तूतीकोरिन: तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित वेदांता ग्रुप के कॉपर प्लांट को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सूबे के डिप्टी सीएम ओ पन्नीरसेल्वम ने एलान किया है कि तूतीकोरिन के कॉपर प्लांट को हमेशा-हमेशा के लिए बंद किया जाएगा और इसके सरकार लिए सख्त कदम उठाएगी.


आपको बता दें कि तूतीकोरिन स्थित स्टारलाइट प्लांट के विस्तार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस और सुरक्षाबलों की फायरिंग हुई थी जिनमें 14 लोगों की मौत हो गई थी.


पेचीदा होते मसले और बढ़े सियासी तनाव के बीच पन्नीरसेल्वम ने कहा, ''लोगों की मुख्य मांग प्लांट को बंद करने को लेकर थी. मांग को मानते हुए हुए अब इसे बंद किया जा रहा है. मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि स्टरलाइट प्लांट स्थाई रूप से बंद होगा." पन्नीरसेल्वम ने प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में घायल हुए लोगों से अस्पताल में मुलाकात भी की. उन्होंने कहा कि प्लांट को बंद करना के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे.


प्रदर्शन के दौरान 14 लोगों की मौत पर उपमुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने दुख जताया. उन्होंने कहा कि इस हादसे ने सभी के दिलों को पिघला दिया. उन्होंने मारे गए लोगों के परिवार के प्रतिसंवेदना प्रकट की और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की.


स्टरलाइट को लेकर क्यों हो रहा था प्रदर्शन?
स्थानीय लोग पिछले कई दिनों से स्टरलाइट प्लांट को बंद करने की मांग कर रहे थे. आसपास के लोगों ने पहले ही इस बात की चेतावनी दी थी कि अगर ये प्लांट नहीं बंद किया गया तो तुतीकोरिन डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ऑफिस तक मार्च निकालेंगे. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्लांट से निकलने वाले कचड़े की वजह से ग्राउंड वॉटर दूषित हो रहा है.


वहीं एक एक्टिविस्ट ग्रुप ने आरोप लगाया है कि प्रदूषण बोर्ड ने स्टरलाइट को छोटी चिमनी पर प्लांट चलाने की इजाजत दे दी जबकि बड़ी चिमनी लगाने की बात कही गई थी. इससे स्टरलाइट को फायदा हुआ और उसका खर्चा कम हो गया जबकि पर्यावरण का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ.


वेदांता लिमिटेड की स्टरलाइट कॉपर यूनिट एक साल में चार लाख टन कॉपर कैथोड का उत्पादन करती थी. कंपनी का उद्देश्य था कि इस साल से उत्पादन दोगुना यानि कि आठ लाख टन कर दिया जाए. ये प्लांट पिछले 27 मार्च को 15 दिन के मेंटेनेंस के लिए बंद किया गया था.


कंपनी का क्या पक्ष है?
स्टरलाइट कॉपर के सीईओ पी रामनाथ ने कहा था कि प्लांट ने सुप्रीम कोर्ट और एमईईआरआई द्वारा लगाए गए सभी शर्तों का पालन किया है. कंपनी का कहना था कि उनके प्लांट की वजह से पानी दूषित नहीं हो रहा है. इसके लिए उन्होंने कहा है कि अगर लोगों को विश्वास नहीं है तो वे खुद ही आकर प्लांट में देख सकते हैं. हालांकि एक्टिविस्टों ने स्टरलाइट के इस ऑफर को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि समस्या ये नहीं है कि फैक्टरी के अंदर क्या चल रहा है, बल्कि समस्या ये है कि अंदर जो भी हो रहा है उसकी वजह से बाहर पर्यावरण पर भयानक प्रभाव पड़ रहा है.