नई दिल्ली: देशभर के किसानों ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राष्ट्रीय किसान महासंघ ने केन्द्र सरकार की कथित किसान विरोधी नीतियों के विरोध में देश भर में आज से 10 जून तक सब्जियों, अनाजों और दूध जैसे कृषि उत्पादों की आपूर्ति नहीं करने को कहा है. आज मध्य प्रदेश में आंदोलनकारी किसानों ने सड़कों पर दूध बहा दिए. फसल की सही कीमत नहीं मिलने से गुस्साए किसानों ने पंजाब के फरीदकोट में सड़क पर फल और सब्जियां फेंकी.
किसानों के आंदोलन से मच सकता है हाहाकार
महासंघ का दावा है कि देश के लगभग 22 राज्यों के 130 संगठनों ने इसका समर्थन दिया है. अगर ऐसा हुआ तो इससे खाने-पीने की चीजों के दामों में जबर्दस्त उछाल आ सकता है और इससे हाहाकार मच सकता है. महासंघ का कहना है कि किसान पूरे देश में 1 जून से 10 जून तक अनाजों, सब्जियों और दूध जैसे उत्पादों को गांवों से शहरों में भेजना बंद कर देंगे.
मध्य प्रदेश के एक किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा है कि हम मांग कर रहे हैं कि एमएसपी जमीन की लागत सहित उत्पादन की पूरी लागत का 1.5 गुना हो. हालांकि सरकार ने इसे अपने आखिरी बजट में घोषित कर दिया था, लेकिन इसमें कोई विशेष विवरण नहीं है और इससे हमें मदद नहीं मिल रही है.
कई राज्यों के किसानों ने किया आंदोलन का समर्थन
अभी तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब में किसान संगठनों ने इसका समर्थन किया है. छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन भी बंद में शामिल होगा. इस संगठन ने दावा किया है कि इनके साथ 35 हजार किसान जुड़े हैं. इसके साथ ही 7 अन्य किसान संगठन जो छत्तीसगढ़ के ही हैं वो भी इस बंद का समर्थन कर रहे हैं.
सभी संगठन का प्रयास होगा कि आज से 10 दिन तक गांव की सब्जियां और दूध शहर में न आने दें. गांव-गांव में संगठन के लोग किसानों को रोकेंगे. अगर गांव में शहर के लोग कुछ खरीदने आते हैं तो उनका विरोध नहीं होगा.
आंदोलन कांग्रेस की साजिश- शिवराज
मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में जहां किसान आंदोलन की बात कर रहे हैं तो वहीं रतलाम में कुछ किसानों का कहना है कि वो आंदोलन में शामिल नहीं हैं. पिछले साल किसान आंदोलन को लेकर शिवराज सरकार की काफी फजीहत हुई थी. इसलिए शिवराज सरकार इस बार सतर्क है कि हिंसा न हो. शिवराज सिंह का कहना है कि किसान नाराज नहीं हैं ये आंदोलन कांग्रेस की साजिश है.
किसान संगठन की चार प्रमुख मांगें
- पहली मांग- फसल की लागत का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य मिले.
- दूसरी मांग- किसानों को कर्जमुक्त किया जाए.
- तीसरी मांग- छोटे किसानों की एक आय निश्चित की जाए.
- चौथी मांग- फल, दूध, सब्जी को समर्थन मूल्य के दायरे में लाकर डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य मिले.