एक्सप्लोरर

Exclusive: 'मैं चलने के लिए नहीं, बल्कि उड़ने के लिए बनी हूं... पैर खोने के बाद मिला आत्मविश्वास', लोगों के लिए प्रेरणा बनीं उत्तराखंड की साक्षी

व्हीलचेयर बास्केटबॉल प्लेयर साक्षी चौहान (Sakshi Chauhan) कहती हैं कि उन्हें इस बात का कोई दुख नहीं है कि उनका पैर नहीं है. उन्हें अगर मौका भी दिया जाए तो इस हादसे को बदलना नहीं चाहेंगी.

Sakshi Chauhan: "मैं चलने के लिए नहीं, बल्कि उड़ने के लिए बनी हूं", यह कहना है उत्तराखंड की साक्षी चौहान का, जिन्होंने महज आठ साल की उम्र में एक सड़क दुर्घटना में अपना पैर खो दिया था. पैर के साथ खोया और भी बुहत कुछ... बचपन की मस्ती, दोस्तों के साथ दौड़-भाग, सहेलियों के साथ साइकिल चलाकर स्कूल जाना. साक्षी अपने पैर के साथ ये सब खो चुकी थीं लेकिन इसके बाद जो उन्होंने पाया वह उनसे कोई नहीं छीन सकता. आत्मविश्वास, साहस और सहनशक्ति. अब साक्षी अपने दम पर इतनी मजबूती से खड़ी हैं कि कोई उनके कदमों को लड़खड़ा नहीं सकता है. 

25 साल की साक्षी को केवल खेल ही नहीं, बल्कि पढ़ाई का भी बेहद शौक है. उन्होंने इसी साल इंग्लिश और हिंदी लिटरेचर में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है. इसके साथ ही वह लिखने का भी शौक रखती हैं. फिलहाल वह एनसीपीईडीपी (National Centre for Promotion of Employment for Disabled People) में फेलोशिप कर रही हैं जोकि दिव्यांग लोगों के लिए काम करती है. उन्हें गाने और ओपन माइक करना भी पसंद है. 

'पैर खोने का अब कोई दुख नहीं'

साक्षी कहती हैं उन्हें इस बात का कोई दुख नहीं है कि उनका पैर नहीं है. उन्हें अगर मौका भी दिया जाए तो वह इस हादसे को बदलना नहीं चाहेंगी क्योंकि उन्होंने खुद को स्वीकार करने के साथ ही खुद से प्यार किया है. साल 2005 यानी आज से 17 साल पहले उन्होंने एक सड़क हादसे में अपना पैर खो दिया. सड़क पार करते समय एक बस ने साक्षी को टक्कर मार दी और बस के पहिए उनके पैरों पर चढ़ गए. उनके साथ यह हादसा उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में हुआ था. उस समय कोई एंबुलेंस की सुविधा नहीं थी. सबसे पास के अस्पताल पहुंचने में भी कम से कम चार घंटे का समय लग जाता था. हालांकि, हालात अब भी ज्यादा सुधरे नहीं हैं. 

Exclusive: 'मैं चलने के लिए नहीं, बल्कि उड़ने के लिए बनी हूं... पैर खोने के बाद मिला आत्मविश्वास', लोगों के लिए प्रेरणा बनीं उत्तराखंड की साक्षी

परिवार ने खो दी थी बचने की उम्मीद 

साक्षी ने बताया कि उनके परिवारवालों और रिश्तेदारों ने उनके बचने की भी उम्मीद खो दी थी क्योंकि काफी खून बह चुका था और अस्पताल पहुंचने में लगभाग 5 से 6 घंटे का समय लग जाता, लेकिन आठ साल की साक्षी अभी आगे और जीना चाहती थीं. इतना खून बह जाने और बेहोशी की हालत में भी उन्होंने अपने पापा से कहा 'मुझे प्लीज बचा लो'. साक्षी के इन शब्दों ने परिवार को एक उम्मीद दी और उन्हें अस्पताल ले जाया गया. 

