भारतीय खेल जगत में महिला खिलाड़ियों की जो हालात हैं, उससे हम सभी वाकिफ हैं. एक तरफ जहां महिला क्रिकेटर्स को अपनी पहचान बनाने के लिए दशकों तक संघर्ष करना पड़ा तो वहीं दूसरी तरफ क्रिकेट के अलावा भी अन्य खेलों में उन्हें पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में कम ही आंका जाता है.
इसके अलावा ज्यादातर महिला खिलाड़ी ऐसी हैं जो गरीब परिवार से आती हैं. उनके सामने आर्थिक चुनौतियां होती है. उसके साथ-साथ उन्हें जहां अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना है वहीं अभद्रता, यौन शोषण और क्षेत्रवाद का बोझ भी लेकर चलना पड़ रहा है.
दरअसल बुधवार यानी 18 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर 30 पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला और तब तक डटे रहें जब तक पूरे मामले पर सरकार की तरफ से एक्शन नहीं लिया गया.
धरने पर बैठे रेसलर विनेश फोगाट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'मैं खुद महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के 10-20 केसों के बारे में जानती हूं.' यहां तक कि वह सबूत पेश करने को भी तैयार हैं. उन्होंने आगे कहा- 'जब हाई कोर्ट हमें निर्देश देगा तब हम सभी सबूत पेश करेंगे. हम पीएम को भी सभी सबूत सौंपने को तैयार हैं.'
पिछले 10 साल में 45 यौन शोषण के मामले
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय खेल जगत में महिला खिलाड़ियों के साथ यौन शोषण के कई मामले आ चुके हैं. कुछ मामलों में कार्रवाई हुई, तो कुछ ऐसे भी रहें जिसमें आरोपी निर्दोष साबित हुआ या उन्हें छोटी मोटी सजा दी गई.
- साल 2020 में इंडियन एक्सप्रेस द्वारा आरटीआई और आधिकारिक रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि पिछले 10 सालों में यानी साल 2009 से लेकर 2019 तक भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में यौन उत्पीड़न के कम से कम 45 मामले सामने आ चुके हैं. ये मामले 24 अलग-अलग इकाइयों के हैं.
- इसके अलावा केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के अनुसार साल 2018 से लेकर 2019 तक स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) को 17 यौन शोषण की शिकायतें मिलीं. 2018 में 7 महिला खिलाड़ियों ने शिकायत की तो वहीं 6 शिकायतें 2019 में आई थीं.
- 45 मामलों में से 29 शिकायत कोचों के खिलाफ किया गया है. महिला सशक्तिकरण पर एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि “महिला खिलाड़ियों के साथ हुए यौन शोषण की यह संख्या और भी ज्यादा हो सकती है क्योंकि कई बार कोचों के खिलाफ मामले दर्ज ही नहीं होते हैं.'
साल 2022 में मिली 30 शिकायतें
राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए जुलाई 2022 में कहा गया था कि भारतीय खेल प्राधिकरण में कोचों और कर्मचारियों के खिलाफ महिला खिलाड़ियों के साथ यौन उत्पीड़न की 30 शिकायतें मिली थीं, इनमें से 2 गुमनाम शिकायतें थीं.
शिकायतों पर नहीं लिया जाता गंभीर एक्शन
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे मामले ज्यादातर जिमनास्टिक, एथलेटिक्स, भारोत्तोलन, मुक्केबाजी और कुश्ती जैसे खेलों में सामने आते हैं. वहीं आरोपियों को तबादलों और वेतन या पेंशन में मामूली कटौती की मामूली सजा देकर छोड़ दिया जाता है. इसक अलावा कई शिकायतें तो ऐसी है, जिसकी जांच सालों से चल रही है और उसपर कुछ खास प्रगति भी नहीं हुई है.
जानते हैं कुछ मामले और उसपर लिए गए एक्शन के बारे में
महिला साइकलिस्ट: जून 2022 में स्लोवेनिया में हो रहे एक विदेशी प्रशिक्षण शिविर के दौरान एक महिला साइकिल ने नेशनल टीम के मुख्य कोच आरके शर्मा पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. जिस पर एक्शन के तौर पर 8 भारतीय खेल प्राधिकरण ने कोच का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त कर उसे बर्खास्त कर दिया था.
महिला क्रिकेटर: गौतम गंभीर ने साल 2020 के जनवरी महीने में एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने बताया कि एक महिला क्रिकेटर के साथ यौन उत्पीड़न हुआ है और वह उनसे मदद मांगने आई थी. इस मामले में एक्शन के तौर पर दिल्ली पुलिस ने महिला क्रिकेटर की शिकायत पर कोच के एफआईआर प्राथमिकी दर्ज की.
ताइक्वांडो खिलाड़ी: साल 2015 में झारखंड के बोकारो जिले में ताइक्वांडो की एक खिलाड़ी ने अपने कोच पर यौन शोषण का दबाव बनाने का मामला दर्ज कराया था. महिला खिलाड़ी ने आरोप लगाया था कि उनका कोच खेलने का मौका देने के बदले खिलाड़ी के साथ फिजिकल होना चाहता था.
हॉकी खिलाड़ी: हरियाणा के खेल राज्य मंत्री और पूर्व हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह पर हाल ही में महिला खिलाड़ी के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लगे थे. इस आरोप के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
कार्यस्थल यौन उत्पीड़न पर क्या है कानून?
वकील राजीव शुक्ला ने एबीपी से बातचीत के दौरान कहा कि किसी भी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को लेकर POSH एक्ट 2013 लाया गया है.
इस कानून के तहत जिस भी वर्कप्लेस पर 10 से ज़्यादा लोग काम करते हैं, तो उसे एक आंतरिक शिकायत समिति बनानी चाहिए. जिसका काम यौन उत्पीड़न की शिकायतों का निपटारा करना होगा.
समिति यौन उत्पीड़न के शिकायतों की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट तैयार करती है. इस दौरान अगल शिकायत सही निकलता है तो समिति को जांच रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराना होता है. इस जांच के दौरान महिला को हक है कि या तो तीन महीने की छुट्टी ले सकती है. या फिर शिकायत कर्ता चाहे तो वह दफ़्तर की किसी और शाखा में अपना तबादला करा सकती है. वहीं दूसरी तरफ अगर शिकायत झूठ निकलता है तो शिकायतकर्ता के खिलाफ भी कानून में कार्रवाई का प्रावधान हैं.