दिल्ली की सड़कों पर घूमने वाले आवारा जानवर राहगीरों से लेकर गाड़ी चलाने वालों के लिये मुसीबत बनते जा रहे हैं. इनकी वजह से कई बार सड़क जाम और एक्सीडेंट की समस्या से रूबरू होना पड़ता है और इनके बेपरवाह मालिक इनकी सुध भी नहीं लेते हैं. इसलिए समस्या की गंभीरता को देखते हुए उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने पशु चिकित्सा, बागवानी और सेनेटरी इंस्पेक्टर समेत सभी विभागों को निर्देश जारी कर दिये हैं, जिसमें कहा गया है कि आवारा पशुओं के मालिकों को हर दिन 5,000 रुपये का चालान हर अपराध के लिए जारी किया जायेगा.


सदन के नेता योगेश वर्मा ने बताया कि जब भी आवारा जानवरों की वजह से खतरे की कोई शिकायत मिलती थी तो उसे पशु चिकित्सा विभाग पर दे दिया जाता था, लेकिन विभाग में सीमित कर्मचारियों की वजह से समस्या का हल नहीं मिलता था.


इस लिए अब मुद्दे से निपटने के लिए विभिन्न विभागों को एनजीटी के मानदंडों के अनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. वहीं अधिकारियों के मुताबिक केशवपुरम में ज्यादा संख्या में आवारा जानवर पाये जाते हैं. वहीं 5000 रुपये का चालान लागू करने का निर्णय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की 2018 दिशा के संदर्भ में लिया गया है, जिसमें प्रदूषकों के लिए दंड का सुझाव दिया गया था.


वहीं इस विषय पर नागरिक निकाय के पशु चिकित्सा विभाग का कहना है कि एक दशक में, दिल्ली में शहरी क्षेत्रों से स्थानांतरित किए गए एक लाख से ज्यादा आवारा पशु 14,000 गौशाला में हैं. नगर निकाय ने समस्या का हल खोजते हुये आवारा पशुओं के लिए एक नीति पहले ही तैयार कर ली है, जिसमें आवारा पशुओं पर माइक्रोचिप्स लगाया जायेगा और दिन में सिर्फ एक बार उनके मालिकों उन्हें खुला छोड़ सकेंगे, और इसकी पूरी जानकारी सिस्टम में शामिल की जाएगी. इससे किसी तरह की कोई गलती होने की गुंजाइश नहीं होगी.


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