पिता की जेब में थे महज 50 रुपये

साक्षी ने बताया कि उनके पिता एक ड्राइवर हैं. जब सड़क हादसा हुआ, उनकी जेब में महज 50 रुपये थे और अस्पताल के एक दिन का बिल 50 हजार रुपये था. डॉक्टरों ने उनके माता-पिता को पहले ही कह दिया था कि वह उनके पैर को नहीं बचा पाएंगे. कोई ऑप्शन न होने के कारण उनका बायां पैर काटना पड़ा. साक्षी तीन महीने तक अस्पताल में रहीं और जब वह घर लौटीं तो केवल पैर ही नहीं, बल्कि पूरी तरह से टूटा हुआ महसूस कर रहीं थी. हादसे के बाद, एक साल तक साक्षी के लिए जिंदगी सबसे ज्यादा चुनौतियां लेकर आई. स्कूल जाने से लेकर वापस लौटने तक, वह केवल इस हादसे को याद कर टूट रही थीं. 


Exclusive: 'मैं चलने के लिए नहीं, बल्कि उड़ने के लिए बनी हूं... पैर खोने के बाद मिला आत्मविश्वास', लोगों के लिए प्रेरणा बनीं उत्तराखंड की साक्षी

स्कूल में महसूस किया अकेलापन 

इस एक्सीडेंट के बाद साक्षी की लाइफ में बहुत कुछ बदला. उनके पूरे परिवार को गांव छोड़ना पड़ा क्योंकि पहाड़ी इलाका होने के कारण वहां उन्हें व्हीलचेयर में काफी परेशानी झेलनी पड़ती. सभी लोग ऋषिकेश शिफ्ट हो गए. ऑपरेशन के बाद परिवार पर बहुत सारा कर्ज था इसलिए अब मां को भी नौकरी करनी पड़ रही थी. स्कूल में साक्षी को सभी बच्चों से अलग बैठाया जाता था ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो. यह सब उन्हें परेशान करने लगा था. खाना खाने या बाथरूम जाने के लिए भी उसकी आंखें मां का इंतजार करती रहतीं. यहां तक कि और बच्चों को खेलता हुए देख उन्हें हर बार यह अहसास होता कि अब उनकी लाइफ पहले जैसी नहीं रही. एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें लगने लगा कि उनके लिए पूरी दुनिया ही खत्म हो गई है. 

व्हीलचेयर बास्केटबॉल से किया खुद को मजबूत 

साक्षी दुनिया के सामने यह साबित करना चाहती थीं कि वह किसी से कम नहीं हैं. उन्होंने स्कूल में ही डांस और सिंगिंग कॉम्पिटिशन में भाग लेना शुरू कर दिया. उनकी प्रतिभा की काफी सराहना हुई और इससे उन्हें जीवन में कुछ बड़ा करने का हौसला मिला. मजबूत इरादों वाली साक्षी को 6 साल पहले व्हीलचेयर बास्केटबॉल के बारे में पता चला था. उत्तराखंड में कोई टीम न होने के चलते उन्होंने हरियाणा से खेलना शुरू किया. खूब मेहनत और लगन के बाद उन्हें महाराष्ट्र की टीम से भी खेलने का मौका मिला. उन्होंने व्हीलचेयर बास्केटबॉल इसलिए चुना क्योंकि इसमें आपका पोटेंशियल देखा जाता है. बचपन से ही खेलकुद में रहने के कारण उनके लिए यह बाकी चीजों से ज्यादा आसान था. 


Exclusive: 'मैं चलने के लिए नहीं, बल्कि उड़ने के लिए बनी हूं... पैर खोने के बाद मिला आत्मविश्वास', लोगों के लिए प्रेरणा बनीं उत्तराखंड की साक्षी

भारत के लिए खेल चुकी हैं साक्षी  

व्हीलचेयर बास्केटबॉल में भारतीय टीम के लिए खेलने वाली साक्षी ने बताया कि वह महाराष्ट्र टीम से खेलती हैं. 2019 में उन्होंने चंडीगढ़ में नेशनल जीता था. यह वह था जिसके बाद उन्होंने कभी अपनी लाइफ में पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसी खेल ने उन्हें बैंकॉक में आयोजित एशिया ओशनिक व्हीलचेयर बास्केटबॉल क्वालीफायर में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया. इसके अलावा शॉटपुट में वह सिल्वर मेडलिस्ट और मैराथन में भी चार मेडल अपने नाम कर चुकी हैं.   

