दिल्ली विश्वविद्यालय को वापस खोलने के लिए भूख हड़ताल से लेकर ट्वीट, छात्र कर रहे हैं हर संभव कोशिश
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रथम, द्वतीय वर्ष के छात्र भी लगातार विश्वविद्यालय को फिर से खोलने को अपील कर रहे हैं जिसमें उनका साथ कई प्रोफेसर भी देते नजर आ रहे हैं.
नई दिल्लीः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने और विद्यार्थियों को संक्रमित होने से बचाने के लिए लॉकडाउन के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कॉलेजों को बंद कर दिया गया था. जिसके बाद 1 फरवरी से अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए विश्वविद्यालय खोल दिया गया था, अंतिम वर्ष के छात्र करीब दो महीने से परिसर में कक्षाओं के लिए आ जा रहे हैं लेकिन बाकी कक्षाओं के लिए कॉलेज अब भी बंद हैं. हांलांकि इसके लिए दिल्ली विश्वविद्यालय ने अधिसूचना और गाइडलाइन दी थी.
स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) की अगुवाई में छात्रों ने विश्वविद्यालय के प्रशासन से विश्वविधालय को वापस खोलने के लिए प्रदर्शन के साथ-साथ भूख हड़ताल का आयोजन भी 30 मई को किया. लेफ्ट विंग आइसा (AISA) भी विश्वविद्यालय को फिर से खोलने के लिए छात्रों की आवाज उठा रहा है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस में पढ़ने वाले छात्र सुमित कहते हैं कि पिछले एक वर्ष में संसाधनों की कमी , तो कभी इंटरनेट ना होने के कारण उन्हें पढ़ाई करने में बहुत परेशानी हुई है, लिहाजा वो जल्द से जल्द कॉलेज आ कर पढ़ना चाहते हैं. डीयू के दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के छात्र पियूष आर्यन ने शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखते हुए कॉलेज दोबारा खोलने की विनती की है.
पियूष आर्यन ने लिखा, "हमारी ऑनलाइन क्लास नवंबर '20 से चल रही हैं और अब ऑनलाइन शिक्षा लेना हमारे लिए बेहद मुश्किल हो गया है. मैं ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से अपने कौशल को बढ़ाने में असमर्थ हूं. कृपया कॉलेज को फिर से खोला जाए जिससे मैं एक बार फिर से ऑफलाइन क्लास का हिस्सा बन सकूं." ट्विटर पर इस वक्त दिल्ली यूनिवर्सिटी को वापस खोलने की अपील को लेकर 10 हज़ार से ज्यादा ट्वीट #Reopendelhiuniversity के अंतर्गत किए जा चुके हैं.
राष्ट्रीय जनता दल ( RJD) सांसद और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर मनोज कुमार झा भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए डीयू को रिओपन करने की अपील करते हुए लिखते हैं, "पिछले एक साल से ऑनलाइन शिक्षा देने हुए, मेरा अनुभव ये कहता है कि ऑनलाइन क्लास के माध्यम से सिखाने और सीखने का फासला बढ़ जाता है. तकनीक का अभाव से दूरी को और ज्यादा बढ़ा देता है इसलिए कृपया विश्वविधालय को वापस खोल दिया जाए.''
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