(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोरोना से मरने वाले मरीजों के दिमाग के टिश्यू को हुआ नुकसान, मगर नहीं मिला वायरस- रिसर्च
रिसचर्स ने कोविड-19 बीमारी से मृत मरीज के ऊत्तकों के सैंपल में लगातार नुकसान के प्रमाण चिह्नों को देखा. ऊत्तकों के नमूनों में ये नुकसान मस्तिष्क रक्त वाहिका के कारण हुआ था. फिर भी उन्हें उत्तकों के सैंपल में कोरोना वायरस का कोई लक्षण नहीं दिखा.
कोविड-19 कैसे एक मरीज के दिमाग को प्रभावित करता है. इस पर गहन रिसर्च से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. नेशनल इंस्टीट्यूस ऑफ हेल्थ के शोधकर्ताओं ने बीमारी से मृत मरीज के टिश्यू के सैंपल में लगातार नुकसान के चिह्नों को देखा. ऊत्तकों के नमूनों में ये नुकसान मस्तिष्क रक्त वाहिका के कारण हुआ था. फिर भी उन्हें उत्तकों के सैंपल में कोरोना वायरस का कोई लक्षण नहीं दिखा.
कोविड-19 कैसे मरीज के दिमाग को प्रभावित करता है?
रिसर्च के हवाले से एनआईएच ने बयान में कहा, "इससे पता चलता है कि दिमाग पर प्रत्यक्ष वायरल हमले के लिए नुकसान जिम्मेदार नहीं था." रिसर्च के नतीजों को पत्राचार के रूप में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में प्रकाशित किया गया है. एनआईएच ने रिसर्च के वरिष्ठ लेखक अविंद्र नाथ के बयान का हवाला देते हुए कहा, "हमने पाया कि कोरोना वायरस संक्रमण से संक्रमित होने वाले मरीजों का दिमाग माइक्रोवैस्कुलर रक्त वाहिका नुकसान के लिए अतिसंवेदनशील हो सकता है. हमारे नतीजों से पता चलता है कि ये वायरस की प्रतिक्रिया में शरीर के सूजन के कारण हो सकता है."
शोधकर्ताओं ने रिसर्च में किया सनसनीखेज खुलासा
इससे पहले कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि बीमारी सूजन और रक्त वाहिका की क्षति का कारण बन सकती है. एक रिसर्च में शोधकर्ताओं ने कुछ मरीजों के दिमाग में कम कोरोना वायरस का सबूत पाया. फिर भी, एनआईएच का कहना है कि वैज्ञानिक अभी भी ये बात समझने की कोशिश कर रहे हैं कि बीमारी कैसे दिमाग को प्रभावित करती है. रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने 19 मरीजों के दिमाग के ऊतक के नमूनों का गहरा अध्ययन किया.
2020 में मार्च और जुलाई के बीच सभी मरीजों की मौत कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने के बाद हो गई थी. मरनेवालों में अलग-अलग उम्र जैसे 5 वर्ष के बच्चे से लेकर 73 वर्ष तक के मरीज शामिल थे. उनकी मौत लक्षण सामने आने के चंद घंटों और कुछ महीनों के बीच हुई थी. ज्यादातर मरीजों में एक या एक से ज्यादा जोखिम जैसे डायबिटीज, मोटापा और दिल से जुड़ी बीमारी शामिल थी. आठ मरीज घर पर मृत पाए गए जबकि अन्य तीन मरीज गिरे और अचानक मर गए.
शोधकर्ताओं ने सामान्य एमआरआई से 10 गुना ज्यादा क्षमता वाली संवेदनशील मशीन का हर मरीज के ब्रेन स्टेम और आल्फैक्टरी बल्ब के नमूनों का परीक्षण करने के लिए इस्तेमाल किया. दिमाग के ये दोनों हिस्से कोविड-19 के प्रति ज्यादा संवेदनशील माने जाते हैं. आल्फैक्टरी बल्ब हमारे सूंघने की शक्ति को नियंत्रित करता है जबकि ब्रेन स्टेम सांस और दिल की गति को काबू करता है. स्कैन करने पर पता चला कि दोनों हिस्सों में हाइपरइंटेंसिटिविस नामी चमकीले धब्बों की बहुलता थी जो अक्सर सूजन का संकेत होता है.
इसके अलावा ब्लीडिंग का प्रतिनिधित्व करने वाले हाइपोइंटेंसिटिविस नामी काले धब्बे थे. रिसर्च से खुलासा हुआ कि चमकीले धब्बों में रक्त वाहिका दिमाग में सामान्य ब्लड प्रोटीन के मुकाबले कम पतली थी और उसने इम्यून प्रतिक्रिया पैदा किया. ये धब्बे ब्लड के टी सेल्स और दिमाग के इम्यून सेल्स से घिरे हुए थे. इसके विपरीत, काले धब्बे में दोनों बंद और टपकी हुई रक्त वाहिकाएं थीं लेकिन किसी तरह का इम्यून प्रतिक्रिया नहीं हुआ.
Health Tips: खाना खाने के फौरन बाद ऐसा करने से सेहत पर पड़ता है बुरा असर, इन आदतों को आज ही छोड़ें