मल्टी टैलेंटेड हैं साक्षी 

साहसी लड़की साक्षी मल्टी टैलेंटेड हैं. व्हीलचेयर बास्केटबॉल के अलावा वह एक लेखिका, स्टोरी टेलर और गढ़वाली सिंगर हैं. वह देहरादून में 'शाउट' नाम का कार्यक्रम होस्ट कर चुकी हैं. उन्हें कोचीन, चेन्नई और कई जगहों पर स्टोरी टेलिंग के लिए भी बुलाया जा चुका है. वह कहती हैं कि उन्होंने अपनी डिसेबिलिटी को स्वीकार कर लिया है. वह एक इंडिपेंडेंट लड़की हैं जो पूरी तरह से अपनी जिंदगी जी रही हैं. 


Exclusive: 'मैं चलने के लिए नहीं, बल्कि उड़ने के लिए बनी हूं... पैर खोने के बाद मिला आत्मविश्वास', लोगों के लिए प्रेरणा बनीं उत्तराखंड की साक्षी

उत्तराखंड से खेलने का काफी मन है

साक्षी का मन है कि वह एक बार अपने राज्य उत्तराखंड के लिए भी खेलें लेकिन यहां व्हीलचेयर बास्केटबॉल न होने के कारण ही उन्हें दूसरे राज्य से अपने खेल की शुरुआत करनी पड़ी. हालांकि, वह उत्तराखंड से जेवलिन शॉट पुट खेल चुकी हैं, जिसमें उन्हें सिल्वर और ब्रांज मेडल मिला है. उन्हें इस बात की खुशी है कि जब भी उनके खेल का जिक्र किया जाता है तो हमेशा यह कहा जाता है कि 'उत्तराखंड की लड़की ने व्हीलचेयर बास्केटबॉल में भारत का नाम रौशन किया है, यह सबसे बड़ी खुशी का पल होता है'. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार की तरफ से इतनी मदद नहीं मिलती है, जितनी मिलनी चाहिए. राज्य में दिव्यांग लोगों के लिए इतनी खास सुविधाएं नहीं हैं. डिसेबिलिटी पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जा रहा है. 

उन्होंने 'इंटरनेशनल डे ऑफ डिसेबल पर्सन' के मौके पर लोगों को संदेश देते हुए कहा कि आप दिव्यांग हैं तो सबसे पहले खुद से प्यार करना सीखें. लोग आपके बारे में या आपको देखकर क्या सोचते हैं, इस बात पर बिल्कुल ध्यान न दें. खुद पर विश्वास रखें. उनका कहना है कि 'अगर मैं बिना पैरों के भी खुद के पैरों पर खड़े हो सकती हूं तो कोई भी हो सकता है'. 

ये भी पढ़ें: 

3 December History: कभी भोपाल गैस त्रासदी, तो कभी ईरान के बदले गए संविधान का गवाह रहा है 3 दिसंबर

और देखें
Advertisement
IOI
Don't Miss Out
00
Hours
00
Minutes
00
Seconds
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

