Delhi Pollution: ठंड के दस्तक देते ही दिल्ली की हवा भी प्रदूषित होने लगती है. पूरे साल ही दिल्ली वाले प्रदूषण की समस्याओं से जूझते हैं. अब एक स्टडी के मुताबिक राजधानी दिल्ली में स्कूल जाने वाले 3 में से 1 बच्चा सांस लेने की समस्या से जूझ रहा है. दिल्ली में तीन में से एक बच्चा अस्थमा या सांस लेने में समस्या से गुज़र रहा है.
जर्नल लूंग इंडिया की स्टडी के मुताबिक दिल्ली के 29 फीसदी बच्चे अस्थमा या सांस से सम्बंधित समस्याओं से ग्रस्त हैं. इनमें से केवल 12 फीसदी बच्चों को पहले से अस्थमा था और 3 फीसदी बच्चे किसी तरह के इन्हेलर का उपयोग कर रहे थे. इस स्टडी को दिल्ली के साथ साथ कोटायाम और मैसुरु में भी किया गया है, जिनकी तुलना में दिल्ली के बच्चों में सांस सम्बंधित समस्याआएं ज़्यादा पाईं गईं हैं.
यहीं नहीं दिल्ली के बच्चों में मोटापा भी एक बड़ी समस्या है. दिल्ली के 40 फीसदी बच्चों में मोटापे की समस्याओं को पाया गया है, जबके कोटायाम और मैसुरु में केवल 16 फीसदी बच्चों में ही ये समस्या है. इस स्टडी में 4,361 बच्चों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 13-14 और 16-17 साल थी. इस स्टडी में 12 प्राइवेट स्कूलों के बच्चे शामिल हुए, जिनमें 3 स्कूल दिल्ली, 3 मैसुरु और 6 कोटायाम के हैं.
इस स्टडी पर दिल्ली के बीएल कपूर के स्वांस रोग विशेषज्ञ संदीप नायर कहतें हैं कि दिल्ली में प्रदूषण इसकी सबसे बड़ी वजह है. दिल्ली की हवा ज़हरीली हो चुकी है. ऐसे में दिल्ली के बच्चों में सांस से सम्बंधित रोग भी बढ़े हैं. खुद उनके ही मरीज़ों में पहले की तुलना में बच्चों को अब ज़्यादा सांस सम्बंधित समस्याएं हो रही हैं.
कोरोना और प्रदूषण दोनों ही साथ में बड़ी समस्या बन जाते हैं. प्रदूषण के बढ़ने से कोरोना के मामलों के बढ़ने की आशंका भी बढ़ जाती है. ऐसे में प्रशासन को प्रदूषण कम करने का कुछ ना कुछ उपाय करना ही होगा. आगे वों कहते हैं कि ज़रूरी ना हो तो बच्चों को घर से बाहर कम निकालना चाहिए. साथ ही व्यायाम रोज़ाना करना चाहिए. अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय साफ हवा में बिताएं.
बच्चों में सांस सम्बंधित बिमारियों की सबसे बड़ी वजह प्रदूषण बनता जा रहा है, ऐसे में ठंड के बढ़ने से प्रदूषण और भी बढ़ सकता है. प्रशासन के लिए आवश्यक है कि प्रदूषण की समस्याओं के निपटारे का कोई ठोस कदम उठाएं.