जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पिछले साल हुई हिंसा की घटना के एक साल पूरे होने पर कई छात्रों ने मंगलवार को यहां कैंडल मार्च निकाला जिसमें पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की मां और बहनें भी शामिल हुईं. वहीं, अधिकारियों ने बताया कि मार्च निकाल रहे छात्रों को पुलिस ने रोका.
छात्रों ने दावा किया कि उमर खालिद की मां और बहनों समेत 14 प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया, हालांकि पुलिस ने इस दावे को खारिज किया. पुलिस उपायुक्त (दक्षिणपूर्व) आरपी मीणा ने बताया कि कुछ प्रदर्शनकारी कैंडल मार्च निकालने के लिए बटला हाउस पर जमा हुए. पुलिस दल ने उन्हें वहां से हटाया और कोविड-19 दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए उनसे अपने-अपने घर जाने का अनुरोध किया." उन्होंने बताया कि किसी को भी पुलिस थाने नहीं ले जाया गया.
पिछले साल 15 दिसंबर को हुई थी हिंसा
गौरतलब है कि पिछले साल 15 दिसंबर को संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी. इस दौरान कई बसों में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुई थीं. भारत सरकार ने 11 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किया था जिसके तहत पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुसलमानों को नागरिकता देने की बात कही गई.
वीसी ने दिए थे जांच के आदेश
उधर, दिल्ली पुलिस का इस घटना को लेकर कहती रही है कि प्रदर्शनकारी छात्रों के द्वारा पुलिस पर पथराव किया गया. स्थिति को संभालने के लिए पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी. बता दें कि घटना के अगले ही दिन यूनिवर्सिटी की वीसी नजमा अख़्तर ने कहा था कि पुलिस कैंपस में जबरदस्ती घुसी और छात्रों की पिटाई कर दी. इस मामले में वीसी ने जांच के भी आदेश दिए थे. कुछ छात्रों का ये भी कहना था कि पुलिस ने छात्रों की बात नहीं सुनी.
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