मध्य प्रदेश में अब सत्ता का संघर्ष कानूनी संघर्ष में बदला
सत्ता के लिए मध्यप्रदेश में लेटर वॉर के बाद, प्रेस कॉन्फ्रेंस से हमले हुए. बंगलुरू में बागी कांग्रेस विधायकों ने सरकार को घेरा तो वहीं भोपाल में कांग्रेस ने अपने ही बागियों के पुराने बयान दिखाए.
भोपाल: मध्य प्रदेश में सत्ता के लिए शुरू हुआ संघर्ष अब कानूनी दांव-पेंच में उलझता नजर आ रहा है. बीजेपी फ्लोर टेस्ट कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है तो कांग्रेस ने भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कांग्रेस ने कहा है कि उसके विधायक बंधक हैं, उन्हें छुड़वाया जाएं. इस मामले में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और विधानसभा स्पीकर को नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब मांगा है. उधर बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान, गोपाल भार्गव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा राजभवन पहुंचे. पिछले 20 घंटे में बीजेपी नेताओं की राज्यपाल से यह दूसरी मुलाकात है.
सत्ता के लिए मध्यप्रदेश में लेटर वॉर के बाद, प्रेस कॉन्फ्रेंस से हमले हुए. बंगलुरू में बागी कांग्रेस विधायकों ने सरकार को घेरा तो वहीं भोपाल में कांग्रेस ने अपने ही बागियों के पुराने बयान दिखाये. इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 13 घंटे के अंदर राज्यपाल लालजी टंडन को दूसरी चिट्ठी लिखी, इसमें उन्होंने कहा, ''40 साल के राजनीतिक जीवन में हमेशा मर्यादाओं का पालन किया. आपके 16 मार्च के पत्र से दुखी हूं, जिसमें आपने मुझ पर मर्यादाओं का पालन नहीं करने का आरोप लगाया. मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी. फिर भी यदि आपको ऐसा लगा है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं.'' कमलनाथ ने अपने पत्र में यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि आपने बीजेपी से मिली सूचना के आधार पर मान लिया कि मेरी सरकार बहुमत खो चुकी है.
दरअसल चिट्ठियों का ये सिलसिला 16 मार्च शाम 5 बजे से शुरू हुआ जिसमें राज्यपाल ने कमलनाथ से कहा कि अफसोस आपने फ्लोर टेस्ट में आनाकानी की. ये भी कहा कि आप संवैधानिक और लोकतंत्रीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए 17 मार्च तक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करवाएं और बहुमत सिद्ध करें. अन्यथा यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है.
दूसरी चिट्ठी : 16 मार्च रात 10 बजे कमलनाथ ने राज्यपाल को लिखा और कहा, ''स्पीकर के काम में दखल देना राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में नहीं''. तीसरी चिट्ठी 17 मार्च सुबह 11 बजे कमलनाथ ने राज्यपाल से कहा, '' बंदी विधायकों को आजाद होने दीजिए, आपने कहा है कि 17 मार्च तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराने पर यह माना जाएगा कि मुझे वास्तव में बहुमत प्राप्त नहीं है, यह पूरी तरह से आधारहीन और असंवैधानिक है.''
वहीं सोमवार शाम बीजेपी ने 106 विधायकों की राज्यपाल के सामने परेड कराई थी. फिलहाल, पार्टी के सभी विधायक सीहोर के एक रिसॉर्ट में ठहरे हुए हैं. राज्यपाल से फिर मिलने पहुंचे निकले तो फिर दुहराया कि सरकार अल्पमत में है.
आगे क्या होगा ?
1) सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार 2) स्पीकर के पास दो विकल्प हैं. या तो वे विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लें या उन्हें अयोग्य करार दें. 3) स्पीकर अपने फैसले में देरी कर सकते हैं, ताकि कांग्रेस को बागियों को मनाने का वक्त मिल जाए. 4) क्या राष्ट्रपति शासन लगने के आसार हैं? सरकार या स्पीकर जानबूझकर फ्लोर टेस्ट नहीं कराते तो प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का कारण बताकर राज्यपाल सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं.