यूक्रेन से भारत लौटे छात्रों ने बयां किया खौफनाक मंजर, कहा- घर के बाहर हो रहे थे धमाके, नहीं निकलते तो...
यूक्रेन से भारतीय छात्रों का रेस्क्यू लगातार ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत जारी है. रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से फ्लाइट भारत लौटे छात्रों ने वहां के हालात बयां करते हुए भारत सरकार से कुछ अपील की है.
यूक्रेन से भारतीय छात्रों का रेस्क्यू लगातार ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत जारी है. रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से फ्लाइट AI1942 दिल्ली बीती रात 12 बजकर 15 मिनट पर लैंड हुई थी जिसमें करीब 250 भारतीय छात्र मौजूद थे. दिल्ली एयरपोर्ट पर आकर भारतीय छात्रों ने राहत की सांस ली तो वहीं उनका इंतजार कर रहे माता-पिता बेहद भावुक होते दिखे.
जानकारी के मुताबिक, फ्लाइट अपने समय से 2 घंटे देरी से पहुंची. छात्रों के बाहर आते ही उनके परिजन भावुक हो उठे. किसी ने बच्चों का स्वागत फूल-मालाओं से किया तो किसी ने आंसुओं से. बुखारेस्ट से दिल्ली लौटी दिव्यांशी ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि वो भारत आकर बहुत खुश हैं और खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि, वहां हालत बहुत खराब हैं पर लोगों ने हमारी काफी मदद की. भारतीय एंबेसी ने हमारा काफी ध्यान रखा, खाने-पीने से लेकर शेल्टर होम में की सही व्यवस्था हमारे लिए की गई. बोर्डर तक पहुंचाया गया. बिजनौर की रहने वाली दीव्यांशी ने भारत सरकार की खूब तारीफ करते हुए शुक्रिया अदा किया.
बाकी फंसे छात्रों को जल्द निकाले भारत सरकार- छात्र
मेघा त्रिवेदी, अंशिका गौतम, प्रीत मल्होत्रा तीनों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, वो भारत आकर बेहद खुश हैं. वहां हालात बहुत बुरे हैं. उन्होंने बताया कि, वहां स्टूडेंट्स को मारा जा रहा था. हम गन पॉइंट पर थे और बहुत डर का माहौल था. उन्होंने कहा कि, यूरोपियन लोगों ने हमारी काफी मदद की. हम भारतीय एंबेसी से आग्रह करते हैं जो लोग वहां अभी भी फंसे हैं उन्हें जल्द निकाला जाए. हालांकि उन्होंने आगे ये भी कहा कि, जब हालत ठीक हो जाएंगे तो तो हम वापस जाना चाहेंगे क्योंकि वो हमारा दूसरा घर है.
राजस्थान के सत्यम ने भारत आकर खुशी जाहिर की है. उन्होंने वहां फंसे अन्य छात्रों के लिए दुख जताते हुए भारत सरकार से जल्द निकालने का आग्रह किया है. सत्यम ने बताया कि वो बॉर्डर तक खुद पहुंचे और फिर बाकी का सारा खर्चा सरकार ने उठाया है. छात्रों ने कहा कि, भारत सरकार ने बहुत मदद की, एंबेसी ने बहुत ख्याल रखा अगर वो नहीं होते तो शायद हम कभी लौट नहीं पाते. उन्होंने कहा कि उनकी यूनिवर्सिटी ने बिल्कुल मदद नहीं की न कोई अपडेट दिया जिस कारण हम फंस गए थे. हरियाणा के रहने वाले परिणय जो भारत लौटकर काफी खुश हैं उन्होंने बताया कि पहले नहीं पाता था कि हालत इतने खराब हो जाएंगे पर अब लौट के अच्छा लग रहा है.
वहीं, बच्चों को देख मां-बाप अपने आसु रोक नहीं पाए. एक छात्र की मां ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, आज से पहले इतनी खुशी कभी नहीं हुई. अपने बच्चे को सुरक्षित देखने से ज्यादा और कुछ नहीं मांगा, पिछले 7 दिनों से एक पल के लिए भी टीवी बंद नहीं किया. इंडिया एंबेसी का शुक्रिया करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करते हुए कहा कि जो बच्चे अभी भी वहीं फंसे हुए हैं उन्हें भी जल्द वहां से निकाला जाए
विनायक एंबेसी ने दिखे नाखुश
विनायक नाम के छात्र ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए एंबेसी से खुद को नाखुश बताया. उनका कहना है कि उन्होंने अपने घर के बाहर 3 ब्लास्ट होते देखें है. एंबेसी से मदद ना मिलने पर वो 3 दिन लगातार पैदल चलकर किसी तरह बॉर्डर पर पहुंचे और उन्होंने वहां कूद कर बॉर्डर को पार किया. विनायक ने आगे कहा कि फिलहाल वापस जाने का नहीं सोचा है.
(मेघा कुमारी की रिपोर्ट)
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