नई दिल्ली: ये गुरुग्रााम के एक ऐसे एग्रीटेक स्टार्टअप की कहानी है, जिसकी शुरुआत होती है अप्रैल 2019 में. बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग और वर्जीनिया यूनिवर्सिटी से MBA करने के बाद किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले नुकुल उपाध्ये इन्वेस्टमेंट बैंकिंग का बेशुमार पैसे वाला करियर छोड़कर किसानों की बेहतरी के लिए कुछ करने की सोचते हैं. कृषि क्षेत्र की बारीकियों को समझने के लिए एक एग्री कंपनी में कुछ महीनों के लिए काम करते हैं. इसके बाद अपने 4 अन्य दोस्तों के साथ मिलकर शुरुआत करते हैं "बीजक" की. बीजक की शुरुआत करने का मकसद था, किसानों को उनकी फसल का बेहतर मूल्य दिलवाना.


एबीपी न्यूज़ से बातचीत में नुकुल ने बताया कि अप्रैल 2019 में बीजक की शुरुआत करने के बाद सबसे बड़ी समस्या थी भरोसे की. किसानों का पहला सवाल ही होता था कि कंपनी पर कैसे भरोसा करें? जब इसका संतोषजनक जवाब किसानों को दिया गया, तो फिर आगे की डगर आसान हो गयी. इसी भरोसे पर आगे बढ़ते हुए कंपनी ने अपनी साख बनाई. इसी साख और कंपनी के बिज़नेस मॉडल पर भरोसा जताते हुए निवेशकों ने हाल ही में कंपनी में लगभग 18 करोड़ रुपये के निवेश का एलान किया है.


क्या है बिज़नेस मॉडल?
बीजक को आसान शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है कि ये एक प्लेटफॉर्म है, जो कृषि उत्पाद खरीदने और बेचने वालों को मिलाता है. इसके जरिये खरीदारों और विक्रेताओं, दोनों को, बेहतर दाम पर फल, सब्ज़ी आदि मिलते हैं. इस प्लेटफार्म पर आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स और ग्राउंड सर्वे के आधार पर खरीदारों और विक्रेताओं को रेटिंग मिलती है. इस रेटिंग के आधार पर व्यापारी, होलसेलर और फ़ूड प्रोसेसर आदि कृषि उत्पाद खरीद सकते हैं. वहीं, दूसरी तरफ किसानों को भी उनकी फसल का बेहतर दाम मिलता है. इसके अलावा बीजक ने कई वित्तीय संस्थाओं जैसे बैंक और NBFC के साथ भी करार किया हुआ है. इसके चलते खरीदार और विक्रेता, अपनी रेटिंग के अनुसार वर्किंग कैपिटल भी ले सकते हैं. बीजक की खास बात ये है कि किसी भी किसान या खरीदार से कोई कमीशन नहीं लिया जाता है. बीजक को कमाई वित्तीय संस्थाओं के साथ हुए करार से होती है.


कई भाषाओं में काम करता है एप
बीजक एप हिंदी समेत कई स्थानीय भाषाओं का विकल्प अपने ग्राहकों को देता है. फिलहाल, बीजक के ग्राहक महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, बिहार और उत्तराखंड सरीखे राज्यों से हैं. नुकुल ने बताया कि उनके प्लेटफॉर्म का मकसद है, किसानों और खरीदारों, दोनों का फायदा.


कृषि कानून से फायदा
नुकुल बताते हैं कि जो नए कृषि कानून पारित हुए हैं, उनसे किसानों और खरीदारों, दोनों को फायदा होगा. मंडी व्यवस्था पर इसका कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा. बल्कि, जो गलत नीतियां चल रहीं थीं, उन पर लगाम लगेगी.


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