इलाहाबाद: यूपी में सरकारी कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए आरओ का शुद्ध पानी मुहैया कराए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर यूपी की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी उसे खास राहत नहीं मिल सकी है.
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आदेश पर अमल नहीं किये जाने पर गहरी नाराज़गी जताई है और कहा है कि यूपी सरकार को हर हाल में सभी जीजीआईसी में वाटर प्यूरीफायर सिस्टम लगाने ही होंगे. कोर्ट ने कहा है कि छात्राओं को वही पानी पीने का अधिकार है, जो डीएम और दूसरे बड़े अफसरान पीते हैं.
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते इक्कीस सितम्बर को एक आदेश जारी कर यूपी सरकार को सूबे की सभी जीजीआईसी में आरओ मशीन लगाने को कहा था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अगर महीने भर में लड़कियों के सरकारी कॉलेजों में आरओ नहीं लगाए गए, तो संबंधित जिले के डीएम के दफ्तर और आवास के वाटर प्यूरीफायर सिस्टम उखाड़कर उसे लड़कियों के कॉलेज में लगा दिए जाए.
यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. यूपी सरकार ने आज हाईकोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया, उसमें बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के उस हिस्से के अमल पर रोक लगा दी है, जिसमें डीएम के दफ्तर और आवास से आरओ मशीन निकालकर लड़कियों के कॉलेज में लगाए जाने की बात कही गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने लड़कियों के कॉलेज में आरओ लगाए जाने के आदेश पर किसी तरह का दखल देने से इंकार कर दिया है.
हाईकोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने बताया कि जौनपुर, अलीगढ़ और श्रावस्ती जैसे जिलों के जीजीआईसी में बोरिंग के जरिये सप्लाई होने वाले पानी की जो जांच कराई है, उसमे वहां का पानी पीने लायक ठीक पाया गया है. यूपी सरकार की तरफ से यह भी बताया गया है कि इसी आधार पर उसने जीजीआईसी में आरओ मशीनें नहीं लगवाईं. हालांकि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार की इस दलील को नहीं माना और कहा कि सूबे के सभी साढ़े तीन सौ से ज्यादा जीजीआईसीज में हर हाल में वाटर प्यूरीफायर सिस्टम लगाना ही होगा.
जस्टिस अरुण टंडन और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की बेंच ने आज फिर दोहराया कि अगर पानी की क्वालिटी सही है तो डीएम और दूसरे अफसरों के दफ्तर और घरों में आरओ क्यों लगाया गया है. लड़कियों को भी वही पानी पीने का हक़ है, जिसे अधिकारी पीते हैं. यूपी सरकार ने अदालत के इस फैसले पर अपना जवाब देने के लिए मोहलत मांगी है, जिस पर अदालत ने उन्हें तीन दिन का वक्त दिया है. अब अदालत इस मामले पर 27 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगी.