अरुणाचल में गांव बसाने को लेकर चीन के विरोध में छात्र संगठन का प्रदर्शन, केंद्र सरकार को बताया विफल
प्रदेश के सुबनसीरि जिले में चीन द्वारा अपना गांव बसाने के विरोध में ऑल अरुणाचल प्रदेश छात्र संघ (AAPSU) ने गुरुवार को चीन के विरोध में राज्यव्यापी धरना और प्रदर्शन किया. चीन ने इस गांव में करीब 101 पक्के घरों का निर्माण किया है.
अरुणाचल प्रदेश के सुबनसीरि जिले में चीन द्वारा अपना गांव बसाने के विरोध में ऑल अरुणाचल प्रदेश छात्र संघ (AAPSU) ने गुरुवार को चीन के विरोध में राज्यव्यापी धरना और प्रदर्शन किया. ईटानगर स्थित इंदिरा गांधी पार्क में धरने के दौरान AAPSU की शीर्ष इकाई ने केंद्र सरकार से इस मामले में सख्त कदम उठाने की मांग की.
केंद्र पर लगाया चुप्पी साधने का आरोप
AAPSU के कार्यकर्ताओं ने इस मामले पर केंद्र की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए उस से सफाई मांगी. AAPSU के अध्यक्ष हावा बगांग ने कहा, "केंद्र सरकार राज्य को विदेशी घुसपैठ से बचाने में विफल रही है. अगर केंद्र सरकार अनुमति दे तो हम चीनी सेना का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं." बगांग ने राज्य के सांसदों से भी इस मसले पर आगे आकर अपना समर्थन देने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि ये मामला अरुणाचल प्रदेश और इसके लोगों के हितों से जुड़ा हुआ है. प्रदेश के शीर्ष नेताओं को इस पर और मुखर होना चाहिए. AAPSU के महासचिव तोबोम दाई ने कहा कि, ये बेहद ही संवेदनशील मामला है, इस को लेकर केंद्र सरकार के रवैये से प्रदेश के लोग निराश हुए हैं.
कुछ दिनों पहले सैटेलाइट इमेज से हुआ था खुलासा
कुछ समय पहले एक सैटेलाइट इमेज के सामने आने के बाद से ही ये मामला चर्चा में है. इस तस्वीर के अनुसार चीन ने जिस हिस्से में गांव बनाया है वो अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में पड़ता है जो वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटा हुआ है और करीब साढ़े चार किलोमीटर दूर है. चीन ने इस गांव में करीब 101 पक्के घरों का निर्माण किया है. लेकिन यहां सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस इलाके पर पर साल 1959 से ही चीन का कब्जा है. जिस जमीन पर चीन ने घर बनाए हैं वहां 1959 में चीन ने कब्जा किया था और साल 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद भी चीन ने ये जमीन खाली नहीं की थी. अक्साई चिन की तरह अरुणाचल प्रदेश का ये इलाका चीन के कब्जे में ही था. कहा जा रहा है कि डोकलाम विवाद में भारत से मुंह की खाने के बाद चीन ने अरुणाचल प्रदेश में ये साजिश रची है. दरअसल चीन सीमा से सटे पड़ोसी देशों में जितने भी खाली इलाके हैं वहां गांव बसाने में जुटा हुआ है. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी वो यही कर रहा है. ताकि युद्ध की परिस्थिति में इन गावों को सैनिक बैरक के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके.
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