नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने पूर्वानुमान जताया है कि भारत में 2048 में आबादी बढ़कर करीब 1.6 अरब हो सकती है और फिर 2100 में इसमें 32 प्रतिशत तक की गिरावट के साथ यह घटकर लगभग 1.09 अरब रह सकती है. ‘द लैंसेंट’ में पब्लिश स्टडी में ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज स्टडी’ से लिए गए आंकड़े का इस्तेमाल किया गया और भारत, अमेरिका, चीन, जापान सहित 183 देशों के लिए वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय आबादी, उनकी मृत्यु दर, जन्म दर का पूर्वानुमान किया गया है.


अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार भारत और चीन जैसे देशों में कार्यशील आबादी में नाटकीय रूप से कमी आ सकती है और जिससे आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है और वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव हो सकता है.
उनके मुताबिक, इस सदी के अंत तक विश्व बहुध्रुवीय हो सकता है और भारत, नाइजीरिया, चीन, अमेरिका प्रभावी शक्तियां हो सकती हैं. वैज्ञानिकों ने कहा, 'सच में यह एक नया विश्व होगा.'


वयस्कों की घट जाएगी आबादी
स्टडी के अनुसार, भारत में 2017 में वयस्कों की आबादी 76.2 करोड़ थी जो 2100 में घटकर करीब 57.8 करोड़ रह जाएगी. इसी तरह चीन में वयस्कों की आबादी 2017 में 95 करोड़ थी जो 2100 में घटकर 35.7 करोड़ रह जाएगी.


वैज्ञानिकों ने बताया है कि भारत 2020 के मध्य में श्रमशक्ति आबादी के मामले चीन से आगे निकल सकता है और सकल घरेलू उत्पाद में उभार के मामले में यह सातवें से तीसरे स्थान पर पहुंच सकता है.


साथ ही कहा गया है कि इस सदी में कामकाजी उम्र की आबादी की सुरक्षा के लिए कदम उठाने में एशिया में भारत की बड़ी भूमिका होगी. बहरहाल, अध्ययन की सीमाओं का जिक्र करते हुए वैज्ञानिकों ने कहा है कि उपलब्ध बेहतर आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है लेकिन पूर्व के आंकड़ों की मात्रा और गुणवत्ता से अनुमान पर असर पड़ता है.


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