रेड्डी बंधुओं की कहानी: पिता कांस्टेबल, सिर पर रहा सुषमा का हाथ, अरबों का साम्राज्य खड़ा कर पाया सियासी रसूख और अब बनाई खुद की पार्टी
Reddy Brothers Story: कर्नाटक की राजनीति और खनन कारोबार में अपना सिक्का जमाने वाले रेड्डी ब्रदर्स एक बार फिर चर्चा में हैं. इन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई है. आइए जानते हैं इनकी पूरी कहानी.
Reddy Brothers: रेड्डी ब्रदर्स... ये नाम अचानक से कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर से उछल रहा है. राज्य की राजनीति में लंबा बनवास काटने के बाद इनकी फिर से वापसी हुई है. आज हम इनकी बात क्यों कर रहे हैं इसके पीछे भी कारण है. दरअसल, रेड्डी ब्रदर्स में से एक जनार्दन रेड्डी ने अपनी नई पार्टी बनाई है और नाम रखा है कल्याण राज्य प्रगति पार्टी. कर्नाटक की राजनीति में बीजेपी के लिए दक्षिण का दरवाजा खोलने वाले रेड्डी ब्रदर्स इसका ही रास्ता रोकने में लग गए हैं और पार्टी से पुराना नाता तोड़ लिया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन हैं ये रेड्डी ब्रदर्स और उनकी ताकत?
इस दौर की ये एक ऐसी कहानी है जिसमें कांस्टेबल का बेटा खनन कारोबार की दुनिया का सिकंदर बन जाता है और कर्नाटक की राजनीति में वो मुकाम हासिल करता है कि अच्छे अच्छे राजनेता घुटने टेकते नजर आते हैं. इनके राजनीतिक रसूख की अगर बात करें तो कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा जैसे भी बड़े नेता भी इनके बचाव खड़े दिखते हैं. वो भी तब जब येदियुप्पा को इन्ही रेड्डी बंधुओं ने रास्ते से हटाने की पूरी कोशिश की.
कौन हैं रेड्डी ब्रदर्स?
रेड्डी बंधुओं की अगर बात करें तो जनार्दन रेड्डी और उनके दो भाइयों को रेड्डी ब्रदर्स के नाम से जाना जाता है. रेड्डी ब्रदर्स तीन भाई हैं. इनमें सबसे बड़े हैं गली करुणाकर रेड्डी, फिर दूसरे नंबर हैं गली जनार्दन रेड्डी और तीसरे नंबर हैं गली सोमशेखर रेड्डी. जनार्दन रेड्डी के बड़े भाई करुणाकर रेड्डी कर्नाटक की हरपनहल्ली सीट से बीजेपी के विधायक हैं और उनके छोटे भाई सोशेखर रेड्डी बेल्लारी ग्रामीण सीट से विधायक हैं. तो वहीं जनार्दन रेड्डी बीजेपी की येदियुरप्पा सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
कांस्टेबल थे रेड्डी ब्रदर्स के पिता
रेड्डी ब्रदर्स के पिता एक पुलिस कांस्टेबल थे और इन लोगों का बचपन बेहद तंगी में बीता. इनके पिता आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में कांस्टेबल थे और इनका तबादला बेल्लारी में हो गया था. साल 1956 के आसपास आंध्र प्रदेश और कर्नाटक मद्रास प्रेसिडेंसी का हिस्सा हुआ करता था. इसके बाद कर्नाटक और आंध्र प्रदेश का गठन हो गया और रेड्डी ब्रदर्स के पिता कर्नाटक के बेल्लारी में रहने लगे. इन तीनों भाइयों का जन्म भी बेल्लारी में हुआ और यहीं से इन लोगों ने पढ़ाई भी की. तीनों भाइयों में जनार्दन रेड्डी सबसे तेज थे.
चिटफंड कंपनी खोली
जनार्दन रेड्डी ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एक बीमा कंपनी में काम करना शुरू कर दिया था. यहां से इतना पैसा कमाया कि एक चिटफंड कंपनी खोल ली. इसके बाद रेड्डी ब्रदर्स ने खनन में हाथ आजमाया और यहीं से इन लोगों की किस्मत बदल गई. इन लोगों के सितारे बुलंद हो गए और जमकर पैसा कमाया. इन लोगों ने जो कंपनी खोली थी वो आंध्र प्रदेश में रजिस्टर्ड थी लेकिन वहां के साथ साथ कर्नाटक के बेल्लारी में भी खनन किया करते थे. यहां से दौलत कमाने की चाहत के साथ-साथ इन लोगों ने राजनीति में आने का भी मन बनाया.
रेड्डी ब्रदर्स की सुषमा स्वराज से नजदीकी
साल 1999 में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को संसद में भेजने की तैयारी की जा रही थी. सोनिया ने इसके लिए दो जगहों से परचा भरा. पहले उत्तर प्रदेश का अमेठी और दूसरा कर्नाटक के बेल्लारी लेकिन यहां से बीजेपी ने अपनी दिग्गज नेता सुषमा स्वराज को मैदान में उतार दिया था. यहीं से रेड्डी ब्रदर्स ने सुषमा स्वराज के साथ नजदीकी बढ़ाना शुरू कर दी. हालांकि सुषमा स्वराज ये चुनाव हार गईं लेकिन रेड्डी ब्रदर्स ने उनका विश्वास तो जीत लिया और इन लोगों की राजनीति में एंट्री हुई.
अवैध खनन और रेड्डी ब्रदर्स
राजनीति में पैर जमाने के बाद रेड्डी ब्रदर्स ने कर्नाटक में खुलकर अवैध खनन किया. साल 2009 में अवैध खनन के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी गई. साल 2011 में कर्नाटक के लोकायुक्त ने इस मामले की जांच की और बेल्लारी रिपब्लिक को रेड्डी ब्रदर्स के काले काले कारोबार का अड्डा बताया. इसके बाद मामले में जनार्दन रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद साल 2015 में जनार्दन रेड्डी को जमानत मिल गई.
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