नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में इस वक्त माहौल तनावपूर्ण है. राजधानी का उत्तर पूर्वी जिला हिंसा की चपेट में है. हालांकि, अब हिंसा थम गई, लेकिन इलाज के दौरान मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अब तक हिंसा में 34 लोगों की मौत हुई है. देश की राजधानी का माहौल बेहद खराब है.  तो आइए आज जानते हैं देश के अबतक के पांच बड़े दंगों के बारे में जिनमें सैकड़ो निर्दोष लोगों की जान चली गई.


1984 सिख दंगा


देश में हुए बड़े दंगों में एक दंगा 1984 का सिख दंगा है. यह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था. दरअसल इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले उनके अंगरक्षक ही थे. जिन दो अंगरक्षकों ने इंदिरा गांधी की हत्या की थी वो दोनों ही सिख थे. इसलिए इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में लोग सिखों के खिलाफ भड़क गए. बड़ा दंगा दिल्ली में हुआ जिसमें सिखों का कत्लेआम हुआ. माना जाता है कि इन दंगों में पांच हजार लोगों की मौत हो गई थी. अकेले दिल्ली में करीब दो हजार से ज्यादा लोग मारे गये थे.


इंदिरा गांधी की हत्या की वजह 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान उनका वह फैसला था जिसमें उन्होंने भारतीय सेना को स्वर्ण मंदिर पर कब्जा करने का आदेश दिया था. इस दौरान मंदिर में घुसे सभी विद्रोहियों को मार दिया गया था. जो कि ज्यादातर सिख ही थे. इन सभी हथियारों से लैस विद्रोहियों ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था. इनकी मांग थी कि ये खालिस्तान नाम का अगल देश चाहते थे. जहां केवल सिख और सरदार कौम ही रह सके. जब इंदिरा सरकार ने सैनिकों को मंदिर के अंदर घुसने का आदेश दिया था. तो मंदिर के अंदर जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके सहयोगियो ने सैनिकों पर हमला कर दिया था. खालिस्तानियों की बढ़ती तादात को देखते हुए इंदिरा सरकार ने तोपों के साथ चढ़ाई करने का आदेश दिया था. जिसमें जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके सहयोगियों की मौत हो गई थी.


2-भागलपुर दंगा 1989


भागलपुर दंगा 1947 के बाद, भारतीय इतिहास के सबसे क्रूर दंगों में से एक था. यह दंगा अक्टूबर 1989 को भागलपुर में हुआ था. इसमें मुख्य रूप से हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल थे. इसके कारण करीब 1000 से ज़्यादा निर्दोषों को अपनी जानें गंवानी पड़ी.


3- मुंबई दंगा (1992)


इस दंगे की मुख्य वजह बाबरी मस्जिद का विध्वंस था. इस हिंसा की शुरुआत दिसंबर में 1992 में हुई थी जो 1993 के जनवरी तक चली. श्रीकृष्ण कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर,1992 और जनवरी, 1993 के दो महीनों के दौरान हुए हुए दंगों में 900 लोग मारे गए थे. इनमें 575 मुस्लिम, 275 हिंदू , 45 अज्ञात और पांच अन्य थे. सुधाकर नाइक की कांग्रेस की सरकार इन दंगों पर काबू पाने में पूरी तरह से असमर्थ साबित हुई और आखिरकार सेना को बुलाना पड़ा था.


4- गुजरात दंगा-2002



गुजरात के गोधरा में हुए दंगे देश के इतिहास में हुए सबसे विभित्स दंगों में एक था. गोधरा कांड 2002 में हुआ था. इस शहर का नाम सहसा तब सामने आया जब वहां 27 फ़रवरी 2002 को रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में भीड़ द्वारा आग लगाए जाने के बाद 59 कारसेवकों की मौत हो गई. इसके परिणामस्वरूप पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे होना शुरू हो गए.


दरअसल कारसेवकों के शवों को लेकर काफिला निकालना हिन्दुओं ने शुरू किया. 10 शवों को लेकर अंतिम य़ात्रा रामोल जनता नगर से हटकेश्वेर श्मशान तक निकाली गई. अंतिम य़ात्रा में 6 हजार लोग थे.भींड़ अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसायटी, नरोदा गाम के करीब बेकाबू होने लगी. राज्य दंगों से चपेट में पूरी तरह आ गया था. इस दंगों में 790 मुस्लिम और 254 हिन्दुओं की मौत हुई. इस दंगे के दौरान देश के मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे.


मुज़फ़्फ़रनगर 2013


मुज़फ़्फ़रनगर जिले के कवाल गांव में जाट-मुस्लिम हिंसा के साथ ये दंगा शुरू हुआ था, जिससे वहां 62 लोगों की जान गई थी. बड़े पैमाने पर लोग हताहत हुए. दरअसल 27 अगस्त 2013 कवाल गांव में कथित तौर पर एक जाट समुदाय लड़की के साथ एक मुस्लिम युवक ने छेड़खानी की. इसके बाद जिस लड़की से कथित छेड़छाड़ हुए उसके चचेरे भाई ने उस मुस्लिम युवक को पीट-पीट कर मार डाला. जवाब में मुस्लिमों ने लड़की के भाईयो की जान ले ली.