Stephen Hawking 5th Death Anniversary: महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग (Stephen Hawking) ने 14 मार्च 2018 को आखिरी सांस ली. कहा जाता है कि उन्हें महज 21 साल की उम्र में ही लाइलाज बीमारी एमायोट्रॉपिक लैटरल स्केलेरोसिस (ALS) हो गई थी. शारीरिक तौर पर लगातार अपंग होते जाने के बावजूद उन्होंने अंतरिक्ष (Space) को लेकर गजब की खोजें कीं. स्टीफन भगवान पर विश्वास नहीं करते थे. स्टीफन ब्लैक होल के कई राज भी दुनिया के सामने लाए थे. 


स्टीफन का पूरा जीवन मौत को चुनौती देते हुए ही बीता, 22 साल की उम्र में ही उन्हें मोटर न्यूरोन नामक लाइलाज बीमारी हो गई थी. उनका शरीर धीरे-धीरे काम करना बंद कर रहा था लेकिन दिमाग इतना तेज कि उन्होंने अपनी मौत से पहले धरती से लेकर ब्रह्मांड तक की थ्योरी में कुछ न कुछ बदल डाला. जब उनके शरीर में इस बीमारी के होने की बात सामने आई थी तो डॉक्टरों ने कह दिया था कि वह दो साल से ज्यादा नहीं जी पाएंगे लेकिन उन्होंने 76 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. 


8 साल की उम्र तक भी पढ़ना नहीं आता था


जब भी हम स्टीफन का नाम सुनते हैं तो दिमाग में एक मेधावी छात्र की तस्वीर खुद ही आने लगती है. ऐसा लगता है कि वह बचपन से ही किताबों के बीच घिरे रहे हों लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं था. आपको भी जानकर हैरानी होगी की आठ साल की उम्र तक भी स्टीफन को पढ़ना-लिखना नहीं आता था. स्कूल में पढ़ाई के दौरान उनका ग्रेड कभी भी औसत से ऊपर नहीं रहा था. लेकिन उन्हें नई चीजों के बारे में जानने का काफी शौक था. यही कारण है कि उन्होंने बचपन में ही कंप्यूटर बना दिया था. 


हॉकिंग रैडिएशन में क्या था खास 


हॉकिंग के एक इक्वेशन यानी समीकरण को लेकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका दिमाग कितना तेज था. हॉकिंग रैडिएशन के नाम से उनके फॉर्मूले ने ही उन्हें उड़ान दी थी. इसमें स्पीड (c), न्यूटन कॉन्सटेंट (G) का जिक्र है. रिलेटिविटी और थर्मोडायनेमेक्स के लिए उनका फॉर्मूला उन्होंने 1974 में ईजाद किया था. 


ब्लैक होल को लेकर खोले थे कई राज 


स्टीफन को कई बड़े पुरस्कारों के साथ अमेरिका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान (High Civilian Honor) भी दिया गया था. हॉकिंग की गिनती आइंस्टीन के बाद सबसे बड़े और लोकप्रिय भौतिकशास्त्री के तौर पर होती है. वह हमेशा अपनी व्हील चेयर पर कंप्यूटर के जरिए ही अपने विचार व्यक्त करते थे. उन्होंने पता लगाया था कि ब्लैक होल से उत्सर्जित होने वाली विकीरणें क्वांटम प्रभावों के कारण धीरे धीरे बाहर निकलती हैं. इस प्रभाव को हॉकिंग विकिरण के नाम से जाना जाता है.


बीमारी की वजह से परेशान रहे थे हॉकिंग 


हॉकिंग की बीमारी का पता उन्हें कम उम्र में ही लग गया था. इसकी वजह से ही उनका ज्यादा जी पाना भी संभव हुआ. ज्यादातर ALS पीड़ितों को उनकी बीमारी का 50 की उम्र के बाद ही चलता है. इस बीमारी के चलते उनके हाथों ने भी धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया था. 1985 में जेनेवा जाते वक्त उन्हें निमोनिया भी हो गया था. बेहोशी की हालत में वह वेंटिलेटर पर थे. यहां तक की उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था लेकिन उनकी पत्नी ने हार नहीं मानी और वेंटिलेटर से उन्हें हटाने से इनकार कर दिया. इसके बाद उनके गले का एक ऑपरेशन हुआ और उनकी सांस वापस आई. 


जलवायु परिवर्तन को लेकर जताई थी चिंता 


हॉकिंग के मुताबिक हम आज समय को जिस तरह से महसूस करते हैं, ब्रह्मांड के जन्म से पहले का समय ऐसा नहीं था. उनका कहना था कि काल्पनिक समय कोई कल्पना नहीं है, बल्कि यह हकीकत है. इसे देखा नहीं जा सकता है लेकिन इसे महसूस किया जा सकता है. ब्रह्मांड के रहस्यों को समझाने और लोगों तक इसे पहुंचाने के लिए उन्होंने 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' किताब लिखी थी. जलवायु परिवर्तन को लेकर स्टीफन हॉकिंग ने मानव जाति के लिए एक गंभीर चेतावनी चेतावनी जारी की करते हुए कहा था कि जलवायु परिवर्तन, बढ़ती आबादी और उल्का पिंडों के टकराव से खुद को बचाए रखने के लिए मनुष्य को दूसरी धरती खोजनी होगी. 


'कठिन जिंदगी के साथ भी हो सकते हैं सफल'


हॉकिंग का जन्म आठ जनवरी 1942 को ऑक्सफोर्ड में डॉक्टरों के एक परिवार में हुआ था. 17 साल की उम्र में ही उन्होंने ऑक्सफोर्ड से अपनी पढ़ाई शुरू कर दी थी. यहां उन्होंने फिजिक्स में पहली रैंक के साथ अपनी डिग्री पूरी की. उन्होंने कहा था कि चाहे जिन्दगी जितनी भी कठिन लगे, आप हमेशा कुछ न कुछ कर सकते है और सफल हो सकते हैं. 


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