पाकिस्तान के हाथ लगा जैकपॉट! 800 अरब रुपये का सोना पाने के लिए मची होड़, कैसे मालामाल हो रहे लोग?
पाकिस्तान के हाथ लगा जैकपॉट! 800 अरब रुपये का सोना पाने के लिए मची होड़, कैसे मालामाल हो रहे लोग?
दिल्ली CM की रेस में शामिल हुए रविंद्र इंद्राज सिंह और कैलाश गंगवाल समेत ये बड़े नेता, BJP में क्या चल रही चर्चा
दिल्ली CM की रेस में रविंद्र इंद्राज-कैलाश गंगवाल समेत ये बड़े नेता, BJP में क्या चल रही चर्चा?
Sheikh Hasina Exile Survey: शेख हसीना को वापस बांग्लादेश भेजना चाहिए, इतने % भारतीयों ने सर्वे में जो कहा वो चौंकाने वाला
शेख हसीना को वापस बांग्लादेश भेजना चाहिए, इतने % भारतीयों ने सर्वे में जो कहा वो चौंकाने वाला
Champions Trophy 2025: क्या बांग्लादेश के खिलाफ खेल पाएंगे ऋषभ पंत? इंजरी पर आया बड़ा अपडेट?
क्या बांग्लादेश के खिलाफ खेल पाएंगे ऋषभ पंत? इंजरी पर आया बड़ा अपडेट?
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Delhi CM Announcement : यमुनाजी के अच्छे दिन आ गए! । BJP New CM । Kejriwal । AAPMahadangal: शपथ का प्लान तैयार...नाम का इंतजार! | Chitra Tripathi | ABP News | Delhi New CMरेलमंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा मांगने वाले लोग बड़े 'भोले' हैं, अगर PM नेहरू होते तो...Chhaava में क्या फेल हो गया AR Rahman का magic? Vicky Rashmika पर क्यों चल रहा Maahi

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
पाकिस्तान के हाथ लगा जैकपॉट! 800 अरब रुपये का सोना पाने के लिए मची होड़, कैसे मालामाल हो रहे लोग?
पाकिस्तान के हाथ लगा जैकपॉट! 800 अरब रुपये का सोना पाने के लिए मची होड़, कैसे मालामाल हो रहे लोग?
दिल्ली CM की रेस में शामिल हुए रविंद्र इंद्राज सिंह और कैलाश गंगवाल समेत ये बड़े नेता, BJP में क्या चल रही चर्चा
दिल्ली CM की रेस में रविंद्र इंद्राज-कैलाश गंगवाल समेत ये बड़े नेता, BJP में क्या चल रही चर्चा?
Sheikh Hasina Exile Survey: शेख हसीना को वापस बांग्लादेश भेजना चाहिए, इतने % भारतीयों ने सर्वे में जो कहा वो चौंकाने वाला
शेख हसीना को वापस बांग्लादेश भेजना चाहिए, इतने % भारतीयों ने सर्वे में जो कहा वो चौंकाने वाला
Champions Trophy 2025: क्या बांग्लादेश के खिलाफ खेल पाएंगे ऋषभ पंत? इंजरी पर आया बड़ा अपडेट?
क्या बांग्लादेश के खिलाफ खेल पाएंगे ऋषभ पंत? इंजरी पर आया बड़ा अपडेट?
बैकलेस हॉल्टर नेक ड्रेस, कातिल अदाएं, पाकिस्तान की इस पॉपुलर एक्ट्रेस ने ग्लैमरस लुक में ढाया कहर
बैकलेस हॉल्टर नेक ड्रेस, कातिल अदाएं, पाकिस्तान की इस पॉपुलर एक्ट्रेस ने ग्लैमरस लुक में ढाया कहर
ये है भारत की सबसे छोटी ट्रेन, इसमें लगते हैं सिर्फ तीन कोच
ये है भारत की सबसे छोटी ट्रेन, इसमें लगते हैं सिर्फ तीन कोच
OpenAI पर लगे बड़े आरोप, भारत में बढ़ सकती है मुश्किल, दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस भेजकर मांग लिया जवाब
OpenAI पर लगे बड़े आरोप, भारत में बढ़ सकती है मुश्किल, दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस भेजकर मांग लिया जवाब
छिलके के साथ या बिना छिलके..जानें मूंगफली खाने का क्या है सबसे अच्छा तरीका
छिलके के साथ या बिना छिलके..जानें मूंगफली खाने का क्या है सबसे अच्छा तरीका
Embed widget

We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking "Allow All Cookies", you agree to our use of cookies.