एवं गोमूत्र के महत्वपूर्ण स्थान को ध्यान में रखते हुए, यह देशी गायों को अब से "राज्यमाता गोमाता" घोषित करने का निर्णय लिया गया है.  


CM का मतलब 'काउ मैन'


शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शिंदे सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, महाराष्ट्र सरकार के फैसले के कारण आज हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे देश में गाय को राज्य माता का दर्जा प्राप्त है. शंकराचार्य ने मुख्यमंत्री शिंदे को बधाई देते हुए कहा कि सीएम का मतलब 'काउ मैन' है. उन्होंने कहा, कुछ महीने पहले मुंबई में हमने बयान दिया था कि राजनीति में विश्वासघात के लिए कोई जगह नहीं है. उस पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दूसरा पक्ष रखा. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री से इच्छा जताई कि महाराष्ट्र में करोड़ों लोग गाय को माता के रूप में देखना चाहते हैं. जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कैबिनेट में चर्चा कर गोमता को राज्य माता का दर्जा देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है. उन्होंने कहा, जो गाय की रक्षा करते हैं, वे सच्चे हिंदू हैं.


कांग्रेस ने उठाए सवाल


शिंदे सरकार के इस निर्णय पर MVA के नेताओं ने नाराजी व्यक्त की है. कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने किसान के तौर पर इस फैसले का स्वागत किया, लेकिन नेता के तौर पर आलोचना भी की. उन्होंने कहा, मैं 'राज्यमाता- गोमाता' दर्जा देने के फैसले का स्वागत करता हूं, मैं एक किसान हूं. लेकिन इस फैसले को लेने के लिए सरकार ने देरी क्यों की? उन्होंने कहा, दूसरी ओर देखा जाए तो हमारा देश गोमांस निर्यात में नंबर वन हो गया है. चुनाव के मद्देनजर अब गाय की देखभाल कर रहै हैं. दूसरी तरफ उसका वध करना, यह क्या है? तिरुपति के प्रसाद में गाय की चर्बी मिलाई जाती है. 


क्या बोले एकनाथ शिंदे और फडणवीस?


कैबिनेट बैठक के बाद सीएम एकनाथ शिंदे सत्संग में शामिल होने पहुंचे और वहां साधु संतों के सामने राज्यमाता के फैसले का ऐलान किया और उनका आशीर्वाद लिया. वहीं, देवेंद्र फडणवीस ने कहा, आज हमारी कैबिनेट में ये फैसला हुआ, मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं. उन्होंने कहा, किसानों की किस्मत अगर कोई बदल सकता है तो वह गाय है. हमने देसी गाय को लेकर निर्णय लेकर किसानों को बड़ी राहत दी है.